दिल्ली, 21 जुलाई 2025 – हर वर्ष 20 जुलाई को मनाया जाने वाला विश्व शतरंज दिवस इस बार भारत के लिए गर्व और उपलब्धियों की नई कहानी लेकर आया। पेरिस में 1924 में स्थापित अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ FIDE की स्मृति में मनाया जाने वाला यह दिन, अब भारत की शतरंज महाशक्ति बनने की कहानी का उत्सव भी बन गया है।

87 ग्रैंडमास्टर्स के साथ भारत नई ऊंचाइयों पर –
पेरिस इंटरनेशनल ओलम्पिक से शतरंज एशिया महाद्वीप के महासचिव ब्रह्मचारी कुलदीप शतरंज ने बताया कि वर्ष 2025 में भारत के पास 87 ग्रैंडमास्टर्स हैं — जो अब विश्व में अग्रणी देशों में भारत देश को स्थापित करते हैं। भारत अब न केवल प्रतिभा में अग्रणी है, बल्कि युवा खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने देश को शतरंज के शीर्ष पायदान पर पहुँचा दिया है।

शतरंज की जड़ें भारत में, पहचान विश्वनाथन आनंद ने दिलाई –
शतरंज की उत्पत्ति भारत में “चतुरंग” के रूप में हुई थी। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंच पर इसे पहचान दिलाई विश्वनाथन आनंद ने, जिन्होंने भारत को पहली बार विश्व चैंपियन बनाया। उनके बाद पी. हरिकृष्णा और विदित गुजराती जैसे खिलाड़ियों ने इस विरासत को बनाए रखा।

गुकेश की चमक और नई पीढ़ी का जलवा –
2024 में डी. गुकेश ने चीन के डिंग लीरेन को हराकर विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया और दुनिया के सबसे युवा चैंपियन बन गए। उनके साथ आर. प्रज्ञानानंद और अर्जुन एरिगेसी ने भी वैश्विक मंच पर भारत का परचम लहराया।

महिला प्रतिभा भी कम नहीं –
महिला खिलाड़ियों में कोनेरु हम्पी और द्रोणावली हरिका के बाद अब आर. वैशाली, दिव्या देशमुख, और वंतिका अग्रवाल जैसी खिलाड़ी भारत का नेतृत्व कर रही हैं।

विश्व शतरंज दिवस का महत्व –
शतरंज न केवल एक खेल है बल्कि बुद्धिमत्ता, रणनीति और धैर्य का प्रतीक है। यह भाषा, जाति, धर्म और सीमाओं से परे, वैश्विक भाईचारे का प्रतीक बन चुका है।

FIDE की स्थापना 20 जुलाई 1924 को पेरिस में हुई थी। 1966 से यह दिन आधिकारिक रूप से मनाया जाता है।

  • शतरंज खेलने के लाभ –
    मानसिक विकास और निर्णय क्षमता में वृद्धि
    धैर्य और अनुशासन का अभ्यास
    रणनीतिक सोच का विकास
  • सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव
    तकनीक और ऑनलाइन प्लेटफार्म की भूमिका

ऑनलाइन शतरंज प्लेटफार्म जैसे www.IndianChess.org , Chess.com, Lichess ने शतरंज को वैश्विक बना दिया है। अब खिलाड़ी दुनिया के किसी भी कोने से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।

निष्कर्ष –
विश्व शतरंज दिवस अब भारत के लिए महज़ एक स्मरण का दिन नहीं, बल्कि विश्व नेतृत्व की स्वीकृति बन चुका है। जिस खेल की जड़ें भारत की माटी में हैं, आज उसकी सबसे मजबूत शाखाएँ भी यहीं से फली-फूली हैं। भारत अब सिर्फ शतरंज खेल नहीं रहा, शतरंज की दिशा तय कर रहा है।

Share via
Copy link