गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा के पूर्व प्रधान स. सरदार के विरोध के बाद युवक को परीक्षा के लिए जाने दिया गया
हरियाणा में अल्पसंख्यकों के साथ किया जा रहा है भेदभाव : स. सुखसागर सिंह

हिसार 26 जुलाई : एक अमृतधारी सिख युवक मिलनवीर सिंह को हरियाणा सीईटी की परीक्षा में कड़ा पहनकर जाने पर पुलिस कर्मियों द्वारा उसे गेट पर ही रोक दिया गया। हिसार के सैक्टर 16-17 स्मॉल वंडर में युवक की सीईटी की परीक्षा थी। बाहर तैनात पुलिस कर्मियों ने युवक को कृपाण ले जाने की अनुमति तो दे दी लेकिन कड़े सहित परीक्षा में जाने से मना कर दिया। जिस पर युवक ने गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा के पूर्व प्रधान एवं हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेट के पूर्व सदस्य सरदार सुखसागर सिंह के पास फोन किया। सरदार सुखसागर सिंह यह सूचना मिलते ही तुरंत मौके पर पहुंचे और मौके पर तैनात पुलिस कर्मियो से कहा कि कहा कि सरकार की गाइडलाइन्स के मुताबिक सिख कैंडिटेट अपने पांच चिन्हों के साथ परीक्षा दे सकता है जिसमें कड़ा भी शामिल है। इसलिए युवक को परीक्षा में जाने दिया जाए लेकिन पुलिस कर्मी अपनी बात पर अड़े रहे जिस पर उन्होंने 112 कॉल की जिस पर पुलिस वहां पहुंची तो सरदार सुखसागर ने उन्हें कड़ा पहनकर परीक्षा में बैठने की कानूनी तौर पर हक बताते हुए पुलिस कर्मियों द्वारा इस मामले में जबरदस्ती किए जाने की बात कही। इस दौरान उन्होंने सिविल लाइन थाना एसएचओ को भी फोन किया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।

जब पुलिस कर्मियों ने उनकी बात नहीं मानी तो उन्होंने कहा कि वे लिखित में यह बात लिखकर दें क्योंकि युवक के भविष्य का सवाल है और यदि परीक्षा में देरी होती है तो उसके भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग जाएगा लेकिन पुलिस कर्मियों ने लिखकर देने से भी मना कर दिया। इस दौरान मीडिया कर्मी पर मौके पर पहुंच गए लेकिन पुलिस कर्मी अपनी बात पर अड़े रहे। स. सुखसागर सिंह ने प्रोटोकॉल अधिकारी से बात करवाने की बात कही लेकिन प्रोटोकॉल अधिकारी भी वहां मौजूद नहीं थे। इसी दौरान पुलिस कर्मियों ने किसी उच्च अधिकारी से बात की और स. सुखसागर से उनकी बात करवाई लेकिन उस अधिकारी ने भी कड़ा परीक्षा में ले जाने से मना किया। यह सब देखकर स. सुखसागर स्कूल के सामने ही जमीन पर धरने पर बैठने की तैयारी करने लगे। इस पर पुलिस कर्मियों ने आला अधिकारियों से बात की जिस पर युवक को कड़ा व कृपाण सहित परीक्षा में जाने की अनुमति दे दी गई।
स. सुखसागर ने बताया कि परीक्षाओं में सिखों को उनके पांच चिन्हों व विवाहित महिलाओं को मंगलसूत्र पहनकर जाने का कानूनी अधिकार है लेकिन मौके पर तैनात पुलिस कर्मियों को नियमों का पता नहीं होने के चलते व प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने से युवक को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा जिसका असर उसकी परीक्षा पर भी पड़ा। यदि वे मौके पर नहीं पहुंचते और समय रहते युवक परीक्षा में नहीं बैठ पाता तो उसने लंबे समय से जो तैयारी की थी वह बेकार चली जाती। यदि अमृतधारी सिख अपने पांच चिन्हों को उतार देता है तो वह अमृतधारी नहीं रहता। इसलिए अमृतधारी सिख के लिए इन्हें पहनना सिख धर्म अनिवार्य है।
स. सुखसागर ने कहा कि सिख समुदाय अल्पसंख्यकों की श्रेणी में आती है और हरियाणा में सिखों के साथ भेदभाव किया जा रहा है और उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है। वहां ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों को सभी नियमों का पता होना चाहिए था। ऐसा नियम है तभी उन्होंने बाद में भी परीक्षा के लिए युवक को जाने दिया। इससे साबित होता है कि उनकी मंशा युवक को परेशान करने की थी और यदि विरोध नहीं किया जाता तो वे युवक को परीक्षा भी नहीं देते। स. सुखसागर ने कहा कि हरियाणा सरकार इस संबंध में गंभीर एवं ठोस कदम उठाए और जरूरी गाइडलाईंस जारी करते ताकि भविष्य में किसी सिख कैंडडेट के साथ ऐसा न हो।