सुरेश गोयल ‘धूप वाला’

“जनसेवा, राष्ट्रीयता और वक्तृत्व की त्रिवेणी थीं सुषमा जी”
भारतीय राजनीति में सुषमा स्वराज एक ऐसा नाम हैं, जिनका व्यक्तित्व ओज, तर्क और करुणा से भरा हुआ था। वे केवल एक राजनेता नहीं थीं, बल्कि भारतीय नारी शक्ति की प्रतीक रहीं। उनका जीवन समाज और राष्ट्र के प्रति पूर्ण समर्पण का उदाहरण है।
आरएसएस से मिले संस्कार
14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला छावनी में जन्मीं सुषमा स्वराज को राष्ट्रभक्ति, अनुशासन और सेवा-भाव का संस्कार अपने पिता श्री हरदेव शर्मा से मिला, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे। उन्होंने राजनीति शास्त्र में स्नातक और फिर पंजाब विश्वविद्यालय से विधि की पढ़ाई की, जहाँ 1973 में उन्हें विश्वविद्यालय की ‘सर्वश्रेष्ठ वक्ता’ का सम्मान भी मिला।
वकालत से राजनीति तक का सफर
सुप्रीम कोर्ट में वकालत के दौरान उनका परिचय स्वराज कौशल से हुआ, जिनसे उन्होंने विवाह किया। स्वराज कौशल बाद में मिजोरम के राज्यपाल बने।
राजनीति में सुषमा जी का पदार्पण विद्यार्थी परिषद से हुआ। 1974 में वे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से जुड़ीं। 1977 में जनता पार्टी से विधायक चुनी गईं और मात्र 25 वर्ष की आयु में देश की सबसे युवा कैबिनेट मंत्री बनीं।
पहली महिला मुख्यमंत्री और दूरदर्शन में क्रांति

1998 में वे दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सूचना एवं प्रसारण, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और संसदीय कार्य मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभालते हुए उन्होंने दूरदर्शन को एक नई दिशा दी और भारतीय फिल्म नीति में ऐतिहासिक बदलाव किए।
विदेश मंत्री के रूप में नया अध्याय
2014 में नरेंद्र मोदी सरकार में वे देश की पहली पूर्णकालिक महिला विदेश मंत्री बनीं। उनका कार्यकाल “जनता की मंत्री” के रूप में पहचाना गया। ट्विटर पर सक्रिय रहते हुए उन्होंने विदेशों में फंसे भारतीयों की तत्काल मदद कर मंत्रालय को जनोन्मुखी बना दिया।
संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को दी वैश्विक पहचान
संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए गए उनके हिंदी भाषणों ने भारत की सांस्कृतिक गरिमा और भाषा गौरव को विश्व मंच पर प्रतिष्ठित किया।
एक युग का अंत
6 अगस्त 2019 को यह तेजस्वी स्वर हमसे विदा हो गया। परंतु उनकी कार्यशैली, राष्ट्रीय भावना, वक्तृत्व कला और जनसेवा की भावना देशवासियों के लिए सदैव प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी।
सुषमा स्वराज एक विचार थीं — भारतीय स्त्री शक्ति की वह छवि, जो राजनीति में सेवा, शुचिता और सच्चाई का प्रतीक बनकर उभरी।