स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष का सरकार और नगर परिषद पर तीखा हमला

रेवाड़ी। स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने शुक्रवार को भाजपा सरकार और नगर परिषद रेवाड़ी पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि “रेवाड़ी शहर गंदगी के ढेर पर बैठा है और भाजपा सरकार केवल मीडिया इवेंट कराकर सफाई की नौटंकी कर रही है।”
उन्होंने कहा कि रेवाड़ी के सेक्टरों, बस्तियों और गलियों की हालत बेहद खराब है। सड़कें टूट चुकी हैं, गलियों में गड्ढे ही गड्ढे हैं, और पार्क कूड़े के अड्डे बन चुके हैं। विद्रोही ने पूछा — “क्या हाथ में झाड़ू लेकर फोटो खिंचवाने से शहर साफ हो जाएगा?”
“सफाई दिखावे की चीज नहीं, रोजमर्रा की जिम्मेदारी है”
विद्रोही ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता, विधायक और नगर परिषद अधिकारी सफाई के नाम पर मीडिया के सामने झाड़ू लगाते हैं, लेकिन ज़मीनी सच्चाई कुछ और ही है। सफाई एक दिन का तमाशा नहीं है, इसके लिए रोज़ पर्याप्त सफाईकर्मी, नियमित कूड़ा उठाव और स्थायी व्यवस्था की आवश्यकता है — जो फिलहाल रेवाड़ी में नदारद है।
“44 पार्कों के सौंदर्यीकरण का दावा भी झूठा निकला”
भाजपा सरकार ने दावा किया था कि रेवाड़ी के सभी 44 पार्कों का सौंदर्यीकरण किया जाएगा, लेकिन अधिकांश पार्कों की हालत जर्जर है।
सेक्टर-4 स्थित वेदप्रकाश विद्रोही के निवास “विद्रोही कुंज” के सामने स्थित पार्क का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वह पिछले 15 वर्षों से रोज़ वहां मॉर्निंग वॉक करते हैं, लेकिन अब वह पार्क बदहाल स्थिति में है। वहां चारों ओर गंदगी फैली है, घूमने की पगडंडी टूट चुकी है और पार्क में बना टॉयलेट बदबू का अड्डा बन गया है।
“छह साल से गली की मरम्मत की मांग, कोई सुनवाई नहीं”
विद्रोही ने बताया कि उनके परिवार के निवास की गली पिछले छह सालों से जर्जर हालत में है। नगर परिषद और जिला प्रशासन को बार-बार लिखने और मिलने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि चूंकि वे भाजपा की विचारधारा और कार्यशैली के कटु आलोचक हैं, इसलिए उन्हें जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है।
“जब विकास की नीति वैचारिक दुश्मनी से तय होने लगे, तो यह लोकतंत्र नहीं, सत्ता का अहंकार बन जाता है।” — विद्रोही
“यह सरकार जनविरोधी, जुमलेबाज और भ्रष्टाचारी है”
वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि भाजपा सरकार केवल मीडिया इवेंट, जुमलों और फोटो खिंचवाने की राजनीति करती है। वास्तविकता में न तो नागरिक सुविधाओं पर ध्यान है और न ही जनकल्याण की कोई ठोस योजना। उन्होंने इसे एक “जनविरोधी, ठग, और झूठी सरकार” करार दिया, जो केवल लूट, प्रचार और सत्ता में टिके रहने की राजनीति करती है।
जनता के मन में सवाल:
- क्या सफाई सिर्फ झाड़ू वाले फोटो तक सीमित है?
- क्या विरोध करने वालों की गलियों और पार्कों को सज़ा दी जा रही है?
- क्या नागरिक सुविधाओं का अधिकार अब समर्थन पर निर्भर करेगा?