नया लोकतंत्र? (संपादकीय स्थान रिक्त है) : “जब कलम चुप हो जाए: लोकतंत्र का शोकगीत”
आपातकाल के दौरान अख़बारों ने विरोध में अपना संपादकीय कॉलम ख़ाली छोड़ा था। आज औपचारिक सेंसरशिप नहीं है, लेकिन आत्म-सेन्सरशिप, भय और ‘राष्ट्रभक्ति’ के नाम पर विचारों का गला घोंटा…