युवाओं, महिलाओं और अनुभवी नेताओं का संतुलन; शहरी-ग्रामीण समीकरण साधने की रणनीति, भाजपा-जेजेपी गढ़ में सेंध का लक्ष्य

नई दिल्ली/गुरुग्राम, 12 अगस्त। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने हरियाणा के सभी जिलों के लिए जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा कर दी है। एआईसीसी महासचिव के.सी. वेणुगोपाल द्वारा जारी सूची में 32 जिलों के अध्यक्षों के नाम शामिल हैं। पार्टी ने संगठनात्मक मजबूती और आगामी राजनीतिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए कई नए चेहरों को जिम्मेदारी सौंपी है, वहीं कुछ अनुभवी नेताओं को भी पद पर बनाए रखा गया है।
घोषित सूची के अनुसार, अंबाला कैंट से परविंदर पारी, अंबाला शहर से पवन अग्रवाल, अंबाला ग्रामीण से दुश्यंत चौहान, भिवानी ग्रामीण से अनुरुद्ध चौधरी, भिवानी शहरी से प्रदीप गुलिया, चरखी दादरी से सुशील धनक, फरीदाबाद से बलजीत कौशिक, फतेहाबाद से अरविंद शर्मा, गुरुग्राम ग्रामीण से वर्धन यादव और गुरुग्राम शहरी से पंकज डावर को जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
हिसार ग्रामीण में बृज लाल खुवाल, हिसार शहरी में बजरंग दास गर्ग, झज्जर में संजय यादव, जींद में ऋषि पाल, कैथल में रामचंदर गुज्जर, करनाल ग्रामीण में राजेश वैद, करनाल शहरी में पराग गाबा, कुरुक्षेत्र में मेवा सिंह, महेंद्रगढ़ में सत्यवीर यादव, मेवात (नूंह) में शाहिदा खान, पलवल में नेत्रपाल अधाना, पंचकूला में संजय चौहान, पानीपत ग्रामीण में रमेश मलिक, रेवाड़ी ग्रामीण में सुभाष चंद चौरी, रेवाड़ी शहरी में प्रवीन चौधरी, रोहतक ग्रामीण में बलवान सिंह रांगा, रोहतक शहरी में कुलदीप सिंह, सिरसा में संतोष बेनिवाल, सोनीपत ग्रामीण में संजीव कुमार दहिया, सोनीपत शहरी में कमल देवान, यमुनानगर ग्रामीण में नरपाल सिंह और यमुनानगर शहरी में देवेंद्र सिंह को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
राजनीतिक विश्लेषण और संभावित असर
हरियाणा में कांग्रेस ने जिलाध्यक्षों की सूची जारी कर यह साफ कर दिया है कि पार्टी आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए समय रहते संगठन को मजबूत करने में जुट गई है। सूची में युवाओं, महिलाओं और अनुभवी नेताओं का संतुलित मिश्रण देखा जा सकता है, जो पार्टी की व्यापक सामाजिक और राजनीतिक पहुंच बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
मेवात (नूंह) में शाहिदा खान की नियुक्ति को अल्पसंख्यक वर्ग में कांग्रेस की पकड़ मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, वहीं गुरुग्राम, फरीदाबाद और पंचकूला जैसे शहरी क्षेत्रों में अपेक्षाकृत सक्रिय और नेटवर्क मजबूत रखने वाले नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है, ताकि भाजपा के शहरी गढ़ में सेंध लगाई जा सके।
रोहतक, जींद, भिवानी और सिरसा जैसे जाट बहुल इलाकों में जाट नेतृत्व को वरीयता देकर पार्टी ने किसान और ग्रामीण वोट बैंक को साधने का संदेश दिया है। वहीं, सिरसा में संतोष बेनिवाल जैसी महिला नेता को आगे कर कांग्रेस ने महिला सशक्तिकरण और नए नेतृत्व को बढ़ावा देने की छवि पेश की है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इन नियुक्तियों से कांग्रेस का जमीनी नेटवर्क मजबूत होगा और टिकट बंटवारे से पहले गुटबाज़ी पर भी नियंत्रण पाया जा सकेगा। हालांकि, चुनौतियां कम नहीं हैं—भाजपा और जेजेपी का संयुक्त प्रभाव, क्षेत्रीय मुद्दों पर जनता की नाराजगी को भुनाने की रणनीति, और संगठनात्मक एकजुटता को बनाए रखना कांग्रेस के लिए अभी भी बड़ी कसौटी होगी।