आचार्य डॉ महेन्द्र शर्मा ‘महेश’

जब भारत के पास कुछ नहीं था तो भारत ने पाकिस्तान के 2 टुकड़े कर दिए और सिक्किम को भारत में मिला लिया आज सब कुछ है और कुछ नहीं कर पाए …
वह भी एक दौर था कि IRON LADY श्रीमति इंदिरागांधी ने अमेरिका के राष्ट्रपति से उसके घर में बॉयकॉट कर दिया और व्हाइट हाउस से उठ कर अपने घर भारत में वापिस आ गई थी, भारत पाक संघर्ष में बांग्लादेश बनने तक निक्सन का फोन तक नहीं उठाया … आज क्या स्थिति है कि हमारे नेता PAPER WEIGHT ही बने रह गए और अमेरिका के राष्ट्रपति ने युद्धविराम की घोषणा की … वह कौन है, श्रीमंत l
हमारा देश भारत ब्राह्मणों की राजनयिक भूमिका से कभी भी मुक्त नहीं हो सकता … संसद में पूर्व प्रधानमन्त्री श्री पंडित अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व विदेशमंत्री पंडित सुषमा स्वराज जी ने भी हठी ब्राह्मणीकल रक्तबीज के कारण किसी प्रकरण की विदेशी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं की थी l श्री मनमोहन सिंह मे अद्भुत सहिष्णुता थी इसलिए सारा विश्व उनका दिवाना था आज के नेतृत्व न केवल छोटे छोटे l देश बल्कि पूरा भारत इनके कृतित्व का उपहास उड़ा रहा है l य़ह ब्राह्मणवाद ही था कि 1990 के दशक में प्रधानमन्त्री पंडित नरसिंह राव जी ने विपक्ष के नेता पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जो पश्चिमी जगत में भारतीय प्रतिनिधि मण्डल का नेता बना कर भेजा था और आप क्या भेज रहे हैं सीबीआई , ई डी इन्कम टेक्स… यही अन्तर है राजनैतिक मानसिक ब्राह्मणवाद और मानसिक शूद्रता में कि वास्तव में राष्ट्रवाद किसे कहते हैं राजनैतिक दलों का लक्ष्य केवल सत्ता प्राप्ति नहीं होना चाहिए l सत्ता तो हुमायूं के राज्य में एक दिन के लिए किसी… जिसने चमड़े का सिक्का चला दिया , आज भी तो यही ही हो रहा है , राजनीति का बड़ी बुरी तरह से अवमूल्यन हो चुका है l
जो पहलगाम या शहीदों के घर नहीं जा सके, आज अपनी पीठ थपथपवाने के मिलिट्री क्षेत्र जा रहे हैं और अमेरीका के हस्तक्षेप से हुई किरकिरी से जो अपनी राजनैतिक छवि बिगड़ी उस की क्षति पूर्ति के लिए भागे भागे फिर रहे हैं l एक बार क्या हुआ कि एक बार किसी राजा ने अपने अर्द्धमूर्ख बेटे को किसी दूसरे देश काबुल में किसी राजनैतिक सम्मेलन में भाग लेने के लिए राज्य प्रतिनिधि बना कर काबुल भेजा कि विवाह के लायक भी है राजकुमार भी, उसका तारूफ भी हो जाएगा, वहां उसका राज्य प्रतिनिधि होने के कारण राजनयिक अभिनन्दन हुआ जिसमें राजा के दरबार में उसे इत्र पेश किया गया तो उसने उसे सूंघने की जगह चाट लिया तो पूरे दरबार में उस राजकुमार का उपहास होने लगा कि य़ह राजकुमार कितना मूर्ख है, जरा भी अक्ल नहीं
