– भारत के वित्तीय विकास में महिलाओं की विशेष भूमिका

महिलाओं में वित्तीय जागरूकता में 42% की वृद्धि

भारत की आर्थिक वृद्धि व प्रगति में महिला कामकाजी पेशवारों की प्रतिभा समर्पण उत्साह मेहनत का सराहनीय योगदान है

– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

गोंदिया, महाराष्ट्र – भारत की आर्थिक प्रगति में महिलाओं की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है। उनकी प्रतिभा, समर्पण, उत्साह और मेहनत का योगदान सराहनीय रहा है। हाल ही में नीति आयोग ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट “उधारकर्ताओं से निर्माणकर्ताओं तक: भारत के वित्तीय विकास की कहानी में महिलाओं की भूमिका” जारी की। यह रिपोर्ट महिलाओं के बढ़ते वित्तीय सशक्तिकरण को दर्शाती है, जिसमें वित्तीय जागरूकता में 42% की वृद्धि दर्ज की गई है।

नीति आयोग की रिपोर्ट: महिलाओं की वित्तीय भागीदारी में उछाल

3 मार्च 2025 को जारी इस रिपोर्ट में नीति आयोग के सीईओ ने बताया कि भारतीय महिलाएं अब अधिक से अधिक क्रेडिट स्कोर की निगरानी कर रही हैं और ऋण लेने में रुचि दिखा रही हैं। दिसंबर 2024 तक 27 मिलियन महिलाएं अपने क्रेडिट की निगरानी कर रही थीं, जो 2023 की तुलना में 42% अधिक है।

रिपोर्ट को ट्रांसयूनियन सीआईबीआईएल, नीति आयोग के महिला उद्यमिता मंच (WEP) और माइक्रोसेव कंसल्टिंग द्वारा प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार:

  • महिला उधारकर्ताओं की स्व-निगरानी में 19.43% की वृद्धि हुई है।
  • गैर-मेट्रो क्षेत्रों में 48% और मेट्रो क्षेत्रों में 30% की वृद्धि दर्ज की गई है।
  • महिला व्यवसाय उधारकर्ताओं की हिस्सेदारी 35% तक पहुंच गई है।
  • महिलाओं द्वारा व्यवसाय ऋण लेने की प्रवृत्ति 14% बढ़ी, जबकि गोल्ड लोन में 6% वृद्धि हुई है।
  • उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में महिला उधारकर्ताओं में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई।

नीति आयोग के सीईओ ने कहा, “वित्त तक पहुंच महिला उद्यमिता का एक प्रमुख प्रवर्तक है। डब्ल्यूईपी महिलाओं को वित्तीय साक्षरता, ऋण तक पहुंच, परामर्श और बाजार संपर्क को बढ़ावा देने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है।”

महिला उद्यमिता और आर्थिक योगदान

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 150 से 170 मिलियन नए रोजगार महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने से उत्पन्न हो सकते हैं। इससे श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी और आर्थिक विकास को नया आयाम मिलेगा।

  • दक्षिण भारत की महिलाएं वित्तीय गतिविधियों में सबसे आगे हैं।
  • युवा महिलाएं वित्तीय निगरानी में सबसे आगे हैं, खासकर Gen Z और मिलेनियल्स
  • ग्रामीण क्षेत्रों में भी महिलाएं तेजी से स्व-निर्भर बन रही हैं।

नीति आयोग की प्रमुख आर्थिक सलाहकार ने कहा, “महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित करना न केवल रोजगार को बढ़ावा देगा बल्कि आर्थिक समानता की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।”

महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में चुनौतियाँ और समाधान

हालांकि महिलाएं तेजी से वित्तीय रूप से जागरूक हो रही हैं, फिर भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं, जैसे:

  • ऋण लेने की झिझक और बैंकिंग अनुभव की जटिलताएँ।
  • गिरवी (collateral) और गारंटर की समस्या।
  • महिलाओं के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए वित्तीय उत्पादों की कमी

इसका समाधान करने के लिए “फाइनेंसिंग वूमेन कोलैबोरेटिव” (FWC) की स्थापना की गई है। इस पहल का उद्देश्य महिलाओं के लिए समावेशी वित्तीय उत्पाद विकसित करना और संरचनात्मक बाधाओं को दूर करना है।

भारत की आर्थिक वृद्धि में महिलाओं की भूमिका

एक बुद्धिमान व्यक्ति ने कहा था, “किसी राष्ट्र की प्रगति का सबसे अच्छा मापदंड यह है कि वह अपनी महिलाओं के साथ कैसा व्यवहार करता है।” भारत में महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा और मेहनत से नई ऊंचाइयाँ हासिल की हैं।

  • राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) ने महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाया है।
  • स्वच्छ भारत मिशन जैसी सरकारी योजनाओं ने महिलाओं को रोजगार और पर्यवेक्षी भूमिकाओं में आगे बढ़ाया है।
  • भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम विश्व में तीसरे स्थान पर है, लेकिन केवल 10% स्टार्टअप का नेतृत्व महिलाओं के पास है।

निष्कर्ष

नीति आयोग की यह रिपोर्ट स्पष्ट रूप से दिखाती है कि भारतीय महिलाएं अब न केवल ऋण ले रही हैं, बल्कि अपने वित्तीय स्वास्थ्य की निगरानी भी कर रही हैं। इससे न केवल महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा

महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता और उद्यमिता को और अधिक समर्थन देने की आवश्यकता है, जिससे वे उधारकर्ता से निर्माणकर्ता बन सकें। भारत की आर्थिक प्रगति में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी एक उज्ज्वल भविष्य की ओर संकेत करती है।

-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

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