-क्लाइंट लिस्ट में नाम शामिल होने का संदेह-चुनावी वादा पूरा न करने पर समर्थक भड़के

एलन मस्क का आरोप – ट्रंप एपस्टीन की क्लाइंट लिस्ट में शामिल, इसलिए एफबीआई और डीओजे ने केस बंद किया

कॉरपोरेटर पार्षद से लेकर विधायक सीएम तक व संसद से लेकर पीएम राष्ट्रपति तक को चुनाव में किए गए वादों को पारदर्शिता से पूर्ण कर सशक्त नेतृत्व करना समय की मांग

– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

गोंदिया महाराष्ट्र वैश्विक स्तरपर-दुनिया के सबसे ताकतवर लोकतंत्र अमेरिका में एक बार फिर विवादों का तूफान उठ खड़ा हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर चर्चित जेफ्री एपस्टीन मामले में घिर गए हैं। एलन मस्क के सनसनीखेज आरोपों और न्याय विभाग द्वारा केस बंद करने की घोषणा के बाद, ट्रंप अपने ही समर्थकों की तीखी आलोचना का शिकार हो रहे हैं।

चुनाव में किया वादा नहीं निभाया – समर्थक नाराज़, आंदोलन शुरू
ट्रंप ने अपने चुनावी वादों में घोषणा की थी कि वे जेफ्री एपस्टीन से जुड़ी रिपोर्ट और दस्तावेज़ सार्वजनिक करेंगे, परंतु अब एफबीआई और डीओजे द्वारा इस केस को औपचारिक रूप से बंद करने की घोषणा ने उनके समर्थकों को भड़का दिया है। “मेक अमेरिका ग्रेट अगेन” जैसे नारों पर विश्वास करने वाले लोग अब सवाल पूछ रहे हैं कि पारदर्शिता कहाँ है?

जेफ्री एपस्टीन मामला – यौन तस्करी का गहरा घोटाला
जेफ्री एपस्टीन एक अरबपति फाइनेंसर था, जिस पर नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण और मानव तस्करी का गंभीर आरोप था।

  • 2006: पहली बार फ्लोरिडा में गिरफ्तारी।
  • 2009: वर्जीनिया गिफ्रे का आरोप – एपस्टीन ने नाबालिग रहते यौन तस्करी कराई।
  • 2015: गिफ्रे ने एपस्टीन के खिलाफ मुकदमा किया, जिसमें प्रिंस एंड्रयू और बिल क्लिंटन के नाम आए।
  • 2019: एपस्टीन की दोबारा गिरफ्तारी और फिर जेल में कथित आत्महत्या।

क्लाइंट लिस्ट में हाई-प्रोफाइल नाम – ट्रंप पर शक गहराया
जनवरी 2024 में कोर्ट द्वारा जारी दस्तावेजों में बिल क्लिंटन, प्रिंस एंड्रयू, और माइकल जैक्सन जैसे नाम शामिल थे। एलन मस्क का दावा है कि ट्रंप का नाम भी उस लिस्ट में शामिल था, और यही वजह है कि उन्होंने दस्तावेज़ सार्वजनिक नहीं होने दिए।

ट्रंप की प्रतिक्रिया – “यह एपस्टीन होक्स है”
ट्रंप ने अपने पुराने समर्थकों पर ही हमला बोलते हुए कहा कि वे डेमोक्रेटिक पार्टी की बकवास में फंस गए हैं। उनका दावा है कि बराक ओबामा, हिलेरी क्लिंटन और जो बाइडेन ने मिलकर यह घोटाला तैयार किया ताकि आगामी मिडटर्म चुनावों में उन्हें कमजोर किया जा सके।

रिपब्लिकन पार्टी में दरार – ट्रंप का अपने ही समर्थकों से मोहभंग
ट्रंप के आक्रामक बयानों से यह स्पष्ट हो गया है कि पार्टी के भीतर अब मतभेद गहरे हो रहे हैं। कई रिपब्लिकन सांसदों ने एफबीआई और न्याय विभाग से दस्तावेज़ सार्वजनिक करने की मांग की है। ट्रंप का यह कहना कि “कमजोर समर्थकों की मुझे ज़रूरत नहीं” उनकी खुद की स्थिति को और अधिक जटिल बना सकता है।

एलन मस्क की भूमिका – दोस्त से आलोचक बने
मस्क और ट्रंप के बीच विवाद पहले राष्ट्रीय ऋण के मुद्दे पर शुरू हुआ और अब यह एपस्टीन मामले को लेकर खुली जंग में बदल गया है। मस्क ने सोशल मीडिया पर ट्रंप पर आरोप लगाते हुए कहा, “ट्रंप का नाम फाइल में है, इसलिए केस को दबाया गया।” हालाँकि उन्होंने यह पोस्ट बाद में हटा दी और माना कि वह “हद से ज़्यादा बोल गए थे”।

प्रशासन पर पारदर्शिता का दबाव – वैश्विक लोकतंत्रों के लिए सबक
यह घटना सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं है। जब जनता अपने नेताओं को पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ वोट देकर सत्ता में पहुंचाती है, तो फिर उनका यह दायित्व बनता है कि वे चुनावी वादों को पूरा करें।

कॉरपोरेटर से लेकर राष्ट्रपति तक, हर जनप्रतिनिधि को जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरना चाहिए। अफसोसजनक स्थिति यह है कि भारत सहित दुनिया में ऐसे नेता विरले ही हैं, जो अपने वादों और जनता के भरोसे को पूरी जिम्मेदारी से निभाते हैं।

निष्कर्ष
जेफ्री एपस्टीन मामला आज फिर अमेरिकी राजनीति की धुरी बन गया है। ट्रंप पर लगे आरोप और उनके वादाखिलाफी रवैये ने उन्हें अपने ही समर्थकों के कटघरे में ला खड़ा किया है। एलन मस्क द्वारा लगाए गए आरोपों ने आग में घी डालने का काम किया है। लोकतंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सर्वोच्च होती है, और यह घटनाक्रम विश्व के अन्य लोकतांत्रिक देशों को भी आईना दिखाता है।

संकलनकर्ता लेखक -क़ानूनी विशेषज्ञ, स्तंभकार, साहित्यकार, अंतरराष्ट्रीय लेखक, चिंतक, कवि, संगीत माध्यमा, सीए(एटीसी), एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया महाराष्ट्र

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