Category: देश

“बेटियाँ थमीं, रास्ते नहीं थे: शिक्षा से दूर होती उम्मीदें और हमारी चुप्पी”

“बेटियाँ क्यों छोड़ रही हैं स्कूल? सवाल सड़कों, शौचालयों और सोच का है” “39% लड़कियाँ स्कूल से बाहर: किसकी जिम्मेदारी?” “‘बेटी पढ़ाओ’ का सच: किताबों से पहले रास्ते चाहिए” राष्ट्रीय…

प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की राष्ट्रपति से अचानक मुलाकात ने बढ़ाई सियासी सरगर्मी !

सरकार के दो मुख्य स्तंभों का मानसून सत्र में राष्ट्रपति से मिलना कोई बड़ा फैसला,बड़ा बिल,जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा या फिर उपराष्ट्रपति चुनाव का मामला? सरकार के…

वरिष्ठ पत्रकार नितिन वालिया होंगे 25वें ‘उन्नत भारत सेवाश्री पुरस्कार 2025’ से सम्मानित

पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान हेतु ‘मीडिया सेवा’ श्रेणी में चयन। नई दिल्ली – लोहारू, प्रमोद कौशिक 3 अगस्त : लोक-समाज की प्रेरणा बनकर पत्रकारिता में जनहित का कार्य करने वाले…

रिश्तों की हत्या का आधुनिक ट्रेंड : नौकरी लगते ही पतियों को छोड़ रही हैं आधुनिक औरतें ……..

“रोज़गार मिला, रिश्ते छूटे,जिसने पढ़ाया, वही पराया हो गया” विवाह अब त्याग और समर्पण की बजाय स्वार्थ और स्वतंत्रता की शरण में चला गया है। अनेक मामले सामने आ रहे…

अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस 3 अगस्त 2025 विशेष लेख-” राजनीति और मित्रता – आदर्श या अवसरवाद?

अच्छे मित्र का साथ हो तो, बड़ी से बड़ी चुनौतियों से आसानी से निपटा जा सकता है” मित्रता एक ऐसा भावनात्मक रिश्ता है,जो रक्त संबंधों से परे दिलों की निकटता…

जब बच्चों की शिक्षा पर भारी पड़ता है पाखंड

भारत में बच्चों की शिक्षा को लेकर सबसे बड़ा संकट केवल गरीबी या संसाधनों की कमी नहीं, बल्कि धार्मिक पाखंड है। कुछ स्वयंभू बाबाओं द्वारा शिक्षा को अपवित्र, स्त्रियों के…

“एक बार विधायक, उम्रभर ऐश!” : “5 साल की कुर्सी बनाम 60 साल की नौकरी: पेंशन का पक्षपात”

एक कर्मचारी 60 साल काम करने के बाद भी पेंशन के लिए तरसता है, जबकि एक नेता 5 साल सत्ता में रहकर जीवनभर पेंशन पाता है। यह लोकतांत्रिक समानता के…

“स्क्रीन का शिकंजा: ऑस्ट्रेलिया से सबक लेता भारत?”

ऑस्ट्रेलिया ने 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए यूट्यूब समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध लगाने का साहसिक फैसला लिया है। यह कदम बच्चों को ऑनलाइन…

एमबीबीएस का विकल्प: स्वास्थ्य सेवा में उज्ज्वल करियर की राहें

✍️ विजय गर्ग यदि आप स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं, लेकिन किसी कारणवश एमबीबीएस नहीं करना चाहते या नहीं कर पा रहे हैं, तो चिंता की…

उधम सिंह सरदार: एक गोली, सौ सालों की गूंज ……. लंदन की अदालत में भारत की गरिमा का नाम

उधम सिंह केवल एक क्रांतिकारी नहीं थे, बल्कि एक विचार थे—संयम, संकल्प और सत्य का प्रतीक। जलियांवाला बाग़ के नरसंहार का प्रत्यक्षदर्शी यह वीर 21 वर्षों तक चुपचाप अपने मिशन…