अच्छे मित्र का साथ हो तो, बड़ी से बड़ी चुनौतियों से आसानी से निपटा जा सकता है”

मित्रता एक ऐसा भावनात्मक रिश्ता है,जो रक्त संबंधों से परे दिलों की निकटता पर टिका होता है

-एडवोकेट किशन सनमुखदास

गोंदिया महाराष्ट्र- वैश्विक स्तर परमित्रता वह पवित्र भाव है जो रक्त संबंधों से परे, दिलों की सच्ची निकटता पर आधारित होता है। यह रिश्ता जीवन के हर पड़ाव में मार्गदर्शक, राज़दार और सच्चा हमसफ़र बनकर साथ निभाता है। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जिसे व्यक्ति स्वयं बनाता है—बिना किसी सामाजिक, जातीय या वैधानिक बंधन के।

आज की दुनिया को मित्रता की कितनी ज़रूरत है?

वर्तमान वैश्विक परिप्रेक्ष्य में, देशों के बीच कटुता और वैमनस्यता बढ़ती जा रही है। भारत-पाकिस्तान, रूस-यूक्रेन, इजराइल-हमास, अमेरिका-ईरान, चीन-ताइवान जैसे उदाहरण स्पष्ट दर्शाते हैं कि दुनिया संघर्षों के जाल में उलझ रही है।
मैं, एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, यह मानता हूँ कि इन सभी अंतरराष्ट्रीय संकटों का सबसे सस्ता, सरल और शुद्ध समाधान है – मित्रता। अगर देशों के बीच दोस्ती का जज़्बा हो, तो युद्ध की नौबत ही न आए। शांति की वर्षा होगी और मानवता की हरियाली खिल उठेगी।

संयुक्त राष्ट्र की पहल: क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस?

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 27 अप्रैल 2011 को अपने 65वें सत्र में, एजेंडा आइटम नंबर 15 ‘Culture of Peace’ के अंतर्गत 30 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय मैत्री दिवस घोषित किया था।
हालांकि भारत, अमेरिका और बांग्लादेश जैसे देश अगस्त के पहले रविवार को यह दिवस मनाते हैं। 2025 में यह दिन 3 अगस्त को पड़ रहा है। इस दिन मित्रता के महत्व को समझकर उसे सामाजिक और कूटनीतिक रिश्तों में स्थान देने का संकल्प लिया जाता है।

मित्रता बनाम राजनीति: आदर्श या अवसरवाद?

राजनीति में मित्रता एक बहुस्तरीय भूमिका निभाती है। उदाहरण के लिए, भारत-अमेरिका की मैत्री को देखें—जहाँ कभी रणनीतिक साझेदारी होती है तो कभी अवसरवाद झलकता है।
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 1 अगस्त 2025 से लगने वाले टैरिफ को 7 अगस्त तक बढ़ाने का निर्णय इसी कूटनीतिक मैत्री का उदाहरण है।
विश्लेषकों के दो मत हैं—कुछ इसे सच्चे सहयोग की नीति मानते हैं, तो कुछ इसे केवल स्वार्थसिद्धि की चाल समझते हैं।

 मित्रता क्यों है इतनी ज़रूरी?

मित्रता:

  • शांति को प्रेरित करती है
  • समुदायों के बीच पुल का कार्य करती है
  • संघर्षों के समाधान का मानवीय रास्ता देती है
  • मानवाधिकारों, सहिष्णुता और स्थिरता को मज़बूत करती है

संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस का मुख्य उद्देश्य यह है कि सरकारें, संगठन और समाज मित्रता को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम और अभियान चलाएँ।

शांति की संस्कृति और यूनेस्को की भूमिका

1997 में यूनेस्को द्वारा परिभाषित Culture of Peace यानी शांति की संस्कृति की भावना में यह निहित है कि—

  • संघर्षों को उनके मूल कारणों से हल किया जाए
  • संवाद, सहिष्णुता और न्याय को बढ़ावा मिले
  • मानव अधिकारों और लिंग समानता का संरक्षण हो
  • आर्थिक-सामाजिक समावेश सुनिश्चित किया जाए

अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस इसी शांति की संस्कृति को जनसामान्य तक पहुँचाने का माध्यम बनता है।

मित्रता दिवस: केवल एक औपचारिकता नहीं, सामाजिक ज़रूरत

दोस्ती का मतलब केवल संदेश भेजना या उपहार देना नहीं है। यह एक गंभीर सामाजिक आवश्यकता है। आज जब रेसिज़्मधर्मीय टकरावराजनीतिक ध्रुवीकरण और मानवीय संवेदनहीनता चरम पर है, तो दोस्ती ही एकमात्र ऐसी शक्ति है जो समाजों को जोड़ सकती है।

मित्रता: मानसिक और सामाजिक कल्याण का स्तंभ

विज्ञान भी मानता है कि सच्चे मित्र:

  • तनाव कम करते हैं
  • जीवन की गुणवत्ता बढ़ाते हैं
  • अवसाद से बचाव करते हैं
  • दीर्घायु में सहायक होते हैं

इसलिए जीवन में मित्र होना, केवल एक भावनात्मक नहीं, एक मानसिक और सामाजिक ज़रूरत है।

राजनीति में मित्रता: सदाशयता या स्वार्थ?

अंतरराष्ट्रीय राजनीति में मित्रता के पीछे उद्देश्य अक्सर रणनीतिक लाभ होता है। परंतु इस अवसरवाद को आदर्शवाद में बदला जा सकता है, यदि राजनीतिक नेतृत्व संवाद, सहयोग और मानवहित की दिशा में अग्रसर हो।
भारत-अमेरिका संबंधों में अगर स्वार्थ हो भी, तो लोकतांत्रिक मूल्यों और वैश्विक स्थिरता के कारण उसमें स्थायित्व भी देखा जा सकता है।

निष्कर्ष: क्या राजनीति और मित्रता साथ चल सकते हैं?

हां, यदि ईमानदारी, पारदर्शिता और परस्पर सम्मान हो तो राजनीति और मित्रता का समन्वय संभव है।
आज 3 अगस्त 2025 के इस अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस पर हमें तय करना है कि हम इस दिवस को केवल उत्सव न मानें, बल्कि वैश्विक नीति और मानवीय संवेदना की रीढ़ बनाएं।

अंतिम संदेश

“अच्छे मित्र का साथ हो तो, बड़ी से बड़ी चुनौतियों से आसानी से निपटा जा सकता है।”

अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अब दोस्ती के आदर्श को अवसरवाद से अलग पहचानने और अपनाने की आवश्यकता है। यही हमारी दुनिया को टिकाऊ शांति और स्थिरता की ओर ले जा सकता है।

संकलनकर्ता / लेखक:एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी(क़र विशेषज्ञ, स्तंभकार, साहित्यकार, अंतरराष्ट्रीय लेखक, चिंतक, कवि, संगीत माध्यम, सीए (एटीसी)) गोंदिया, महाराष्ट्र

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