अपराधियों को जल्दी पकड़ने के लिए केंद्र सरकार ने शुरू की नई ई-ज़ीरो एफआईआर योजना

वित्तीय हानियों से संबंधित शिकायतें स्वचालित रूप से ई क्राइम थाने में जीरो एफआईआर के रूप में दर्ज होगी- शिकायतकर्ता 3 दिनों में जीरो को नियमित एफआईआर में परिवर्तन कर सकते हैं

वित्तीय अपराधों के पीड़ितों को गवाए हुए पैसों को वापस हासिल करने में आने वाली कठिनाइयों को नई ई-ज़ीरो एफआईआर सटीक मदद करेगी

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

वैश्विक स्तर पर जैसे-जैसे दुनिया डिजिटलीकरण की ओर तेजी से बढ़ रही है, वैसे-वैसे डिजिटल धोखाधड़ी—यानी साइबर ठगी—के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। केंद्र सरकार ने इस चुनौती का सामना करने के लिए एक प्रभावशाली कदम उठाया है: ई-ज़ीरो एफआईआर योजना। यह योजना न केवल अपराधियों को पकड़ने की प्रक्रिया को तेज करेगी, बल्कि पीड़ितों को उनके गवाए हुए धन की वापसी में भी सहायता प्रदान करेगी।

क्या है ई-ज़ीरो एफआईआर योजना?

19 मई 2025 को केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा लॉन्च की गई यह योजना फिलहाल दिल्ली में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई है। योजना के अंतर्गत एनसीआरपी (राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल) या हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दर्ज की गई वित्तीय साइबर शिकायतें स्वतः जीरो एफआईआर में परिवर्तित हो जाएंगी।

शिकायतकर्ता तीन दिनों के भीतर निकटतम साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन जाकर जीरो एफआईआर को नियमित एफआईआर में परिवर्तित कर सकेंगे। शुरुआत में यह सुविधा 10 लाख रुपए से अधिक की धोखाधड़ी के मामलों के लिए लागू होगी।

योजना की प्रमुख विशेषताएं

  1. स्वचालित एफआईआर दर्जीकरण: वित्तीय हानि से संबंधित शिकायतें स्वतः ई-क्राइम थाने में जीरो एफआईआर के रूप में दर्ज होंगी।
  2. तीन दिन की समय-सीमा: शिकायतकर्ता 72 घंटे के भीतर इसे नियमित एफआईआर में परिवर्तित कर सकते हैं।
  3. तेज जांच प्रक्रिया: इससे अपराधियों को जल्दी पकड़ने में सहायता मिलेगी।
  4. प्रादेशिक अधिकार क्षेत्र की बाध्यता समाप्त: जहां भी अपराध हुआ हो, उसकी रिपोर्टिंग किसी भी स्थान से की जा सकेगी।
  5. एनसीआरपी, दिल्ली पुलिस और सीसीटीएनएस का एकीकरण: शिकायतों का प्रोसेसिंग तेज और समन्वित होगी।

ग्रामीण और शहरी नागरिकों के लिए समान सुविधा

आज के समय में हर वर्ग के पास मोबाइल फोन है—चाहे वह मेट्रो सिटी में रहने वाला हो या छोटे गांव का नागरिक। लेकिन जब साइबर ठगी होती है, तो शहरी लोगों को एफआईआर दर्ज करवाने की कुछ जानकारी होती है, वहीं ग्रामीण, मज़दूर, पटरी व्यवसायी आदि जानकारी के अभाव में कार्रवाई नहीं कर पाते। यह नई योजना सभी नागरिकों के लिए न्याय सुलभ बनाएगी।

पीएम के “साइबर सुरक्षित भारत” विज़न की दिशा में कदम

गृह मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत आई4सी (भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र) ने इस योजना को लागू किया है। इसका उद्देश्य डिजिटल फ्रॉड से पीड़ितों को न्याय दिलाना और साइबर अपराधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करना है।

गृह मंत्रालय ने हाल ही में आई4सी की समीक्षा बैठक में इस योजना को मंजूरी दी थी। यह प्रणाली एनसीआरपी, दिल्ली पुलिस के ई-एफआईआर सिस्टम, और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के सीसीटीएनएस नेटवर्क से जुड़ी हुई है।

ई-ज़ीरो एफआईआर के साथ अन्य उठाए गए महत्वपूर्ण कदम

  1. राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल: सभी प्रकार के साइबर अपराधों की रिपोर्टिंग के लिए।
  2. 1930 टोल-फ्री हेल्पलाइन: वित्तीय साइबर धोखाधड़ी की त्वरित रिपोर्टिंग हेतु।
  3. राष्ट्रीय साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशाला: जांच अधिकारियों को तकनीकी सहयोग देने के लिए।
  4. ‘साइट्रेन’ पोर्टल: ऑनलाइन प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण का माध्यम।
  5. सप्ताहिक सहकर्मी-शिक्षण सत्र: कानून प्रवर्तन एजेंसियों को नए खतरों से अवगत कराने के लिए।
  6. महिलाओं और बच्चों के लिए साइबर अपराध रोकथाम योजना: विशेष प्रशिक्षण और प्रयोगशालाओं की स्थापना।

निष्कर्ष

यदि उपरोक्त विवरण का गहराई से अध्ययन करें, तो स्पष्ट होता है कि अब साइबर अपराधियों की खैर नहीं है। ई-ज़ीरो एफआईआर योजना न केवल अपराधियों की गिरफ्तारी में तेजी लाएगी, बल्कि वित्तीय नुकसान झेल रहे पीड़ितों को न्याय दिलाने का सशक्त माध्यम बनेगी। यह योजना भारत को साइबर रूप से और अधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।-

संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

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