
रेवाड़ी,नांगल चौधरी (महेन्द्रगढ़), 26 अप्रैल 2025 — स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने शुक्रवार को नांगल चौधरी कस्बे में सीवर की सफाई के दौरान दो कर्मचारियों की मौत पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए इसे जनस्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही करार दिया। उन्होंने इस मामले में गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज करने और मृतकों के परिजनों को 20-20 लाख रुपये मुआवजा व एक-एक सरकारी नौकरी देने की मांग की है।
विद्रोही ने कहा कि यह हादसा उस वक्त हुआ जब स्टेट बैंक के पास सीवर मेनहोल की सफाई के दौरान 28 वर्षीय अनूप कुमार और 30 वर्षीय नागेन्द्र को बिना किसी सेफ्टी किट के सीवर में उतार दिया गया। जहरीली गैस की चपेट में आने से दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।
उन्होंने यह भी उजागर किया कि मृतकों में से एक कर्मचारी पम्प ऑपरेटर था, न कि सीवर ऑपरेटर, फिर भी उसे सीवर में क्यों उतारा गया? यह एक गंभीर प्रश्न है और इसकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
“सीवर कर्मियों की मौत आम हो गई है”
वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि हरियाणा में निजी और सरकारी दोनों ही स्तरों पर सीवर की सफाई के दौरान ऐसी घटनाएं आम होती जा रही हैं। उन्होंने तीखा सवाल उठाया — “सीवर सफाई के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सेफ्टी किट और बचाव उपकरण आखिर जाते कहां हैं?”
उन्होंने आरोप लगाया कि सीवरकर्मियों को न तो सेफ्टी गियर दिए जाते हैं और न ही उनके जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। “यह लापरवाही नहीं, बल्कि सीधे-सीधे हत्या है,” उन्होंने कहा।
“कठोर कार्रवाई की जाए”
विद्रोही ने मांग की कि हरियाणा सरकार सभी जिलों और उपमंडलों में सेफ्टी किट की उपलब्धता की जांच के लिए विशेष दस्ते गठित करे। जहां भी ये उपकरण उपलब्ध न हों, वहां के संबंधित अधिकारियों पर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
मुख्य मांगें:
- नांगल चौधरी में सीवर की सफाई के दौरान जान गंवाने वाले अनूप कुमार और नागेन्द्र के परिजनों को 20-20 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।
- पीड़ित परिवारों के एक-एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।
- जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या (सेक्शन 304 IPC) के तहत एफआईआर दर्ज की जाए।
- राज्यभर में सीवरकर्मियों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता की जांच करवाई जाए।
“अब नहीं चाहिए खानापूर्ति, चाहिए इंसाफ”
विद्रोही ने कहा कि वर्षों से ऐसी घटनाओं के बाद केवल खानापूर्ति की जाती है, जांच के नाम पर फाइलें खुलती हैं और फिर बंद हो जाती हैं। “अब वक्त है कि सरकार और विभाग अपनी जिम्मेदारी तय करें और सीवरकर्मियों को सम्मानजनक, सुरक्षित कार्यस्थल दें,” उन्होंने कहा।