शिमला समझौता रद्द करने की धमकी—क्या भारत को मिलेगा POK वापस लेने का खुला रास्ता?

पहलगाम आतंकी हमला पाक को पड़ गया महंगा? पानी वीजा सीमाचौकी बंद-अबकी बार फाइनल जंग? 

कश्मीरियों के पहलगाम हमले के खिलाफ़ जंग में उतरने व भारत के सख़्त एक्शन से आतंक के आकाओं खिलाफ़ होगा कड़ा रिएक्शन

-एडवोकेट किशन सनमुनखदास भावनानीं

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से लिए गए निर्णायक और सख्त कूटनीतिक कदमों ने पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया है। 23 अप्रैल 2024 की देर रात हुई कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS) की बैठक में भारत ने पाँच बड़े फैसले लिए, जिनमें शामिल हैं:

  1. सिंधु जल संधि का अस्थायी निलंबन
  2. अटारी एकीकृत चेक पोस्ट को तत्काल बंद करना
  3. SAARC देशों के पाक नागरिकों पर रोक
  4. पाक नागरिकों के वीजा रद्द करना
  5. पाक उच्चायोग के सैन्य सलाहकारों की वापसी और संख्या घटाकर 30 करना

इन कदमों के बाद पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक 24 अप्रैल को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई, जिसमें भारत-पाक शिमला समझौते (1972) को रद्द करने की धमकी दी गई। यह धमकी भारत के लिए आत्मघाती सिद्ध हो सकती है, क्योंकि समझौते के रद्द होते ही भारत के पास पाक अधिकृत कश्मीर (POK) को वापस लेने का नैतिक और कूटनीतिक आधार और अधिक मजबूत हो जाएगा।

शिमला समझौता: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और महत्व

1971 में भारत-पाक युद्ध के बाद, जुलाई 1972 को शिमला में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तानी राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच यह समझौता हुआ था। इसका मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच शांति बनाए रखना और मतभेदों को आपसी बातचीत के माध्यम से सुलझाना था।

मुख्य प्रावधानों में शामिल थे:

  • सभी विवादों का द्विपक्षीय हल
  • किसी तीसरे पक्ष को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं
  • नियंत्रण रेखा (LoC) का सम्मान
  • युद्धबंदियों की रिहाई और कब्जाई गई भूमि की वापसी
  • प्रचार और सैन्य कार्रवाई से बचाव

भारत ने इस समझौते के तहत पाकिस्तान के 93,000 युद्धबंदियों को रिहा किया और अधिकांश कब्जाई गई जमीन लौटा दी।

क्या पाकिस्तान शिमला समझौता रद्द कर सकता है?

तकनीकी रूप से, कोई भी देश किसी संधि से खुद को अलग कर सकता है, लेकिन इससे उसकी अंतरराष्ट्रीय साख पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है। अगर पाकिस्तान शिमला समझौते को रद्द करता है, तो भारत को भी इस समझौते से बंधे रहने की कोई आवश्यकता नहीं रहेगी। भारत स्पष्ट रूप से यह दावा कर सकता है कि अब POK को वापस लेने की कार्यवाही वैध और औचित्यपूर्ण होगी।

भारत की प्रतिक्रिया और कूटनीतिक लाभ

भारत के द्वारा लिए गए पाँच सख्त फैसले और POK को लेकर बन रही रणनीति यह संकेत देती है कि अब “फाइनल जंग” की तैयारी है। कश्मीर में जनता का आक्रोश और POK के लोगों की भारत से जुड़ने की इच्छा भी अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है।

शिमला समझौते को रद्द करना पाकिस्तान के लिए राजनीतिक हथकंडा हो सकता है, लेकिन इससे वह दुनिया के सामने यह संदेश भी देगा कि वह शांतिपूर्ण समाधान में विश्वास नहीं रखता। भारत, जो पहले ही यह मानता है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है, इस अवसर को वैश्विक मंच पर अपने पक्ष में भुना सकता है।

निष्कर्ष: अबकी बार निर्णायक कदम

पाकिस्तान की गीदड़भभकी और शिमला समझौते की संभावित समाप्ति भारत के लिए एक ऐतिहासिक अवसर हो सकता है। भारत ने पहलगाम हमले के बाद जिस सख्ती से कूटनीतिक मोर्चा संभाला है, वह आने वाले समय में आतंक के आकाओं को करारा जवाब साबित होगा।

“पानी बंद, वीजा बंद, सीमा बंद—अबकी बार फाइनल जंग!”
भारत अब पीओके को भारत में मिलाने की दिशा में ठोस रणनीति बना सकता है, और यदि शिमला समझौता टूटता है, तो यह रास्ता और अधिक खुला हो जाएगा।

लेखक परिचय: -संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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