गुरुग्राम, 31 जुलाई। देश की सबसे आधुनिक कही जाने वाली साइबर सिटी गुरुग्राम की जर्जर होती हालत को लेकर अब सामाजिक संगठनों ने भी मोर्चा खोल दिया है। मानवाधिकार एक्शन फोरम के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी एवं समाजसेवी ईं. आर.के. जायसवाल ने शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार को पत्र लिखकर शहर की दुर्दशा पर गहरी चिंता जताई है।

पत्र में कहा गया है कि गुरुग्राम की सड़कें गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं, जल निकासी की व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है, और जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं। बरसात के मौसम में गलियों और मुख्य मार्गों पर जलभराव आम हो चुका है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। स्ट्रीट लाइटें बंद पड़ी हैं और मच्छरों के प्रकोप से डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियां फैलने का खतरा मंडरा रहा है।

ईं. जायसवाल ने पत्र की प्रति प्रधानमंत्री, हरियाणा के मुख्यमंत्री, शहरी विकास मंत्रालय के सचिव और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी अग्रेषित की है। पत्र में लिखा गया है कि गुरुग्राम, जो देश के सबसे अधिक टैक्स देने वाले शहरों और लक्जरी कारों की संख्या में अग्रणी है, उसकी हालत यह दर्शाती है कि शहर की जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं है।

पत्र में यह भी कहा गया है कि नागरिकों को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से नुकसान हो रहा है, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि शहर के निजी डेवलपर द्वारा बनाई गई सड़कों की तुलना में नगर निगम की सड़कें आधे समय में ही खराब हो जाती हैं, जो गुणवत्ता की कमी और संभावित भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।

मानवाधिकार फोरम ने शहरी विकास मंत्रालय से मांग की है कि इस मामले को गंभीरता से संज्ञान में लिया जाए और संबंधित विभागों को निर्देशित कर सड़कों की गुणवत्ता की तकनीकी जांच कराई जाए। इसके साथ ही शहर की समस्याओं के समाधान के लिए एक उच्चस्तरीय निरीक्षण टीम भेजे जाने का भी अनुरोध किया गया है।

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