सीज़फायर या भ्रम? सिर्फ़ तीन घंटे में समझौते का उल्लंघन – ड्रोन हमले थमे नहीं!

भारत का स्पष्ट संदेश: आतंकी कार्रवाई अब ‘एक्ट ऑफ़ वॉर’ मानी जाएगी- क्या भारत-पाक सीज़फायर रणनीतिक कदम था या अमेरिकी दबाव का नतीजा?

भारत का आगाज़ -किसी भी प्रकार की आतंकी कार्रवाही को अब एक्ट आफ़ वार मानकर उसका जवाब दिया जाएगा 

भारत पाक़ युद्ध विराम आपसी सहमति नीति समझ नहीं आई ?-रणनीति या अमेरिकी दबाव तंत्र- सैन्य कार्रवाई विराम बाद भी पाक नें ड्रोन की खेप बरसाई

-एडवोकेट किशन समनमुखदास भावनानीं

दिनांक 10 मई 2025 को, जब भारत और पाकिस्तान के बीच चौथे दिन भी भीषण युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई थी, तभी दोपहर लगभग 3:30 बजे अमेरिका के राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक अप्रत्याशित घोषणा की — कि शाम 5 बजे से भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य गतिविधियों पर आपसी सहमति से विराम लगेगा। यह खबर सुनते ही न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया चौंक गई।

जहां एक ओर जनता को भरोसा था कि भारत इस बार निर्णायक जवाब देगा और पीओके को वापस लेने तक पीछे नहीं हटेगा, वहीं सीज़फायर की घोषणा से जनमानस में मायूसी और भ्रम फैल गया। क्या भारत किसी रणनीति के तहत पीछे हटा या फिर यह अमेरिकी दबाव का परिणाम था?

सीज़फायर के तुरंत बाद पाकिस्तान की नापाक हरकतें

सीज़फायर की घोषणा के केवल तीन घंटे बाद ही पाकिस्तान ने इसे पूरी तरह से रौंदते हुए ड्रोन और फायरिंग का सहारा लिया। जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात तक कई क्षेत्रों में ब्लैकआउट की घोषणा करनी पड़ी। नीचे घटनाओं का संक्षिप्त ब्योरा:

  1. जम्मू-कश्मीर: एलओसी पर फायरिंग, श्रीनगर में ड्रोन हमले, धमाके सुने गए।
  2. पंजाब: पठानकोट, अमृतसर, बठिंडा, फिरोजपुर सहित कई इलाकों में ब्लैकआउट।
  3. राजस्थान: जैसलमेर और बाड़मेर में सुरक्षा बलों की तैनाती, धमाकों की आवाजें।
  4. गुजरात: कच्छ में तुरंत ब्लैकआउट घोषित किया गया।
  5. ड्रोन इंटरसेप्ट: कई स्थानों पर भारतीय एयर डिफेंस ने पाकिस्तानी ड्रोन को रोका।

सीज़फायर की घोषणा के बाद भी लगातार ड्रोन गतिविधियाँ और गोलीबारी यह संकेत देती हैं कि पाकिस्तान ने इस समझौते को गंभीरता से नहीं लिया।

अमेरिकी मध्यस्थता – रणनीति या मजबूरी?

सीज़फायर की घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से आई। उन्होंने कहा कि अमेरिकी मध्यस्थता में देर रात तक चली बातचीत के बाद यह समझौता हुआ। पाकिस्तानी विदेश मंत्री और भारत के विदेश सचिव ने भी इसकी पुष्टि की। भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि भविष्य में किसी भी आतंकी गतिविधि को युद्ध की कार्यवाही माना जाएगा।

भारत की रणनीति: कठोर लेकिन संयमित

भारत ने कहा है कि वह अब आतंकी गतिविधियों को सीधा युद्ध समझेगा, और जवाब उसी स्तर पर देगा। भारत के विदेश सचिव ने बताया कि 12 मई को दोनों देशों के अधिकारी आपसी बातचीत के लिए मिलेंगे। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी इस समझौते की पुष्टि की, लेकिन साथ ही भारत की आतंकवाद के प्रति “नो टॉलरेंस” नीति को दोहराया।

निष्कर्ष: यह कैसा सीज़फायर?

सीज़फायर की घोषणा के चंद घंटों में ही उसका उल्लंघन – यह दर्शाता है कि पाकिस्तान की नीयत पर सवाल उठना लाज़िमी है। भारत ने जहाँ संयम और रणनीतिक बुद्धिमत्ता दिखाई, वहीं पाकिस्तान ने एक बार फिर अपने पुराने रवैये को दोहराया।

तो सवाल यह उठता है – क्या यह सीज़फायर एक कूटनीतिक चाल थी या अमेरिकी दबाव में लिया गया निर्णय? और अगर यह दबाव में था, तो क्या यह भारत की शक्ति को सीमित करता है या उसकी रणनीतिक सोच को उजागर करता है?

-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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