शब्दों का सही चयन व्यक्तित्व का परिचय देता है
बौद्धिक व्यवहार के मूल्यांकन का एक स्तंभ, शब्दों की गहराई में जाकर संबंधित स्थिति में शब्द का प्रयोग करना गुणी व्यक्तित्व की पहचान है
-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

शब्द केवल संप्रेषण का माध्यम नहीं होते, बल्कि वे व्यक्ति के बौद्धिक स्तर और व्यक्तित्व की गहराई को भी दर्शाते हैं। एक ही शब्द के भिन्न अर्थ अलग-अलग संदर्भों में प्रयोग किए जाते हैं, जिससे भाषा की समृद्धि और गहनता झलकती है। यही कारण है कि शब्दों का उचित उपयोग गुणी व्यक्तित्व की पहचान बनता है।
शब्दों की गहराई और उनका सही उपयोग
भारत, जो भाषाओं और लिपियों का महासागर है, उसमें ऐसे अनेक शब्द हैं जो परिस्थितियों के अनुसार अपने अर्थ बदल लेते हैं। कई शब्दों का उपयोग लोग समान अर्थ में करते हैं, जबकि व्याकरण और व्यावहारिक दृष्टि से उनमें महत्वपूर्ण अंतर होता है। उदाहरणस्वरूप, “आमंत्रण” और “निमंत्रण”, तथा “आरंभ” और “प्रारंभ” – ये शब्द अक्सर एक-दूसरे के स्थान पर प्रयुक्त किए जाते हैं, लेकिन उनके प्रयोग में सूक्ष्म भिन्नता होती है।
आमंत्रण बनाम निमंत्रण

आमंत्रण और निमंत्रण दोनों ही किसी को बुलाने के लिए प्रयुक्त होते हैं, परंतु इनमें महत्वपूर्ण अंतर हैं—
- औपचारिकता – आमंत्रण अनौपचारिक होता है, जबकि निमंत्रण औपचारिक होता है।
- अनिवार्यता – आमंत्रण में जाने की बाध्यता नहीं होती, जबकि निमंत्रण में अपेक्षा होती है कि आमंत्रित व्यक्ति उपस्थित होगा।
- लक्ष्य – आमंत्रण किसी विशिष्ट विषय या लक्ष्य के लिए दिया जाता है, जबकि निमंत्रण किसी विशेष अवसर के लिए दिया जाता है।
- प्रतिष्ठा और सामाजिकता – आमंत्रण से व्यक्ति की प्रतिष्ठा जुड़ी होती है, जबकि निमंत्रण सामाजिक मेल-मिलाप का उपकरण होता है।
आरंभ बनाम प्रारंभ
आरंभ और प्रारंभ दोनों ही किसी कार्य के शुरू होने को दर्शाते हैं, लेकिन इनका प्रयोग अलग-अलग परिस्थितियों में किया जाता है—
- नवीनता और पुनरारंभ – “आरंभ” किसी बिल्कुल नए कार्य की शुरुआत को दर्शाता है, जबकि “प्रारंभ” किसी कार्य को पुनः आरंभ करने को इंगित करता है।
- उदाहरण: “भोजन आरंभ कीजिए।” (नया कार्य)
- “तबीयत ठीक होने के बाद उसने विद्यालय जाना प्रारंभ कर दिया।” (पुनः शुरू करना)
- औपचारिकता और संदर्भ –
- “आरंभ” शब्द औपचारिक संदर्भों में अधिक प्रयुक्त होता है, जैसे कि युग या काल की शुरुआत – “कलियुग का आरंभ हजारों वर्ष पूर्व हुआ था।”
- “प्रारंभ” आम तौर पर नियमित प्रक्रियाओं और शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रयुक्त होता है – “कार्यालय का समय सुबह 10 बजे प्रारंभ होता है।”
शब्दों के प्रयोग की महत्ता
शब्दों का सही उपयोग केवल भाषा का सौंदर्य बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बौद्धिक क्षमता और तार्किक योग्यता को भी उजागर करता है। विशेष रूप से विधि और लेखन जैसे क्षेत्रों में, एक शब्द का सही अर्थ निकालना या उसकी व्याख्या करना बहुत मायने रखता है। न्यायिक प्रक्रिया में, “Interpretation of Statutes” का महत्वपूर्ण स्थान है, जिसमें शब्दों की व्याख्या के आधार पर फैसले लिए जाते हैं।
निष्कर्ष
शब्दों का चयन केवल भाषा का खेल नहीं, बल्कि व्यक्तित्व का दर्पण भी है। “आमंत्रण-निमंत्रण” और “आरंभ-प्रारंभ” जैसे शब्दों के सही प्रयोग से न केवल भाषा की शुद्धता बनी रहती है, बल्कि संवाद अधिक प्रभावशाली और स्पष्ट हो जाता है। सही शब्द का चयन करना ही गुणी व्यक्तित्व की पहचान है।
-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र