विद्रोही ने कहा— फासिस्ट व साम्प्रदायिक ताकतों को किसी भी हाल में सफल नहीं होने देंगे

दिल्ली/रेवाड़ी 9 अगस्त 2025। स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने भारत छोड़ो आंदोलन की 83वीं वर्षगांठ पर अपने कार्यालय में स्वतंत्रता संग्राम के तमाम शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि 9 अगस्त 1942 का दिन भारत की आजादी के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है, जब महात्मा गांधी ने ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ का आह्वान किया।

विद्रोही ने बताया कि इस आंदोलन में लाखों भारतीयों ने भाग लेकर अंग्रेजी हुकूमत को हिला दिया था। गांधी, नेहरू, पटेल, मौलाना आजाद जैसे प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी के बावजूद आम जनता ने आंदोलन को गांव-गांव, शहर-शहर पहुंचाया। 8 अगस्त को बंबई के आजाद मैदान में कांग्रेस के नेतृत्व में आजादी का झंडा फहराकर अंग्रेजों को देश छोड़ने की खुली चुनौती दी गई। इसी संघर्ष की परिणति 15 अगस्त 1947 को आजादी के रूप में हुई।

उन्होंने कहा कि यह आंदोलन आज भी हमें अहिंसक तरीके से अन्याय, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, जातिवाद, साम्प्रदायिकता और गैरबराबरी के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा देता है। आज के दिन से सीख लेते हुए हमें समतामूलक समाज की स्थापना का संकल्प लेना चाहिए।

भाजपा-आरएसएस पर निशाना साधते हुए विद्रोही ने कहा कि ये संगठन वोटों की फसल काटने के लिए साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के जरिए कटुता फैला रहे हैं, जो देश के सामाजिक सौहार्द के लिए बड़ा खतरा है। सत्ता में आने के बाद भी उन्होंने इस नीति को त्यागा नहीं है, जो चिंताजनक है।

अंत में विद्रोही ने लोगों से अपील की कि वे भारत छोड़ो आंदोलन की 83वीं वर्षगांठ पर यह संकल्प लें कि फासिस्ट और साम्प्रदायिक ताकतों को किसी भी सूरत में सफल नहीं होने देंगे और स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों का भारत बनाने के लिए एकजुट होकर काम करेंगे।

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