यूएन में अमेरिका ने रूस का साथ देकर चौंकाया – आखिर झुक गया यूक्रेन? क्या रूस भी मोहरा बना?

अमेरिकी फर्स्ट के आगे यूक्रेन ने घुटने टेके-अमेरिका से खनिज़ समझौते पर सहमत – शुक्रवार को वाशिंगटन में बातचीत

– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

वैश्विक राजनीति में हमेशा से यह कहा जाता रहा है कि “जिसकी लाठी, उसकी भैंस!” अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के साथ ही यह कहावत फिर से चरितार्थ हो रही है। ट्रंप ने सत्ता में लौटते ही अपनी “अमेरिका फर्स्ट” नीति को आक्रामक तरीके से लागू करना शुरू कर दिया है। अवैध प्रवासियों पर सख्त रुख, नए टैरिफ, रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त कराने की पहल और अब आर्थिक सुधारों की आड़ में यूक्रेन से खनिज संपदा हासिल करने की रणनीति—इन सबने दुनिया को चौंका दिया है।

यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध में अब अमेरिका ने अप्रत्याशित रूप से अपना रुख बदलते हुए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में रूस के पक्ष में वोटिंग कर दी, जिससे यूरोपीय संघ दंग रह गया और यूक्रेन पर जबरदस्त दबाव बन गया। इस घटनाक्रम के बीच, ट्रंप और जेलेंस्की के बीच शुक्रवार को वाशिंगटन में एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है, जहां आर्थिक और खनिज समझौतों पर चर्चा होगी।

यूएन वोटिंग में अमेरिका का रुख – यूक्रेन को झटका!

25 फरवरी 2025 को संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के समर्थन में आए प्रस्ताव के खिलाफ अमेरिका ने रूस के पक्ष में मतदान किया। इस प्रस्ताव में रूस की आक्रामकता की निंदा की गई थी और रूसी सैनिकों की तत्काल वापसी की मांग की गई थी, लेकिन अमेरिका ने इस पर समर्थन नहीं दिया।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में हुए इस मतदान में 93 देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया, 18 ने विरोध किया, और 65 देश मतदान से दूर रहे। पिछले मतदानों की तुलना में यह संख्या काफी कम थी, जिससे यह संकेत मिलता है कि दुनिया में यूक्रेन के समर्थन में कमी आ रही है।

यूक्रेन पर बढ़ता दबाव – खनिज संपदा के बदले अमेरिका का समर्थन?

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने संकेत दिया है कि अमेरिका के साथ एक आर्थिक समझौते की रूपरेखा तैयार हो गई है, लेकिन यह अभी अंतिम रूप नहीं ले पाया है। इस समझौते के तहत, अमेरिका को यूक्रेन की दुर्लभ खनिज संपदा का उपयोग करने की अनुमति मिल सकती है।

ट्रंप प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अगर यूक्रेन को अमेरिकी सैन्य और आर्थिक मदद जारी रखनी है, तो उसे बदले में खनिज संपदा और अन्य संसाधनों को अमेरिका के साथ साझा करना होगा। यही कारण है कि शुक्रवार को वाशिंगटन में होने वाली वार्ता को बेहद अहम माना जा रहा है।

अमेरिका को क्यों चाहिए यूक्रेन के रेयर अर्थ मिनरल्स?

रेयर अर्थ मिनरल्स यानी दुर्लभ खनिज वे तत्व होते हैं, जो आधुनिक तकनीक, इलेक्ट्रॉनिक्स, नवीकरणीय ऊर्जा और रक्षा प्रणालियों के निर्माण में बेहद जरूरी होते हैं। इनमें लैंथेनम,सेरियम,नियोडाइमियम, समेरियम, यूरोपियम, गैडोलिनियम, टर्बियम, डिसप्रोसियम, थुलियम, लुटेटियम आदि प्रमुख हैं।

अमेरिका के यूक्रेन से इन खनिजों को हासिल करने की चाहत के पीछे कई रणनीतिक कारण हैं:

  1. चीन पर निर्भरता कम करना: वर्तमान में चीन दुर्लभ खनिजों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। अमेरिका नहीं चाहता कि उसकी अर्थव्यवस्था चीन पर निर्भर रहे।
  2. टेक्नोलॉजी में बढ़त: इन खनिजों का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक गाड़ियों, सोलर पैनल, कंप्यूटर, और सैन्य उपकरणों में किया जाता है।
  3. यूक्रेन की आर्थिक मजबूती: यूक्रेन के पास इन खनिजों का बड़ा भंडार है, लेकिन अभी तक उसका पूरी तरह दोहन नहीं हुआ है। अमेरिका इसमें मदद कर सकता है, जिससे यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
  4. रूस पर दबाव बनाए रखना: यूक्रेन को मजबूत कर अमेरिका रूस के खिलाफ एक रणनीतिक संतुलन बनाए रखना चाहता है।

यूरोपीय यूनियन के लिए चेतावनी!

अमेरिका के इस नए कदम से यूरोपीय संघ (EU) असहज हो गया है। कई यूरोपीय देशों ने मिलकर यूक्रेन का समर्थन किया था, लेकिन अब अमेरिका की बदली हुई रणनीति से यूरोप को झटका लगा है। फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, पोलैंड, इटली, और स्पेन जैसे देशों ने एकजुट होकर यह सुनिश्चित करने की बात कही है कि बिना उनकी भागीदारी के यूक्रेन में कोई स्थायी शांति नहीं हो सकती।

स्पेन ने इस मुद्दे पर कहा कि “युद्ध न्यायसंगत तरीके से समाप्त होना चाहिए।” जर्मनी ने यूरोपीय संघ से इस मामले में एकजुट रहने का आह्वान किया है।

ट्रंप, रूस और अमेरिका – कौन किसका मोहरा?

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या अमेरिका रूस को सिर्फ एक मोहरे के रूप में इस्तेमाल कर रहा है? अमेरिका ने रूस के पक्ष में यूएन में वोटिंग कर दुनिया को चौंका दिया, लेकिन इसके पीछे असली एजेंडा क्या है?

क्या रूस को भी इस खेल में इस्तेमाल किया जा रहा है?

क्या अमेरिका, रूस के समर्थन के बदले यूक्रेन से खनिज संपदा हासिल करना चाहता है?

क्या यूरोप अब अमेरिका से अलग होकर यूक्रेन का समर्थन करेगा?

इन सभी सवालों के जवाब आने वाले दिनों में ट्रंप और जेलेंस्की की वार्ता के बाद और स्पष्ट होंगे।

निष्कर्ष

ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति अब वैश्विक मंच पर अपनी गहरी छाप छोड़ रही है। यूएन में रूस का समर्थन, यूरोपीय यूनियन से अलग रणनीति, और यूक्रेन पर खनिज संपदा के बदले दबाव डालना—ये सभी फैसले वैश्विक राजनीति को नया मोड़ दे रहे हैं।

अमेरिका अब अपने आर्थिक और सैन्य लाभ को सर्वोपरि रखते हुए रणनीतिक गठबंधन बना रहा है, जिससे यूक्रेन और यूरोप असमंजस में आ गए हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अमेरिका और रूस के बीच यह नई दोस्ती टिकाऊ होगी, या फिर यह केवल एक अस्थायी राजनीतिक चाल है?

-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

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