धरने पर चार प्रस्ताव रख दी सरकार को चेतावनी
चरखी दादरी जयवीर फोगाट
किसान आंदोलन शुरू होने के 66 दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नींद से जागे हैं और कह रहे हैं कि वो महज एक फोन की दूरी पर हैं। लेकिन उनकी कथनी और करनी में अंतर है। यह आरोप कितलाना टोल पर किसानों के अनिश्चित कालीन धरने पर बोलते हुए वक्ताओं ने लगाए। उन्होंने कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री बातचीत की बात कह रहे हैं वहीं दूसरी ओर किसानों के धरना स्थलों की बिजली पानी काटी जा रही है जो अमानवीय है साथ में बहुत सी जगह पुलिस और प्रशासन किसानों को धरनों पर पहुंचने से रोक रही है। उन्होंने चेताते देते हुए कहा कि ये सहन नहीं किया जाएगा।
धरने पर किसान नेता राजू मान ने चार प्रस्ताव रखे जिसमें सरकार से मांग की गई कि 27 और 28 जनवरी को सिंधु और गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस की मौजूदगी में जिन लोगों ने किसानों पर पथराव किया गया उनपर 307 का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार किया जाए। उस मौके पर जिन अधिकारियों की ड्यूटी थी और जिन्होंने कोताही बरती उन पर भी मुकदमा दर्ज हो। गणतंत्र दिवस पर लालकिले की घटना में दोषी दीप सिद्धू को पकड़ा जाए और उस दिन जिन बेकसूर किसानों को पकड़ा गया उन्हें रिहा किया जाए। इसके साथ उसी दिन पुलिस ने जिन निर्दोष किसानों पर बेहरमी से लाठीचार्ज किया उनकी आर्थिक मदद की जाए और पुलिस ने बहुत से ट्रैक्टरों को बुरी तरह तोड़ा उनकी क्षतिपूर्ती की जाए। धरने पर हाजिर लोगों ने हाथ उठाकर अनुमोदन के साथ सरकार को एक सप्ताह में पूरे करने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि सरकार ने ये मांगे पूरी नहीं की तो महापंचायत बुलाकर कड़े फैसले लिए जाएंगे।
कितलाना टोल पर चल रहे किसानों के अनिश्चित कालीन धरने के 38वें दिन नरसिंह डीपीई, मास्टर ओमप्रकाश, राजसिंह जताई, बिजेंद्र बेरला, मंगल सुई, राकेश आर्य, रणधीर कुंगड़, सुभाष यादव ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मीडिया में दिखावे से बाहर निकलें और उनके दिल में लेश मात्र भी देश के अन्नदाताओं के लिए सम्मान है तो खुद पहल करके समय और स्थान निश्चित कर संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व से बात करें और इसका समाधान निकालें। आज भी टोल फ्री रहा।
मंच संचालन गंगाराम श्योराण ने किया। सुरेश मान और कल्याणी ने देशभक्ति की रचना सुना धरनारत किसानों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर शमशेर फौगाट, मास्टर रणधीर हुई, राजकुमार हड़ौदी, कमल प्रधान, मुकेश पहाड़ी, दिलबाग नीमड़ी, बलबीर बजाड़, चारु सांगवान, अधिवक्ता ब्रह्मानन्द, जयभगवान, दिलबाग ग्रेवाल, रत्तन जिंदल, राजकुमार घिकाड़ा, विजय लाम्बा, भीम सिंह द्वारका, मास्टर रोशनलाल, कृष्ण फौगाट, दलबीर सरपंच, निर्मला देवी, बीरमति, कृष्णा छपार, संदीप खरकिया, राजसिंह चंदेनी, धर्मबीर शर्मा, शेरसिंह सरपंच, अनिल यादव, अजित सांगवान, अत्तर सिंह प्रजापत, ईश्वर प्रजापत, उमेद बोहरा, हुक्मसिंह, राममेहर इत्यादि मौजूद थे।