फतह सिंह उजाला
मानेसर / पटौदी, 10 जुलाई 2025 – दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कहलाने वाली भारतीय जनता पार्टी की संगठनात्मक संरचना में इन दिनों गुरुग्राम क्षेत्र को लेकर असमंजस और भ्रम की स्थिति बनी हुई है। 13 मार्च 2025 को भाजपा ने अपने संगठनात्मक पुनर्गठन के तहत हरियाणा प्रदेश में 27 जिलों की घोषणा की थी, जिसमें 23वें नंबर पर “जिला पटौदी” की स्थापना की गई और अजीत यादव को उसका अध्यक्ष घोषित किया गया। यह नियुक्ति भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडोली की सहमति से की गई थी।
लेकिन महज चार महीने बाद 9 जुलाई 2025 को घोषित की गई भाजपा संगठनात्मक जिला टीम में कई सवाल खड़े हो गए हैं। अजीत यादव द्वारा हस्ताक्षर “जिला गुरुग्राम ग्रामीण” के अध्यक्ष के रूप में किए गए, जबकि लेटरहेड पर “भारतीय जनता पार्टी जिला गुरुग्राम महानगर” अंकित था। ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि –
“जिला पटौदी को नकारते हुए अब भाजपा के इस संगठनात्मक जिले को ‘गुरुग्राम ग्रामीण’ या ‘गुरुग्राम महानगर’ – किस रूप में माना जाए?”
क्या हुआ 13 मार्च और 9 जुलाई के बीच?
13 मार्च को भाजपा की ओर से जारी सूची में “जिला पटौदी” का नाम स्पष्ट रूप से अंकित था, जिसे पार्टी के राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के शीर्ष नेतृत्व की सहमति प्राप्त थी। लेकिन 9 जुलाई को घोषित कार्यकारिणी में “पटौदी” का कोई जिक्र नहीं, बल्कि “गुरुग्राम ग्रामीण” शब्दावली प्रमुखता से सामने आई।
इस स्थिति में तीन नाम —
- जिला पटौदी (घोषणा 13 मार्च को)
- गुरुग्राम ग्रामीण (कार्यकारिणी में उल्लेख)
- गुरुग्राम महानगर (लेटरहेड पर उल्लेख)
— तीनों ही समानांतर रूप से सामने आ रहे हैं, जो न केवल भ्रम की स्थिति पैदा करता है, बल्कि भाजपा की आंतरिक संगठनात्मक स्पष्टता पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है।
भाजपा कार्यकारिणी की नियुक्ति और जनसंवेदनाएं
भाजपा जिला अध्यक्ष अजीत यादव द्वारा घोषित कार्यकारिणी में कुल 21 पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है।
- 6 उपाध्यक्ष (जिनमें एक महिला)
- 2 महामंत्री
- 6 सचिव (3 महिलाएं)
- 1 कोषाध्यक्ष, 1 कार्यालय सचिव, 1 प्रवक्ता, 1 आईटी प्रमुख, 1 सोशल मीडिया प्रभारी, 1 मीडिया प्रभारी और 1 ‘मन की बात’ प्रभारी
यह स्पष्ट है कि कार्यकारिणी का गठन भले ही सक्रियता के साथ किया गया हो, परंतु उसके आधिकारिक संगठनात्मक क्षेत्र की पहचान ही अस्पष्ट है।
स्थानीय स्तर पर पटौदी को जिला बनाए जाने की मांग
यह मामला तब और संवेदनशील हो जाता है जब देखा जाए कि पटौदी को अलग जिला बनाए जाने की मांग लगातार जोर पकड़ती रही है।
- महापंचायतों और जनआंदोलनों के माध्यम से स्थानीय जनता ने यह आवाज़ बुलंद की है।
- महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज तक ने इस मांग को लेकर आमरण अनशन की घोषणा की थी।
- वहीं दूसरी ओर, मानेसर को भी अलग जिला बनाए जाने की क्षेत्रीय मांग तेज हो रही है।
ऐसे में, भाजपा द्वारा संगठनात्मक रूप से पटौदी को अलग जिला घोषित करना इस जनभावना के अनुरूप था — लेकिन अब उस निर्णय से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में पीछे हटना न केवल राजनीतिक भ्रम पैदा कर रहा है, बल्कि स्थानीय विश्वासघात की भावना को भी जन्म दे रहा है।
जिज्ञासा यही है: कौन सा है असली संगठनात्मक जिला?
- यदि 13 मार्च की घोषणा मान्य है, तो फिर कार्यकारिणी पटौदी जिला के लिए घोषित होनी चाहिए थी।
- यदि अब “गुरुग्राम ग्रामीण” या “गुरुग्राम महानगर” संगठनात्मक जिले के रूप में कार्य कर रहे हैं, तो फिर पटौदी जिला को किस निर्णय से और कब हटाया गया?
- क्या भाजपा की केंद्रीय और प्रदेश इकाई में समन्वय की कमी है?
- या फिर यह किसी प्रशासनिक पुनर्विचार का हिस्सा है, जिसकी जानकारी संगठन के कार्यकर्ताओं और आमजन को नहीं दी गई?
निष्कर्ष
भारतीय जनता पार्टी का दावा है कि वह सबसे अधिक अनुशासित और संगठित पार्टी है, लेकिन गुरुग्राम के इस घटनाक्रम ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या पार्टी के संगठनात्मक निर्णयों में स्थायित्व और स्पष्टता है? यदि पार्टी स्वयं अपने घोषित जिलों और पदाधिकारियों की पहचान को लेकर भ्रमित हो, तो जमीनी कार्यकर्ताओं और आम जनता में भी विश्वास की कमी उत्पन्न होना स्वाभाविक है।
अब देखना यह है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस उलझन को किस तरह सुलझाता है, और स्पष्ट करता है कि पटौदी, गुरुग्राम ग्रामीण या गुरुग्राम महानगर — इनमें से आधिकारिक रूप से संगठनात्मक जिला कौन है।