– मंत्री धरने को समाप्त नहीं करवाते तो यह सरकार की फजीहत होगी ।
– एक तरफ सरकार का विरोध, दूसरी तरफ सरकार के मंत्री का सम्मान कर रही है बार एसोसिएशन
– आरोप: मंत्री को बार में बुलाना, चंद लोगों द्वारा आंदोलन कमजोर करने की साजिश
भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल । एक तरफ जहाँ जिला बार एसोसिएशन प्रदेश सरकार के विरोध में धरने पर बैठी है वही दूसरी तरफ प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री रणजीत सिंह का सम्मान करने के लिए बार एसोसिएशन उन्हें बार में आमंत्रित कर रही है। यह दोनों बातें परस्पर विरोधाभासी है । यह विषय चर्चा का विषय बना हुआ है। जिन व्यापारियों ने जिला बार एसोसिएशन की संघर्ष समिति के आह्वान पर 9 फरवरी को बाजार बंद किया था अब वो संघर्ष समिति के दोहरे मापदंडों पर सवाल खड़े कर रहे है।
यहां देखने वाली भी बात है कि हरियाणा के बिजली मंत्री चौधरी रणजीत सिंह की भूमिका क्या रहेगी ? वह आश्वासन देकर नारनौल के अधिवक्ताओं के धरने को समाप्त कराने में सफल होते हैं या नहीं । अगर वह धरना समाप्त करने में सफल होते हैं तो क्या जिला संघर्ष समिति इससे सहमत होगी? क्या इससे बार का व्यापारियों के साथ-साथ अन्य लोगों से मतभेद नहीं बढ़ेगा? क्योंकि यह मामला केवल नारनौल बार से नहीं जुड़ा हुआ है अपितु जिला बचाने को लेकर क्षेत्र वह शहर के नागरिक, व्यापारी और दूसरे तबके के लोग भी इस आंदोलन से भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं। अगर मंत्री धरने को समाप्त नहीं करवा पाते हैं तो क्या यह सरकार की फजीहत नहीं होगी? क्या प्रशासन व सरकार के खुफिया विभाग ने मंत्री को इस बारे में आगाह नहीं किया? क्योंकि मंत्री के काफिले का ठहराव धरना स्थल पर ही होगा ।
गौरतलब है कि जिला बार एसोसिएशन गत 22 दिनों से प्रदेश सरकार के दो पत्रों के विरोध में धरने पर बैठी है। सरकार ने एक पत्र महेंद्रगढ़ न्यायालय में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश को बैठाने की सहमति के लिए उच्च न्यायालय को लिखा हुआ है व दूसरा पत्र प्रत्येक मंगलवार को जिला स्तर के अधिकारियों को महेंद्रगढ़ में बैठने के आदेश बारे है। सरकार द्वारा जारी इन दोनों पत्रों के जारी होते ही गत 4 फरवरी से जिला बार एसोसिएशन अदालती कार्य को रोक कर न्यायालय परिसर में ही टैंट लगा कर सरकार के विरोध में धरने पर बैठ गयी थी। बार एसोसिएशन ने जिला बचाओ संघर्ष समिति बनाई एवं व्यापारियों का सहयोग लेकर 9 फरवरी को बाजार बंद किया। उन्होंने नांगल चौधरी के विधायक अभय सिंह, राज्यमंत्री ओम प्रकाश को व केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को ज्ञापन सौपें थे। इन्हीं पत्रों के विरोध में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से गुरुग्राम में मुलाकात की थी, जहाँ मुख्यमंत्री ने उन्हें जिला मुख्यालय स्थानांतरित नहीं करने का आश्वासन दिया था, किन्तु संघर्ष समिति ने उनके आश्वासन को दरकिनार करते हुए सरकार के प्रति अपना विरोध जारी रखा।
अब जिला बचाओ संघर्ष समिति की अगुवाई कर रही जिला बार एसोसिएशन नारनौल के दो दिवसीय दौरे पर आए प्रदेश के बिजली मंत्री रणजीत सिंह का सम्मान करने के लिए उन्हें बार एसोसिएशन में बुला रही है। यह भी पता चला है कि बार एसोसिएशन मंत्री से भारी भरकम राशि भी बार एसोसिएशन में लेना चाहती है। इन्हीं चर्चाओं के कारण बाजार के व्यापारी व अन्य सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। जनता में एक सवाल उभर रहा है कि क्या बार एसोसिएशन अपने निहित स्वार्थ के लिए ही विरोध कर रही थी।
वही कुछ अधिवक्ताओं ने आशंका जाहिर की है कि अधिवक्ताओं ने आज भी हाथ पर काला रिबन बांध कर, कैंडल मार्च किया है, जिला बार एसोसिएशन में करीब 700 से अधिक अधिवक्ता हैं, ऐसे में यदि किसी ने मंत्री के विरोध में नारेबाजी कर दी या काला कपड़ा लहरा दिया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?
कुछ अधिवक्ताओं ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि मंत्री जी को बार में बुलाने का निर्णय लेने के लिए ना तो कोई बैठक आहूत की व ना ही किसी से पूछा गया। यह मात्र कुछ लोगों का फैसला है, जो आंदोलन को कमजोर करना चाहते हैं। उनका कहना है कि यह वो लोग है जो किसी झूठे सच्चे आश्वासन की आड़ में इस आंदोलन को समाप्त करना चाहते हैं या इस आंदोलन की आड़ में सरकारी ग्रांट ऐंठना चाहते हैं।
इस मामले को लेकर महेंद्रगढ़ से भाजपा नेता एवं पूर्व शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा ने नांगल चौधरी के विधायक डॉ अभय सिंह यादव पर खुलेआम आरोप लगाया था कि इस मामले को तूल वही दे रहे हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस मामले में भिवानी-महेंद्रगढ़ से सांसद चौधरी धर्मवीर सिंह और प्रोफेसर रामविलास शर्मा महेंद्रगढ़ को लाभ मिलने के पक्षधर हैं वहीं दूसरी तरफ है डॉ अभय सिंह यादव तथा हरियाणा में राज्य मंत्री ओम प्रकाश यादव यथास्थिति रखने के पक्षधर हैं। यह दीगर बात है कि दोनों की आपस में छनती नहीं। वही अटेली से भाजपा के विधायक सीताराम यादव प्रशासन का महेंद्रगढ़ में 1 दिन बैठना तथा एडीजे कोर्ट खुलना उचित मानते हैं वही जिला मुख्यालय की स्थिति जस की तस रखने के पक्षधर है। सांसद और पूर्व मंत्री की कोशिश से ही सरकार ने महेंद्रगढ़ में प्रशासन को एक दिन बैठने का आदेश किया है। जब यह लगने लगा कि जिला मुख्यालय महेंद्रगढ़ स्थानांतरित हो सकता है तो एकाएक नारनौल के समाजसेवी सक्रिय हुए। नारनोल के अधिवक्ता महेंद्रगढ़ में एडीजे कोर्ट खोले जाने का समाचार पाते ही आंदोलित हो गये।