इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने उठाए सवाल, प्रशासन से मांगी सख्ती और पारदर्शिता

गुरुग्राम, 7 जुलाई। देश की राजधानी से सटे हरियाणा के साइबर सिटी गुरुग्राम में जैसे-जैसे जमीनों की कीमतें बढ़ीं, वैसे-वैसे भू-माफियाओं की नजरें सरकारी, ग्रीन बेल्ट और पर्यावरणीय जमीनों पर पड़ने लगीं। समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने आरोप लगाया है कि शहर में धार्मिक आस्था की आड़ लेकर सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों का सिलसिला तेज़ी से बढ़ा है, और अब समय आ गया है कि प्रशासन इस पर ठोस और निष्पक्ष कार्रवाई करे।

“छोटा ढांचा, फिर विस्तार — यह बना कब्जे का नया फॉर्मूला”

गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि कुछ शातिर तत्व गुरुग्राम में पहले एक छोटा-सा धार्मिक ढांचा बनाते हैं, फिर धीरे-धीरे उसका विस्तार करते हैं। इस दौरान वे स्थानीय नेताओं को जोड़कर पूजा-पाठ और आयोजनों का आयोजन करते हैं, जिससे न सिर्फ जनता की धार्मिक भावनाओं का दोहन होता है, बल्कि प्रशासन पर राजनीतिक दबाव भी बनाया जाता है।

MCG की तैयारी और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन

गुरिंदरजीत सिंह ने बताया कि हाल ही में गुरुग्राम नगर निगम (MCG) ने सुप्रीम कोर्ट के 29 सितंबर 2009 के आदेश का हवाला देते हुए 90 अवैध धार्मिक ढांचों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, 2009 के बाद किसी भी सार्वजनिक भूमि पर धार्मिक निर्माण प्रतिबंधित है।

2014 के बाद तेज़ हुआ कब्जा अभियान

उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 के बाद गुरुग्राम में इस प्रकार के अवैध निर्माणों में तेज़ी से इज़ाफा हुआ है। पार्क, ग्रीन बेल्ट, चौक, तालाब और झीलों की ज़मीनों पर अवैध धार्मिक ढांचे बनाकर कब्ज़ा किया गया है। यह न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहा है, बल्कि जनता के साथ धार्मिक आस्था के नाम पर छल भी है।

बड़ा सवाल: क्या होगी निष्पक्ष और सख्त कार्रवाई?

गुरिंदरजीत सिंह ने प्रशासन और सरकार के समक्ष स्पष्ट मांग रखी:

  1. सर्वेक्षण व सूचीकरण: सभी अवैध धार्मिक निर्माणों की पहचान कर विस्तृत सूची बनाई जाए।
  2. पारदर्शी कार्रवाई: सभी धर्मों के अवैध ढांचों पर समान रूप से कार्यवाही हो ताकि पक्षपात या भेदभाव का आरोप न लगे।
  3. राजनीतिक हस्तक्षेप पर रोक: धर्म और वोट बैंक की राजनीति को इस विषय से दूर रखा जाए।
  4. दोषियों पर दंडात्मक कार्यवाही: जिन लोगों ने जानबूझकर धर्म की आड़ में अवैध कब्ज़ा किया है, उनके खिलाफ आर्थिक जुर्माना और कानूनी कार्रवाई हो।

“यह धर्म के खिलाफ नहीं, अतिक्रमण के खिलाफ लड़ाई है”

गुरिंदरजीत सिंह ने जोर देकर कहा कि प्रशासन को जन संवाद के ज़रिये जनता को समझाना होगा कि यह कार्य धर्म के विरुद्ध नहीं, बल्कि अवैध कब्ज़ों और पर्यावरण के हनन के खिलाफ है। उन्होंने करनाल के हालिया उदाहरण का हवाला दिया, जहां प्रशासन ने शांतिपूर्वक अवैध धार्मिक ढांचे को हटाया, हालांकि कुछ राजनीतिक तत्वों ने जनता को भड़काने की कोशिश की।

सरकार से मांग: ग्रीन बेल्ट और पर्यावरण की रक्षा हो

गुरिंदरजीत सिंह ने हरियाणा सरकार, शहरी स्थानीय निकाय मंत्री, पर्यावरण मंत्री, गुरुग्राम विधायक, मेयर, उपायुक्त, पुलिस कमिश्नर, एमसीजी कमिश्नर व जीएमडीए अधिकारियों से अपील की कि:

  • ग्रीन बेल्ट, तालाब, पार्क और सार्वजनिक स्थानों से अवैध कब्ज़े तुरंत हटाए जाएं।
  • कूड़ा-कचरे की सफाई और ग्रीन स्पेस की पुनर्बहाली के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
  • गुरुग्राम के AQI में सुधार के लिए पौधारोपण और रख-रखाव सुनिश्चित किया जाए।

निष्कर्ष:

गुरुग्राम ही नहीं, आज देश के कई शहरों में धर्म की आड़ में सरकारी ज़मीनों पर कब्ज़ा एक गंभीर सामाजिक और प्रशासनिक चुनौती बन चुका है। यदि अब भी प्रशासन ने सख्त कदम नहीं उठाए, तो:

  • ग्रीन बेल्टें समाप्त हो जाएंगी,
  • शहरों की नगरीय योजना असंतुलित हो जाएगी,
  • और जनता की आस्था का राजनीतिक शोषण होता रहेगा।
Share via
Copy link