4 मार्च 2025 से लागू होंगे नए टैरिफ
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर ट्रंप के टैरिफ अटैक का प्रभाव
भारत का यूरोपीय यूनियन सहित अनेक देशों से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट होना समय की मांग
-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

कोविड-19 के बाद से वैश्विक अर्थव्यवस्था में अस्थिरता देखी गई, और देशों ने अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए विभिन्न नीतियां अपनाईं। इसी क्रम में, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी 2025 को शपथ ग्रहण करने के बाद अपने चुनावी वादों को तेजी से पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
27 फरवरी 2025 को, ट्रंप प्रशासन ने यूरोपीय यूनियन पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की। इसके अलावा, चीन पर मौजूदा 10% टैरिफ को बढ़ाकर 20% कर दिया गया। कनाडा और मैक्सिको पर टैरिफ 4 मार्च 2025 से लागू किए जाएंगे। ट्रंप प्रशासन “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और विदेशी व्यापार में अमेरिका की स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए यह कदम उठा रहा है।
अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक व्यापार की स्थिति
अमेरिका के इन फैसलों से वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मची हुई है। विशेष रूप से, अगर अमेरिका अपने प्रमुख व्यापारिक साझेदारों कनाडा और मैक्सिको पर भारी टैरिफ लगाता है, तो इसका असर उपभोक्ता महंगाई और ऑटोमोबाइल सेक्टर पर देखने को मिलेगा। 4 मार्च 2025 से लागू होने वाले 25% टैरिफ से कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां प्रभावित होंगी।
ट्रंप प्रशासन के इस कदम से भारत भी सतर्क हो गया है। भारत, जो पहले से ही यूरोपीय यूनियन सहित कई देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर विचार कर रहा था, अब इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ा सकता है।

ट्रंप का नया प्रवासन कार्यक्रम
ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका में विदेशी निवेशकों के लिए नागरिकता प्राप्त करने का सीधा मार्ग खोल दिया है। अब, कोई भी व्यक्ति 50 लाख डॉलर (लगभग 43.7 करोड़ रुपये) का निवेश कर अमेरिका में स्थायी निवास प्राप्त कर सकता है। हालांकि, यह कदम भारतीय एच-1बी वीजा धारकों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि इससे उनकी अमेरिका में बसने की संभावनाएं सीमित हो सकती हैं।
यूरोपीय यूनियन की प्रतिक्रिया
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यूरोपीय यूनियन पर लगाए गए 25% टैरिफ के फैसले ने वैश्विक व्यापारिक संबंधों को प्रभावित किया है। ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा कि यूरोपीय संघ का गठन अमेरिका को व्यापारिक नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया था, और अब अमेरिका इसका जवाब देने के लिए तैयार है। ट्रंप प्रशासन ने यह भी संकेत दिया कि भारत और चीन जैसे देशों पर भी पारस्परिक टैरिफ (Reciprocal Tariffs) लगाए जाएंगे।
भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच बढ़ते व्यापारिक संबंध

भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच आर्थिक सहयोग को और अधिक मजबूत करने के लिए यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन 27 फरवरी 2024 को भारत पहुंचीं। इस यात्रा के दौरान, दोनों पक्षों ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप देने पर विचार-विमर्श किया। यूरोपीय संघ भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को गहरा करना चाहता है, जिससे दोनों अर्थव्यवस्थाओं को लाभ हो सके।
2023 में भारत और यूरोपीय संघ के बीच 135 बिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ, जिसमें भारत से निर्यात 76 बिलियन डॉलर और आयात 59 बिलियन डॉलर रहा। सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार 53 बिलियन डॉलर तक पहुंचा। भारत में लगभग 6,000 यूरोपीय कंपनियां कार्यरत हैं, और यूरोपीय संघ का निवेश 117 बिलियन डॉलर से अधिक है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ अटैक ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को झकझोर दिया है। यूरोपीय यूनियन, कनाडा, चीन और मैक्सिको पर लगाए गए भारी टैरिफ से अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रभावित होगा। इस स्थिति में, भारत को यूरोपीय यूनियन और अन्य देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को तेजी से लागू करना होगा ताकि वैश्विक व्यापारिक प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति को मजबूत किया जा सके।
-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र