विदेशी निवेशकों की बिकवाली और वैश्विक तनाव का असर

शेयर मार्केट में लगातार भारी गिरावट चिंतनीय-एनएसई निफ्टी के साप्ताहिक मासिक एक्सपायरी दिन को गुरुवार से सोमवार किया, 4 अप्रैल 2025 से लागू

– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की भारी बिकवाली, अमेरिकी टैरिफ नीतियों, डोनाल्ड ट्रंप की नई व्यापार नीतियों, यूरोपियन यूनियन और यूक्रेन संकट के चलते बाजार में भारी दबाव बना हुआ है।

एनएसई निफ्टी की साप्ताहिक और मासिक एक्सपायरी का दिन बदलकर गुरुवार से सोमवार कर दिया गया है, जो 4 अप्रैल 2025 से लागू होगा।

वैश्विक घटनाओं का शेयर बाजार पर प्रभाव

ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो प्राकृतिक आपदाओं, युद्ध, सत्ता परिवर्तन और महामारी जैसी घटनाओं का सीधा असर वैश्विक बाजारों पर पड़ता है। हर्षद मेहता और स्टांप पेपर घोटाले के बाद अब तक कई बार भारतीय शेयर बाजार ने उतार-चढ़ाव देखे हैं।

वर्तमान में ट्रंप प्रशासन द्वारा 4 मार्च 2025 से मैक्सिको और कनाडा पर 25% टैरिफ लगाए जाने के कारण अमेरिकी बाजारों में भी गिरावट दर्ज की गई है। इससे विदेशी निवेशकों का भारत से पैसा निकालकर अमेरिकी बाजारों में लगाने का रुझान बढ़ा है, जिससे भारतीय बाजार को झटका लगा है।

भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के आंकड़े

भारतीय शेयर बाजार पिछले 12 दिनों से लगातार गिर रहा है। मंगलवार को सेंसेक्स 72,817.34 अंक और निफ्टी 21,974.45 अंक पर खुला। दोपहर 1:30 बजे तक सेंसेक्स 176 अंक और निफ्टी 56 अंक गिर चुका था।

सोमवार को निफ्टी 22,004 तक गिर गया था। अगर यह 22,000 के स्तर से नीचे जाता है, तो 21,000 अंक तक फिसल सकता है। हालांकि, निफ्टी का 52-सप्ताह का न्यूनतम स्तर 21,281.45 अंक (मार्च 2024) है।

कुछ प्रमुख शेयरों में गिरावट:

पेटीएम: 4.60% गिरा……….बजाज ऑटो: 5% गिरा……….हीरो मोटोकॉर्प: 3.50% गिरा

वहीं, कुछ शेयरों में तेजी भी रही:

एचएएल: 3.5% बढ़ा……….एसबीआई: 3% बढ़ा……….भेल: 2.50% बढ़ा

बाजार में गिरावट के 7 प्रमुख कारण

  1. विदेशी निवेशकों की बिकवाली – 2025 में अब तक एफआईआई भारतीय बाजार से करीब 1.50 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं।
  2. ट्रंप का टैरिफ अटैक – कनाडा और मैक्सिको से आने वाले सामानों पर 25% टैरिफ का ऐलान, जिससे निवेशकों में घबराहट बढ़ी।
  3. बड़ी कंपनियों के शेयरों में गिरावट – मिडकैप और स्मॉलकैप के बाद अब लार्जकैप शेयरों में भी बिकवाली बढ़ी।
  4. वैश्विक सेंटीमेंट खराब – अमेरिकी चुनावों के बाद ट्रंप की नीतियों के कारण बाजार का माहौल बिगड़ा।
  5. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स – विशेषज्ञ इसे हटाने की मांग कर रहे हैं ताकि विदेशी निवेशक वापस आएं।
  6. चीन की आर्थिक सुधार नीतियां – चीन के नए आर्थिक सुधारों के कारण विदेशी निवेश वहां शिफ्ट हो रहा है।
  7. सोने की कीमतों में उछाल – 2025 में अब तक 10.3% की बढ़त के साथ सोना 95,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंचने की उम्मीद, जिससे निवेशक इक्विटी छोड़कर सुरक्षित निवेश की ओर बढ़ रहे हैं।

क्या भारतीय बाजार फिर संभलेगा?

वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की GDP ग्रोथ 6.2% रही, जो बाजार को अस्थायी राहत दे सकती है। हालांकि, चौथी तिमाही में 7.6% की ग्रोथ दर की जरूरत होगी, जो चुनौतीपूर्ण है।

निष्कर्ष

भारतीय शेयर बाजार लगातार गिरावट की चपेट में है। विदेशी निवेशकों की बिकवाली, अमेरिकी टैरिफ, ट्रंप-यूक्रेन-ईयू तनाव और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स जैसी कई वजहें इस गिरावट का कारण बनी हैं। हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के चलते बाजार में रिकवरी की संभावना बनी हुई है।

-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

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