अंतरराष्ट्रीय स्तरपर क्यों ना हर देश में शासन, प्रशासन व दलालों के गठजोड़ से किया गया,भ्रष्टाचार व आतंकवाद में जमानत न होकर ट्रायल के बाद एक्विट्टल या सजा हो?

– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

गोंदिया महाराष्ट्र-आज के वैश्विक परिदृश्य में भ्रष्टाचार और आतंकवाद हर देश के सामने गंभीर चुनौतियाँ बने हुए हैं। अनेक देशों में यह अब केवल असामाजिक तत्वों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि शासन, प्रशासन और दलालों (या जासूसों) के गठजोड़ के माध्यम से यह एक संगठित ढांचे में परिवर्तित हो चुका है।

आश्चर्य नहीं कि जब एक सामान्य सरकारी कार्य के लिए “40-50 प्रतिशत लिफाफा” चलता है, तब भ्रष्टाचार और आतंकवाद की जड़ें गहराई तक फैली हों। ऐसे में यह मांग प्रासंगिक हो जाती है कि सभी देशों में इस तरह के संगठित भ्रष्टाचार और सरकारी आतंकवाद पर कठोर कानून हों – जिनमें जमानत की व्यवस्था नहीं हो, बल्कि ट्रायल के बाद ही सजा या बरी किया जाए।

सरकारी आतंकवाद – एक समझ

परिभाषा:
सरकारी आतंकवाद वह स्थिति है जब सरकार या उसका कोई अंग अपने ही नागरिकों या किसी अन्य देश के नागरिकों पर जानबूझकर हिंसा, दमन, या गैरकानूनी कार्यवाही करता है – जिसका उद्देश्य शक्ति प्रदर्शन, विरोध को दबाना या राजनीतिक लक्ष्य प्राप्त करना होता है।

उदाहरण:

  • राजनीतिक विरोधियों का दमन
  • मानवाधिकारों का उल्लंघन
  • गैरकानूनी हत्याएं
  • युद्ध अपराध

विशेषताएँ:

  • हिंसा आधारित
  • कानून का उल्लंघन
  • आम जनता में भय पैदा करना
  • राजनीतिक एजेंडे की पूर्ति

यह केवल व्यक्तिगत या संगठनिक नहीं बल्कि एक पूरी सरकारी चैनल की मिलीभगत से होता है – जिसमें शीर्ष से लेकर基层 तक की भूमिका होती है।

सरकारी सुशासनवाद – एक आदर्श दृष्टिकोण

सुशासन का तात्पर्य:
सरकार द्वारा पारदर्शिता, जवाबदेही, नागरिकों की भागीदारी और कानून का पालन करते हुए सुचारू व प्रभावी शासन प्रदान करना।

प्रमुख तत्व:

  1. पारदर्शिता
  2. जवाबदेही
  3. नागरिक भागीदारी
  4. कानून का पालन
  5. मानवाधिकारों की रक्षा

लक्ष्य:

  • नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार
  • आर्थिक और सामाजिक विकास
  • भ्रष्टाचार नियंत्रण
  • न्यायपूर्ण शासन

सुशासन के लाभ:

  • जनता में विश्वास बढ़ना
  • आर्थिक प्रगति
  • सामाजिक समानता
  • बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा
  • पर्यावरण संरक्षण
  • सरकारी आतंकवाद बनाम सरकारी सुशासनवाद – तुलना
बिंदुसरकारी आतंकवादसरकारी सुशासनवाद
मूल प्रवृत्तिहिंसा व दमन के माध्यम से शासनलोकतांत्रिक, पारदर्शी और जवाबदेह शासन
लक्ष्यशक्ति प्रदर्शन, विरोध को कुचलनानागरिकों के हित, सामाजिक न्याय व विकास
कानून का व्यवहारउल्लंघनअनुपालन
न्याय का सिद्धांतभय के आधार पर शासननिष्पक्षता, समानता व जवाबदेही

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समाधान की आवश्यकता

आज आवश्यकता है कि संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं एक साझा ट्रिटी या कानूनी ढांचा बनाएं जिसमें:

  • सरकारी आतंकवाद को अंजाम देने वाले देशों को आतंकवादी देश घोषित किया जाए।
  • सरकारी सुशासन का पालन करने वाले देशों को सुशासित देश के रूप में मान्यता मिले।
  • भ्रष्टाचार और आतंकवाद के मामलों में जमानत नहीं मिले, केवल ट्रायल के बाद ही निर्णय हो – ताकि ऐसे मामलों में कठोरता और पारदर्शिता बनी रहे।

निष्कर्ष

शासन, प्रशासन और दलालों का गठजोड़ यदि देशहित की बजाय स्वहित में कार्य करता है, तो वह देश को भ्रष्टाचार और आतंकवाद के दलदल में धकेलता है। दूसरी ओर, यदि शासन पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिक केंद्रित हो, तो वही सुशासन का आदर्श बनता है।

आज हर देश को यह तय करना होगा कि वह सरकारी आतंकवाद के रास्ते पर चलेगा या सरकारी सुशासनवाद की ओर।

-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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