भिवानी/शशी कौशिक
सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व कर्मचारी फैडरेशनों के आह्वान पर की गई राष्ट्रव्यापी हड़ताल का कई महकमों में व्यापक असर हुआ तथा कुछ में आंशिक प्रभाव पड़ा। हड़ताल के कारण बैंक, बीमा, नगरपालिका, डाकखाना, जन स्वास्थ्य, शिक्षा बोर्ड, आईटीआई, बीएण्डआर, वन विभाग, बिजली, सिंचाई, ट्यूरिज्म में हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिला और अधिकतर काम काज ठप्प रहा। वहीं रोड़वेज, मिनि सचिवालय, पटवारखाना, खजाना आदि विभागों में आंशिक असर रहा।
विभिन्न ट्रेड यूनियनों व कर्मचारी संगठनों के आह्वान पर कर्मचारी व मजदूर नेहरू पार्क में एकत्रित हुए। जिसकी संयुक्त अध्यक्षता एटक से फूल सिंह इंदौरा, सीटू से रत्न कुमार जिंदल, इंटक से सतबीर फरटिया, सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा से सुरजभान जटासरा, एचएमएस से कविता दहिया, ऑल इंडिया यूटीयूसी से राज कुमार बासिया, हरियाणा बैंक इम्लाईज फैडरेशन से दीपक कुमार, पीटीआई से विनोद सांगा द्वारा की गई। प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए विभिन्न नेताओं ने केंद्र व राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों पर जोरदार हमला बोला। सभी ने एक स्वर में कहा कि केंद्र की मोदी सरकार बड़े बड़े कारपोरेट की शह पर उनके मुनाफे बढ़ाने के लिए सभी महकमें व खेती को उन्हें मुफ्त में दिया जा रहा है। परिणाम स्वरूप बड़े पैमाने पर बेरोजगारी, महंगाई, छटनी, ठेका प्रथा बढ़ रही है। नियमित रोजगार खत्म कर दिया गया है।
किसान विरोधी कृषि कानून लाकर किसानों के हितों को कारपोरेट के गिरवी रखा जा रहा है। इससे खादय, आत्म निर्भरता व आर्थिक सम्प्रभुता तथा देश की आत्म निर्भरता को खत्म किया जा रहा है। श्रम कानूनों व कृषि कानूनों को बदलकर किसान, कर्मचारी, मजदूरों को पूंजीपतियों का बंधक बनाया जा रहा है। किसानों की जगह जगह गिरफ्तारी करके खट्टर और मोदी सरकार तानाशाही से आंदोलन को कुचलने का काम कर रही है। जनता इसे किसी भी सूरत में सहन नहीं करेगी। उन्होंने सभी किसानों को तुरंत रिहा करने की मांग की।