विश्व में दो विज़नों का आगाज़ – ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’
ट्रंप के रेसिप्रोकल टैक्स कदम से ग्लोबल मार्केट में हड़कंप व अस्थिरता के माहौल से महंगाई बढ़ने की संभावना
-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

गोंदिया – वैश्विक स्तर पर अमेरिका ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि क्यों उसे दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति कहा जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले संबोधन में रेसिप्रोकल टैक्स (प्रतिस्पर्धात्मक कर) लागू करने की घोषणा कर दी है। यह नीति 2 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगी और इसका सीधा असर भारत, चीन सहित कई अन्य देशों पर पड़ेगा।
क्या है रेसिप्रोकल टैक्स?
रेसिप्रोकल टैक्स का अर्थ है कि अगर कोई देश अमेरिका से आयात पर जितना कर (टैरिफ) लगाता है, उतना ही कर अमेरिका भी उस देश के निर्यात पर लगाएगा। उदाहरण के लिए, यदि भारत अमेरिका से आने वाले उत्पादों पर 25% टैक्स लगाता है, तो अमेरिका भी भारत से आयात होने वाले सामान पर समान टैक्स लगाएगा।
इस टैक्स के पीछे ट्रंप का मकसद

ट्रंप प्रशासन का मानना है कि अमेरिका के साथ कई देश अनुचित व्यापारिक नीतियों का पालन कर रहे हैं, जिससे अमेरिकी व्यापार घाटे में जा रहा है। इस नई नीति के जरिए ट्रंप अमेरिका के व्यापारिक हितों की रक्षा करना चाहते हैं और अमेरिकी उत्पादों को वैश्विक बाज़ार में मजबूत बनाना चाहते हैं।
किन देशों पर पड़ेगा असर?
अमेरिका के इस नए कर नीति से भारत, चीन, कनाडा, मैक्सिको और यूरोपीय संघ के देशों को बड़ा झटका लग सकता है।
- भारत: भारत अमेरिका को दवाइयां, आईटी सेवाएं, ऑटोमोबाइल और अन्य कई वस्तुएं निर्यात करता है। नई नीति से फार्मास्युटिकल, आईटी और ऑटोमोबाइल सेक्टर को भारी नुकसान होने की आशंका है।
- चीन: पहले से ही अमेरिकी टैरिफ का सामना कर रहे चीन के लिए यह एक और बड़ा झटका होगा।
- यूरोप: यूरोपीय संघ के देशों पर भी भारी असर पड़ेगा, क्योंकि अमेरिका से व्यापार करने वाले कई उद्योगों पर अतिरिक्त कर लगेगा।
ग्लोबल मार्केट पर प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से वैश्विक अर्थव्यवस्था में अस्थिरता बढ़ सकती है। कई देशों में महंगाई बढ़ने की संभावना है, क्योंकि व्यापारिक लागत बढ़ेगी और आम उपभोक्ताओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी का कहना है कि भारत और अमेरिका एक-दूसरे पर व्यापार के लिए निर्भर हैं। यदि दोनों देश एक-दूसरे पर अधिक कर लगाएंगे, तो इससे आम जनता पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा।
5 मार्च 2025 को ट्रंप के संबोधन की मुख्य बातें
- रेसिप्रोकल टैक्स: 2 अप्रैल से लागू होगा।
- यूक्रेन युद्ध: जेलेंस्की रूस से शांति वार्ता के लिए तैयार।
- अप्रवास नीति: अवैध प्रवासियों पर सख्ती जारी।
- बाइडेन पर निशाना: ट्रंप ने बाइडेन को अमेरिका का सबसे कमजोर राष्ट्रपति बताया।
- गोल्ड कार्ड वीज़ा: अमेरिका में नई वीज़ा प्रणाली लागू करने की योजना।
- पनामा नहर और ग्रीनलैंड: अमेरिका इन क्षेत्रों पर नियंत्रण की योजना बना रहा है।
- एलन मस्क और DoGE: मस्क द्वारा सरकारी घोटालों का पर्दाफाश।
- फ्री स्पीच: सरकारी सेंसरशिप समाप्त करने का दावा।
- तेल और गैस: अमेरिका प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को बढ़ावा देगा।
- स्पेस प्रोग्राम: मंगल ग्रह पर अमेरिकी झंडा फहराने की योजना।
निष्कर्ष
अगर हम पूरे घटनाक्रम का विश्लेषण करें, तो यह स्पष्ट है कि अमेरिका की रेसिप्रोकल टैक्स नीति वैश्विक व्यापार पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। भारत और चीन सहित कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर इसका असर देखने को मिलेगा। ट्रंप के इस कदम से वैश्विक बाज़ार में अस्थिरता और महंगाई बढ़ने की संभावना है।