13 करोड़ के कार्य का ठेका 24.25 करोड़ में देने की तैयारी, RTI एक्टिविस्ट ने मुख्यमंत्री को भेजी शिकायत
पंचकूला, 7 जुलाई। नगर निगम पंचकूला के निर्माणाधीन नए कार्यालय भवन में 11.25 करोड़ रुपये के कथित घोटाले का मामला उजागर हुआ है। इस संबंध में RTI एक्टिविस्ट पी.पी. कपूर ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को शिकायत भेजकर ठेका प्रक्रिया को तत्काल रद्द कर विजिलेंस जांच कराने की मांग की है। शिकायत की प्रतियां नगर निगम आयुक्त और शहरी स्थानीय निकाय विभाग के महानिदेशक को भी भेजी गई हैं।
कपूर ने आरोप लगाया है कि सेक्टर-3 पंचकूला में नगर निगम कार्यालय की निर्माणाधीन इमारत के बकाया कार्य के लिए 13 करोड़ में पूरा होने वाला काम अब 24.25 करोड़ रुपये में ठेके पर देने की तैयारी है, जिससे राज्य सरकार को 11.25 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया जा रहा है। यह ठेका कार्यकारी अभियंता प्रमोद कुमार और ठेकेदार फर्म मै. एमएम एनवरो इंजीनियर्स के मालिक बलबीर सिंह की मिलीभगत से किया जा रहा है। कपूर ने दावा किया कि पूरे खेल की कमान मेयर के एक करीबी व्यक्ति के हाथ में है, जो पर्दे के पीछे से घोटाले को अंजाम दे रहा है।
घोटाले की पूरी कहानी:
कपूर के अनुसार, दिसंबर 2019 में नगर निगम ने सेक्टर 3 में बेसमेंट सहित चार मंजिला नई ऑफिस बिल्डिंग के निर्माण के लिए 29 करोड़ रुपये का ठेका वासु कंस्ट्रक्शन कम्पनी को दिया था। करीब 16 करोड़ रुपये में स्ट्रक्चर तैयार हो जाने के बाद फरवरी 2023 में पुराना ठेका रद्द कर दिया गया, जबकि मात्र 13 करोड़ का काम शेष था और पुराना ठेकेदार उसी राशि में कार्य पूरा करने को तैयार था।
लेकिन 18 अप्रैल 2025 को कार्यकारी अभियंता प्रमोद कुमार ने मनमानी करते हुए, अपने चहेते ठेकेदार एमएम एनवरो इंजीनियर्स को 24.25 करोड़ रुपये में वही बकाया कार्य अलॉट करवा दिया। कपूर का आरोप है कि यह ठेकेदार न तो अनुभव रखता है और न ही मूल टेंडर व DNIT की आवश्यक पात्रता शर्तों पर खरा उतरता है, इसके बावजूद उसे नियमों को ताक पर रखकर ठेका दे दिया गया।
‘ड्रामा’ कर ठेका दिलवाने का आरोप:
कपूर ने शिकायत में बताया कि 12 फरवरी 2025 को टेंडर आमंत्रित किए गए, जिसमें एमएम एनवरो इंजीनियर्स तकनीकी रूप से अयोग्य घोषित हुआ और अग्रवाल इंजीनियर्स एंड कॉन्ट्रैक्टर्स योग्य पाए गए। लेकिन एक्सीयन प्रमोद ने अपने चहेते ठेकेदार को ठेका दिलाने के लिए पहले टेंडर रद्द करवा दिए और 18 अप्रैल 2025 को दोबारा टेंडर निकाले, जिससे पूर्व में अयोग्य घोषित हुई फर्म को मनमाफिक रेट पर ठेका सौंप दिया गया।
कपूर ने इस संपूर्ण प्रक्रिया को घोर वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार का उदाहरण बताया है तथा मुख्यमंत्री से इस फाइल की अंतिम स्वीकृति को रोकने और विस्तृत विजिलेंस जांच के आदेश देने की मांग की है।