पंडित ऋषि राज शिति कण्ठा

पंडित ऋषि राज शिति कण्ठा का कहना है कि, पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 15 अगस्त को रात 11 बजकर 51 मिनट पर प्रारंभ होगी और 16 अगस्त को रात 09 बजकर 34 मिनट पर अष्टमी तिथि का समापन होगा। जब अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का मिलन नहीं हो रहा हो तो उदया अष्टमी तिथि के मुताबिक श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इसके नाम से ही स्पष्ट है कि जन्माष्टमी ,अर्थात् जन्म के समय अष्टमी तिथि का होना ,ऐसे में उदया तिथि के मुताबिक, 16 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी।

गोगा नवमी 17 अगस्त, रविवार को मनाई जाएगी। नवमी तिथि 16 अगस्त को रात 9:35बजे शुरू होगी और 17 अगस्त को शाम 7:22 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, गोगा नवमी 17 अगस्त को मनाई जाएगी।

पंडित पंडित ऋषि राज शर्मा ने बताया कि स्मार्त और वैष्णव, हिंदू धर्म में दो अलग-अलग समुदाय हैं। स्मार्त वे हैं जो पांच देवताओं गणेश, सूर्य, विष्णु, शिव और देवी की पूजा करते हैं, जबकि वैष्णव मुख्य रूप से भगवान विष्णु या उनके अवतारों जैसे कृष्ण के भक्त होते हैं. स्मार्त समुदाय में अद्वैत वेदांत दर्शन का प्रभाव है, जो मानता है कि सभी चीजें एक ही परम वास्तविकता (ब्रह्म) से निकली हैं. वैष्णव मुख्य रूप से भगवान विष्णु और उनके विभिन्न अवतारों जैसे राम, कृष्ण, नरसिंह, आदि की पूजा करते हैं.

स्मार्त संप्रदाय , 15 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मनाएंगे , और वैष्णव संप्रदाय के लोग 16 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे, और इस दिन वे पूरे दिन उपवास रखेंगे और इस तरह निशीथ काल की पूजा को 00:05 से 00:47 बजे तक कर सकेंगे.

श्री कृष्ण को जन्माष्टमी के दिन माखन के अलावा उनका पसंदीदा भोग धनिया पंजीरी प्रसाद भी चढ़ाया जाता है।
श्रीकृष्ण को माखन मिश्री दूध काफी पसंद हैं, ऐसे में आप जन्माष्टमी के दिन शुद्ध माखन में मिला कर मिश्री का भोग लगाएं.

मोहन भोग , यह श्रीकृष्ण को काफी पसंद है. इसे गेहूं के आटे को शुद्ध गाय के घी में भूनकर पंचमेवा मिलाकर मिश्री चूर्ण से बनाया जाता है. आप भगवान श्रीकृष्ण को श्रीखंड का भोग लगा सकते हैं. शास्त्रों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि श्रीकृष्ण को राधा रानी के हाथ के बनाए हुए मालपुए काफी पसंद आते थे और वे खूब चाव से खाते थे. ऐसे में आप भी जन्माष्टमी पर मालपुए का भोग लगा सकते हैं.

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