64 वर्ष पुराने आयकर अधिनियम 1961 का सरलीकृत रूप-अनावश्यक धाराओं, अध्यायों और जटिल भाषा का अंत

संसद में एसआईआर मुद्दे पर हंगामें के बीच,मात्र 3 मिनट में नया आयकर विधेयक 2025,ध्वनिमत से पारित- 1 अप्रैल 2026 से लागू होने की संभावना

-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

गोंदिया-वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में तेजी से बदलते हालातों के बीच भारत ने अपने वित्तीय और कर प्रशासन को आधुनिक व सरल बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। संसद ने मात्र तीन मिनट में ध्वनिमत से नया आयकर विधेयक 2025 पारित कर दिया, जो 1 अप्रैल 2026 से लागू होने की संभावना है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ यह कानून देशभर में लागू हो जाएगा। यह 64 वर्ष पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेगा, जिसे अनावश्यक शब्दों, धाराओं और अध्यायों को हटाकर छोटा और सरल बनाया गया है।

पृष्ठभूमि और आवश्यकता

भारत के विजन 2047 को साकार करने के लिए कर संग्रह प्रणाली का पारदर्शी, सरल और आधुनिक होना अत्यावश्यक था। मौजूदा आयकर अधिनियम में 60 से अधिक वर्षों में हुए अनेक संशोधनों और जटिलताओं ने इसे आम करदाता के लिए कठिन बना दिया था।1961 के अधिनियम में धाराओं की संख्या 819 और अध्यायों की संख्या 47 थी, जिसे घटाकर अब 536 धाराएं और 23 अध्याय कर दिए गए हैं। शब्दों की संख्या 5.12 लाख से घटाकर 2.6 लाख कर दी गई है, जिससे इसे पढ़ना और समझना आसान होगा।

संसदीय प्रक्रिया और तीव्र पारितीकरण

11 अगस्त 2025 को लोकसभा और 12 अगस्त को राज्यसभा में यह विधेयक विपक्षी सदस्यों की अनुपस्थिति के बीच ध्वनिमत से पारित हुआ। संसद में एसआईआर मुद्दे पर हंगामे के बीच भी इसे रिकॉर्ड समय में मंजूरी मिल गई। वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह बदलाव केवल सतही नहीं, बल्कि टैक्स प्रशासन में बुनियादी सुधार हैं।

मुख्य प्रावधान और बदलाव

  1. कानून का सरलीकरण – भाषा को सरल और आधुनिक अर्थव्यवस्था के अनुरूप बनाया गया।
  2. धाराओं और अध्यायों की कमी – 819 से घटाकर 536 धाराएं, 47 से घटाकर 23 अध्याय।
  3. टीडीएस में राहत – शून्य टीडीएस प्रमाणपत्र की सुविधा।
  4. डिविडेंड टैक्स छूट – सेक्शन 80एम की पुनः शुरुआत।
  5. आईटीआर रिफंड में आसानी – समय सीमा के बाद दाखिल रिटर्न पर भी रिफंड में परेशानी नहीं।
  6. अप्रयुक्त संपत्ति पर राहत – लंबे समय से खाली बिजनेस प्रॉपर्टी पर टैक्स नहीं।
  7. टैक्स ईयर कॉन्सेप्ट – प्रीवियस ईयर और असेसमेंट ईयर की जगह नया कॉन्सेप्ट।
  8. मुकदमेबाजी में कमी – अस्पष्ट और कठिन प्रावधान हटाकर विवादित टैक्स डिमांड में कमी का लक्ष्य।

ऐतिहासिक संदर्भ

2010 में प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक लाने की कोशिश हुई थी, लेकिन सरकार बदलने से वह रद्द हो गया। अब 2025 में यह सपना साकार हुआ है। 7 फरवरी 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसे मंजूरी दी और स्थायी समिति की 285 सिफारिशों के बाद संशोधित रूप में संसद में पेश किया गया।

सरकार के लिए सुझाव

कर विशेषज्ञ और लेखक एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी का मानना है कि कर प्रणाली को सरल बनाने के साथ-साथ सरकार को रेवड़ियां बांटने पर लगाम लगानी चाहिए। यदि करदाताओं का धन केवल मुफ्त योजनाओं में खर्च होगा, तो विकास की रफ्तार धीमी पड़ सकती है। इसलिए इस मानसून सत्र में ही इसके लिए अलग कानून लाने की आवश्यकता है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि नया आयकर विधेयक 2025 केवल एक कानून नहीं, बल्कि कर प्रशासन के दृष्टिकोण में बदलाव का प्रतीक है। इससे करोड़ों करदाताओं के लिए नियमों को समझना आसान होगा, अनुपालन बढ़ेगा और सरकार को दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता मिलेगी। यदि इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो यह भारत की आर्थिक प्रगति में मील का पत्थर साबित होगा।

संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ, स्तंभकार, साहित्यकार, अंतरराष्ट्रीय लेखक, चिंतक, कवि, संगीत माध्यमा, सीए(एटीसी)एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र

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