सुरेश गोयल ‘धूप वाला’

भारत और अमेरिका के बीच कई क्षेत्रों में व्यापारिक खींचतान रही है, लेकिन डेयरी उत्पादों को लेकर उठा विवाद संवेदनशील और विस्फोटक है। कारण—अमेरिका भारत को गाय का दूध निर्यात करना चाहता है, जबकि भारत का आरोप है कि वह दूध “मांसाहारी” है, क्योंकि वहां डेयरी गायों को मांस और पशु-अवशेषों से बने चारे का सेवन कराया जाता है।
दूध—भारत में केवल पोषण नहीं, आस्था है
भारत में दूध पोषण के साथ-साथ धार्मिक और सांस्कृतिक पवित्रता का प्रतीक है। सनातन परंपरा में गाय को “गौ माता” माना जाता है और उसका दूध सात्विक, शाकाहारी और रोगनिवारक समझा जाता है। ऐसे में यदि उत्पादन प्रक्रिया में मांस या पशुजन्य तत्व शामिल हों, तो भारतीय दृष्टि से यह दूध अपवित्र माना जाएगा। यही कारण है कि भारत ने ऐसे दूध और उसके उत्पादों के आयात पर रोक लगा रखी है।
अमेरिका का मांसाहारी चारा
अमेरिका और कई पश्चिमी देशों में दूध उत्पादन बढ़ाने व लागत घटाने के लिए “एनिमल बाय-प्रोडक्ट फीड” (Animal By-product Feed) का प्रयोग आम है। इसमें शामिल होते हैं—
- मुर्गियों और मछलियों के आंतरिक अंग, हड्डी और रक्त का पाउडर
- पशु मांस के बचे टुकड़े
- बोन मील (हड्डी का चूर्ण)
- मछली का तेल और चूर्ण
अमेरिका में यह सामान्य खेती पद्धति मानी जाती है, जबकि भारत में इसे नैतिक और धार्मिक दृष्टि से अस्वीकार्य माना जाता है।
भारत बनाम अमेरिका: तर्क और ठोस रुख
भारत का रुख साफ है—या तो अमेरिका मांसाहारी चारे का इस्तेमाल बंद करे, या फिर दूध और डेयरी उत्पादों पर स्पष्ट लेबल लगाए, ताकि उपभोक्ता सच जान सकें।
अमेरिका का जवाब—यह हमारी कृषि प्रणाली का हिस्सा है, और लेबलिंग की शर्तें अनावश्यक व्यापारिक बाधा हैं।
असली सवाल—व्यापार या संस्कृति?
मुद्दा सिर्फ दूध का नहीं, बल्कि संस्कृति और वाणिज्य के टकराव का है। भारत के लिए यह धार्मिक व नैतिक आस्था का प्रश्न है; अमेरिका के लिए यह केवल व्यापार और खेती की पद्धति।
गाय और दूध की पवित्रता भारतीय मानस में गहरे तक रची-बसी है। अमेरिका से आने वाला “मांसाहारी दूध” इस सांस्कृतिक ताने-बाने से मेल नहीं खाता। भारत अगर अपनी परंपराओं और उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा करना चाहता है, तो उसे प्रतिबंध और लेबलिंग के अपने रुख पर अडिग रहना होगा।
यह विवाद साबित करता है—वैश्विक व्यापार में केवल मुनाफा ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक संवेदनशीलता का सम्मान भी उतना ही ज़रूरी है।