हिसार, 21 जुलाई। आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश गुणपाल ने आरोप लगाया है कि सिरसा जिला रोजगार कार्यालय में कार्यरत जिला रोजगार अधिकारी दिनेश जांगड़ा, मंडल रोजगार अधिकारी हिसार द्वारा प्रथम अपील में दिए गए स्पष्ट निर्देशों की खुलेआम अवहेलना कर रहे हैं। गुणपाल ने कहा कि सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के तहत मांगी गई जानकारी को देने में जिला अधिकारी जानबूझकर आनाकानी कर रहे हैं, जबकि वरिष्ठ अधिकारी द्वारा दिए गए आदेश स्पष्ट और बाध्यकारी हैं।

नरेश गुणपाल ने कहा कि जब कोई अधिकारी सूचना देने से डरता है, तो यह दर्शाता है कि उसे अपने दस्तावेजों की वैधता पर स्वयं संदेह है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सिरसा के अधिकारी वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों को ठेंगा दिखा रहे हैं और पारदर्शिता से बचने की कोशिश कर रहे हैं।

सार्वजनिक पदों से जुड़ी जानकारी गोपनीय नहीं: हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के तहत लोक सेवकों से संबंधित शैक्षणिक योग्यता, अनुभव प्रमाण पत्र, चयन प्रक्रिया एवं नियुक्ति आदेश जैसी जानकारियाँ गोपनीय नहीं मानी जाएंगी। इस संदर्भ में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए केंद्रीय सूचना आयोग को कड़ी फटकार लगाई।

मामला: डॉ. जयश्री दुबे बनाम केंद्रीय सूचना आयोग, याचिका संख्या 39771/2024
निर्णय तिथि: 3 अप्रैल 2025
न्यायमूर्ति: विवेक अग्रवाल

माननीय न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक पद पर कार्यरत है, तो उससे जुड़ी शैक्षणिक योग्यता एवं चयन प्रक्रिया से संबंधित जानकारियाँ निजी नहीं मानी जाएंगी। न्यायालय ने यह भी कहा कि आरटीआई के तहत ऐसी सूचनाएँ माँगने पर ‘गोपनीयता’ का झूठा बहाना नहीं चल सकता।

नरेश गुणपाल ने मांग की है कि ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाए, जो आरटीआई अधिनियम के तहत जनता को सूचना उपलब्ध कराने से इनकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो वे इस मामले को सूचना आयोग व उच्च न्यायालय तक भी ले जाएंगे।

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