तंबाकू उद्योग की दखल से,भविष्य के नेतृत्व बच्चों की रक्षा करना समय की मांग

तंबाकू निषेध जनजागरण के दिन अब लद गए,अब तंबाकू विक्रेता व सेवनकर्ता दोनों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही पर विचार करना समय की मांग

-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

गोंदिया: दुनियाभर में कई बुरी आदतों और कुप्रथाओं पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संगठनों द्वारा विशेष जागरूकता दिवस मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण दिवस है विश्व तंबाकू निषेध दिवस, जिसे हर वर्ष 31 मई को मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है – “तंबाकू उद्योग की दखल से बच्चों की सुरक्षा”

हालांकि तंबाकू निषेध दिवस मनाना सराहनीय है, लेकिन अब केवल जागरूकता फैलाना पर्याप्त नहीं है। कानूनी सख़्ती और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत तंबाकू विक्रेताओं और सेवनकर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है

वर्तमान हालात की झलक

भारत में तंबाकू और उसके उत्पादों पर कई राज्यों में प्रतिबंध हैं, फिर भी बाजारों और सार्वजनिक स्थानों पर खुलेआम तंबाकू उत्पाद बिकते और उपभोग होते देखे जा सकते हैं। मेरी स्वयं की 23 से 29 मई 2025 के बीच की गई ग्राउंड रिपोर्टिंग से सामने आया कि सब्जी मंडी, मॉल, सिनेमाघर, पेट्रोल पंप और किराना बाजार जैसे स्थानों पर लोग खुलेआम गुटखा और पाउच में बंद तंबाकू का सेवन कर रहे थे। उनसे बातचीत करने पर अधिकांश ने स्वीकार किया कि उन्हें तंबाकू के स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव की जानकारी है, फिर भी वे इसे छोड़ना नहीं चाहते।

अफसोस की बात है कि जिन राज्यों में तंबाकू पर प्रतिबंध लागू है, वहां भी इसका धंधा बेधड़क चलता है। कार्रवाई अक्सर सिर्फ खानापूर्ति तक ही सीमित रहती है। सूचना लीक, हफ्ता वसूली और राजनीतिक दबाव जैसे कारणों से दोषी बच निकलते हैं, और इसका परिणाम यह होता है कि अवैध तंबाकू व्यापार का चक्र अनवरत जारी रहता है।

बच्चों और युवाओं के लिए बढ़ता खतरा

वर्तमान में तंबाकू उद्योग की सबसे खतरनाक रणनीति है युवाओं और बच्चों को लक्षित करना। सोशल मीडिया और लाइव स्ट्रीमिंग जैसे प्लेटफॉर्म पर तंबाकू उत्पादों का ग्लैमराइज्ड प्रचार युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। सर्वेक्षणों के अनुसार दुनियाभर में 13-15 वर्ष की आयु के 38 मिलियन बच्चे किसी न किसी रूप में तंबाकू उत्पादों का उपयोग कर रहे हैं।

2022 में 15 से 24 वर्ष के युवाओं के बीच टीवी और वेब शोज़ में तंबाकू उत्पादों की दृश्यता में 110% की वृद्धि दर्ज की गई। इससे यह प्रमाणित होता है कि तंबाकू का प्रचार युवाओं में इसे ‘कूल’ और आकर्षक बनाने में सफल हो रहा है। इससे न केवल उनकी सेहत खतरे में पड़ती है, बल्कि तंबाकू उद्योग का ग्राहक आधार भी लगातार बढ़ता है।

तंबाकू सेवन के गंभीर दुष्प्रभाव

तंबाकू का सेवन अनेक प्रकार की घातक बीमारियों का कारण बनता है:

  • कैंसर: फेफड़े, मुंह, गले, ग्रासनली, पेट, यकृत, मूत्राशय, गर्भाशय ग्रीवा आदि में कैंसर।
  • हृदय और न्यूरोवैस्कुलर बीमारियां: स्ट्रोक, इस्केमिक डिजीज, संवहनी मनोभ्रंश।
  • फेफड़े संबंधी रोग: सीओपीडी, तपेदिक।
  • पाचन संबंधी रोग: जीईआरडी, अचलासिया कार्डिया।
  • मधुमेह और अन्य रोग: प्रतिरक्षा तंत्र पर दुष्प्रभाव और अन्य पुरानी बीमारियां।

इसके अलावा तंबाकू उत्पादन और उपभोग पर्यावरण को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है। हर साल तंबाकू की खेती के लिए लाखों हेक्टेयर जंगल नष्ट किए जाते हैं, जिससे मिट्टी और जल स्रोतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

अब समय है कड़े कदम उठाने का

विश्व तंबाकू निषेध दिवस सिर्फ औपचारिक जागरूकता दिवस न रहकर एक निर्णायक मोड़ बनना चाहिए। तंबाकू विक्रेताओं और उपभोक्ताओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून जैसे कठोर कानूनों के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। इससे न केवल तंबाकू उद्योग की जड़ों पर प्रहार होगा, बल्कि भावी पीढ़ी को इससे सुरक्षित रखने की दिशा में ठोस कदम भी उठाया जा सकेगा।

निष्कर्ष

तंबाकू उद्योग और इसके उपभोक्ताओं पर केवल भाषण और जनजागरूकता से काम नहीं चलेगा। अब समय आ गया है कि हम कानूनी सख़्ती और प्रशासनिक इच्छाशक्ति के बल पर इस समस्या पर निर्णायक प्रहार करें। जागरूकता दिवस के साथ-साथ ठोस कानूनी कार्रवाई, दोषियों पर कड़ी सजा और अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

इस वर्ष विश्व तंबाकू निषेध दिवस – 31 मई 2025 पर हमें संकल्प लेना होगा कि हम अपने बच्चों और समाज को तंबाकू की गिरफ्त से बचाएंगे और इसके लिए हर संभव कानूनी और सामाजिक प्रयास करेंगे।

-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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