कहा: बढ़ती महंगाई और राशन कटौती ने तोड़ा गरीबों का कमर— सरकार तुरंत वापस ले फैसला

गुरुग्राम, 2 जुलाई 2025। हरियाणा सरकार द्वारा बीपीएल कार्ड धारकों को दी जाने वाली रियायती सरसों तेल की कीमत ₹40 से बढ़ाकर ₹100 प्रति दो लीटर करने के निर्णय पर जनवादी महिला समिति जिला कमेटी गुरुग्राम ने कड़ी आपत्ति जताई है। समिति की राज्य महासचिव उषा सरोहा ने इसे गरीब विरोधी कदम करार देते हुए मांग की है कि इस मूल्य वृद्धि को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए

उन्होंने कहा कि जहां एक ओर बेरोजगारी चरम पर है और आम आदमी महंगाई से त्रस्त है, वहीं सरकार आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में इज़ाफ़ा कर गरीबों की थाली से निवाला छीनने का काम कर रही है। उषा सरोहा ने आरोप लगाया कि पिछले कुछ वर्षों में अनाज, दाल, तेल, दूध और सब्जियों की कीमतों में 24% से 120% तक की बढ़ोतरी हुई है। पेट्रोल, डीजल और गैस की महंगी दरें पहले ही आमजन को झटका दे चुकी हैं।

भारत भूख सूचकांक में 105वें स्थान पर, फिर भी खाद्य सुरक्षा में कटौती: समिति

महासचिव ने कहा कि वैश्विक भूख सूचकांक 2024 में भारत 127 देशों में 105वें स्थान पर है, जो चिंताजनक स्थिति को दर्शाता है। बावजूद इसके, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के बजट में 40% की कटौती की गई है।

सरसों तेल की कीमतों के साथ-साथ अन्य सुविधाओं में भी कटौती

जनवादी महिला समिति की जिला अध्यक्ष रामवती, सचिव भारती और कोषाध्यक्ष गिरिजा कुमारी ने संयुक्त बयान में कहा कि

  • पहले से ही सरकारी राशन में चीनी की मात्रा घटाई जा चुकी है
  • दाल और चावल की आपूर्ति बंद कर दी गई
  • 35 किलो अनाज को घटाकर अब केवल 5 किलो प्रति व्यक्ति किया गया
  • अब सरकार ने गरीबों को मिलने वाले सरसों तेल के दाम भी ढाई गुना कर दिए हैं

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि फैमिली आईडी, आधार और ऑनलाइन सिस्टम के बहाने लाखों जरूरतमंदों को बीपीएल सूची से बाहर कर दिया गया है

सरकार गरीबों से वोट लेकर अब कर रही है धोखा: समिति

जनवादी महिला समिति ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि विधानसभा चुनावों से पहले 70% लोगों को बीपीएल कार्ड बांटे गए थे, लेकिन अब धीरे-धीरे उन कार्डों को निरस्त किया जा रहा है

आंदोलन की चेतावनी

समिति ने हरियाणा सरकार से सरसों तेल की बढ़ाई गई कीमतों को तुरंत वापस लेने और बीपीएल श्रेणी में सभी जरूरतमंद लोगों को शामिल करने की मांग की है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने अपनी नीति में बदलाव नहीं किया, तो संगठन सड़कों पर उतरने को मजबूर होगा

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