आईएमएफ ऋण मिलते ही पाक़ के सुर बदले,कहा बिगर न्यूक्लियर बम के भी भारत को रोक़ने की क्षमता है व युद्ध विराम 18 मई 2025 तक है
भारत का आईएमएफ को दो टूक संदेश-पाक को फंड देने पर पुनर्विचार करें, क्योंकि इससे आतंकवाद को वित्त पोषण होने की संभावना,अनुमान सही
-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

गोंदिया। वैश्विक स्तर पर भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव, सीमा पर गोलाबारी और कूटनीतिक बयानबाजियों के बीच एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है—क्या अमेरिका के प्रभाव वाला अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), पाकिस्तान को ऋण देकर आतंकवाद के अप्रत्यक्ष पोषण का माध्यम बन रहा है?
IMF के ऋण के बाद बदले पाकिस्तान के सुर
पाकिस्तान को 14 मई 2025 को IMF द्वारा 1.023 बिलियन अमेरिकी डॉलर की दूसरी किस्त जारी की गई। इसके तुरंत बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारत के विरुद्ध आक्रामक बयान जारी करते हुए कहा कि “हम भारत को बिना न्यूक्लियर हथियार के भी रोकने में सक्षम हैं, और 18 मई 2025 तक युद्धविराम लागू है।”
यह बयान उस वक्त आया जब भारत के रक्षा मंत्री ने 15-16 मई को कश्मीर और भुज (गुजरात) में सुरक्षा बलों के साथ बातचीत करते हुए सवाल उठाया कि, “क्या IMF आतंकवाद को वित्तीय मदद दे रहा है?” उन्होंने IMF से पाकिस्तान को दी जा रही आर्थिक सहायता पर पुनर्विचार करने की अपील की।
भारत का सख्त संदेश: आतंकवाद का वित्तपोषण अस्वीकार्य

रक्षा मंत्री ने स्पष्ट कहा कि IMF से मिलने वाले फंड का उपयोग पाकिस्तान आतंकवाद को पुनः खड़ा करने में कर सकता है। उन्होंने कहा:
“मुझे लगता है कि पाकिस्तान इस पैसे का गलत इस्तेमाल करेगा। पाकिस्तान IMF के बेलआउट पैकेज पर बहुत ही ज्यादा निर्भर है और वह इसका इस्तेमाल अपने आतंकवादी ढांचे को पुनर्जीवित करने में करेगा।”
IMF की वेबसाइट के अनुसार, पाकिस्तान को सदस्य बनने के बाद से अब तक कम से कम 25 बार बेलआउट ऋण मिल चुका है। अप्रैल 2025 तक पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 10.3 बिलियन डॉलर था, जो जून 2025 के अंत तक 13.9 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
सीजफायर की अस्थायी शांति—भारत की ओर से कोई पुष्टि नहीं
पाकिस्तान ने कहा है कि भारत के साथ 18 मई तक अस्थायी सीजफायर लागू है, हालांकि भारत सरकार ने अभी तक इसकी कोई औपचारिक पुष्टि नहीं की है। यह निर्णय नियंत्रण रेखा पर लगातार गोलीबारी और ड्रोन हमलों के बीच लिया गया है।
क्या अमेरिका और चीन की साझेदारी फिर उठा रही है आतंकवाद का सिर?

IMF से पाकिस्तान को मिल रही निरंतर मदद के पीछे अमेरिका और चीन की बदलती रणनीतिक समीकरण को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अमेरिका शायद इस मदद से पाकिस्तान को चीन के अधिक प्रभाव से दूर करना चाहता है, वहीं चीन भी इस ऋण के माध्यम से अपने CPEC (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) में निवेश की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है।
IMF की ओर से दी गई आर्थिक मदद ऐसे समय में आई है जब पाकिस्तान की सरकार आगामी बजट (2025-26) की तैयारी कर रही है। IMF अधिकारियों ने 16 मई तक बजट प्रावधानों पर पाकिस्तानी प्रतिनिधियों के साथ ऑनलाइन चर्चा भी की है।
भारत की वैश्विक चेतावनी—IMF पुनर्विचार करे
भारत ने एक बार फिर IMF और वैश्विक समुदाय को आगाह किया है कि पाकिस्तान को आर्थिक मदद देना, अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवाद को सहारा देना है। रक्षा मंत्री ने कहा, “अगर जरूरत पड़ी तो अभी की कार्रवाई महज़ एक ट्रेलर है, पूरी फिल्म दिखाने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
”निष्कर्ष: क्या IMF की ‘दया’ वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा?
IMF की ओर से पाकिस्तान को जारी की गई भारी-भरकम राशि पर भारत ने गंभीर आपत्ति जताई है और यह चेतावनी दी है कि इस राशि का उपयोग आतंकवादी संरचनाओं को पुनर्जीवित करने में किया जा सकता है। ऐसे में यह प्रश्न स्वाभाविक है—क्या अमेरिका और चीन की ‘मजबूर दोस्ती’ का फायदा उठाकर पाकिस्तान फिर से वैश्विक आतंकवाद को बढ़ावा देगा?
भारत की स्पष्ट मांग है—IMF को पाकिस्तान को दी जा रही आर्थिक मदद पर पुनर्विचार करना चाहिए, ताकि वैश्विक शांति और सुरक्षा को खतरे में ना डाला जाए।
-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र