… अब यह राजकुमार भी जवान था, कल को उसकी शादी भी करनी थी और वह उत्तराधिकारी भी था, उसके उपहास की जानकारी जैसे ही उसके पिता राजा को मिली कि राजकुमार ने इत्र चाट लिया है राजा कहने लगा कि बड़ा बेवक़ूफ़ है उसे रोटी पर लगा कर खाता ,मूर्ख को इतनी अक्ल नहीं है तो उस राजा के राजनयिक मंत्री ने राजा को समझाया कि जहाँपनाह ! इत्र को न तो चाट जाता है और न हि खाया जाता है इसे तो सूंघा जाता है … तो इस राजा को भी आज ही पता लगा कि आए हुए मेहमानों के आगमन पर इत्र सम्मान की एक राजनयिक प्रक्रिया होती … अब राजा ने अपने , अपने पुत्र और राज्य का सम्मान बरकरार रखने के लिए अपने राज्य में एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया और अपने राज्य की हर गली कूचे में इत्र का छिड़काव करवा दिया l जब राजनायिक एकत्र हुए तो सुगंध से बड़े प्रभावित हुए कि क्या बात है … लेकिन उनके मध्य यह टिप्पणियां भी चल रहीं थीं कि क्या इससे काबुल वाला प्रकरण भूल जाएंगे l
जनाब! चौधरियों के बालक ही चौधरी बनते है … यह वंशवाद का ही फल समझें कि पंडित श्री मोतीलाल नेहरू के बाद पंडित जवाहरलाल फिर इंदिरा, राजीव, राहुल, प्रियंका और वरुण, इन की रगों में ब्राह्मणरक्त और राजनीति और त्याग का रक्तबीज संचरण कर रहा है और आने वाली पुश्तों में भी जारी रहेगा …
भारतीय जनमानस की सोच दीर्घगामी दूरदर्शी है, इतना बड़ा धर्म निरपेक्ष तो रह सकता है, लेकिन धार्मिक संकीर्ण नहीं l इसलिए हमारे भारतीय जननायकों नें सब का साथ सब का विकास … समग्र उत्थान का नियमन धर्म निरपेक्षता (Secularism) स्वीकार किया l धर्म तो उनका खतरे में है जो धर्म को नहीं मानतेl हमारे धर्म की डोर. तो ईश्वर के पास है … आज हमें धर्म को जानने के लिए गीता, मर्यादा को जानने के लिए रामायण और भारत को जानने के लिए यह मैं नहीं कह रहा अपितु भारत के पूर्व राष्ट्रपति प0 प्रणब मुखर्जी जी ने नागपुर के संघ सम्मेलन में इन्हें कही थी कि प0 जवाहर लाल नेहरू जी का ग्रंथ Discovery of India के अध्ययन नितांत आवश्यक है, जो यह पढ़ना नहीं चाहते ll
गलती से, न समझी या किसी अन्य दबाब के कारण युद्ध विराम का इत्र इस सरकार के नेता चाट चुके है और इसका घड़ा राष्ट्रवाद के सच्चे सपूत राजनायिक महानुभावों के सिर फोड़ कर ज़िम्मेदारी से न केवल भाग रहें है बल्कि माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए उन्हें गालियां दे रहे हैं , यहां तक सिंदूर ऑपरेशन की नायिका सोफिया कुरैशी को भी नहीं छोड़ा … यहां से हो सिद्ध होता है कि यह केवल paper weight मात्र हैं जो जिस भ्रष्टाचार, भाग्य और दुर्भाग्य के प्रचार से सत्ता में आए वह सारे केस माननीय सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिए हैं कि कोई प्रमाण नहीं … देखो! ईश्वर क्या चाहते हैं फ़िलहाल तो भगवान श्रीराम ही इनसे परेशान हैं और समझ नहीं पा रहे कि यह मुझे लाए हैं या मैं …
मित्रों 2031 तक तो विनाश की रुद्रबीसी चल रही है पूरे विश्व में ऐसा ही चलेगा … जब होशियार विद्यार्थियों में से कोई पास वाला नहीं तो मेरी क्या बिसात … मैं किसी को बदल सकूँ l