फतह सिंह उजाला
पटौदी,आश्रम हरी मंदिर – “पटौदी को जिला बनाए जाने की मांग कोई राजनीतिक नारा नहीं, बल्कि जनभावनाओं का सम्मान है।”
यह कहना है महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज का, जिन्होंने शनिवार को पटौदी को जिला बनाए जाने के मुद्दे पर सरकार की चुप्पी और जनता की बेचैनी के बीच सेतु बनते हुए एक बड़ा संकेत दिया।
❝ न इकरार… न इनकार — सरकार की रहस्यमयी चुप्पी ❞
महामंडलेश्वर धर्मदेव महाराज ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार की ओर से अभी तक पटौदी को जिला बनाए जाने पर न कोई हां है, न ना, जिससे जनमानस में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। बीते एक सप्ताह से नए जिलों की चर्चाओं में पटौदी का नाम ग़ायब रहना लोगों की नाराज़गी का कारण बना है।
6 जून: बड़े फैसले की तैयारी, खट्टर और सैनी में मंत्रणा
धर्मदेव महाराज ने खुलासा किया कि आगामी 6 जून (शनिवार) को पटौदी को जिला बनाए जाने के विषय पर पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर और वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के बीच अहम बैठक प्रस्तावित है।
उन्होंने बताया कि 1 जून को भी खट्टर जी से इसी विषय पर विस्तार से चर्चा हुई थी, जिसमें पटौदी की जनता की भावना और ऐतिहासिक मांग को उनके समक्ष रखा गया था।
पटौदी का हक़ — ऐतिहासिक और भौगोलिक दोनों रूप से उचित
महामंडलेश्वर धर्मदेव महाराज ने कहा, “पटौदी पूरी तरह से जिला बनने का हक़दार है। यह न केवल जनसंख्या, संसाधन और प्रशासनिक सुविधा के लिहाज से उपयुक्त है, बल्कि यह ऐतिहासिक विरासत और सांस्कृतिक गरिमा का भी केंद्र है।”
उन्होंने याद दिलाया कि—
- पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल ने पटौदी को सब-तहसील से तहसील बनाया।
- ओम प्रकाश चौटाला के कार्यकाल में इसे सब-डिवीजन का दर्जा मिला।
अब समय है कि पटौदी को पूर्ण जिला बनाया जाए — जिसका मुख्यालय पटौदी में ही हो।
जनता की मांग, नेताओं से अपेक्षा
धर्मदेव महाराज ने स्पष्ट कहा कि पटौदी की जनता को अपने सांसद व केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और विधायक विमला चौधरी से पूरा विश्वास है कि वे इस जन भावना का समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे जनप्रतिनिधियों को जनहित के मुद्दों पर सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
पहली बार उठा था स्वर 2023 की महापंचायत में
पटौदी को जिला बनाए जाने की मांग का आधार कोई नया नहीं है।
- 2023 में रामलीला मैदान में हुई महापंचायत में यह मांग पहली बार सामूहिक रूप से उठी।
- जनवरी 2025 में आश्रम हरी मंदिर परिसर में फिर से महापंचायत ने इसे सार्वजनिक संकल्प के रूप में दोहराया।
कोई विरोध नहीं, सिर्फ अधिकार की आवाज़
महामंडलेश्वर जी ने दो टूक कहा कि पटौदी को जिला बनाए जाने को लेकर न कोई आंदोलन है, न विरोध।
यह मांग संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों और लोकतंत्र की भावना के अनुरूप शांतिपूर्वक और दृढ़तापूर्वक रखी जा रही है। उन्होंने कहा: “सरकार का दायित्व है कि वह जनता की जायज मांग को समझे, सुने और समाधान करे। एक अभिभावक के रूप में सरकार को यह तय करना चाहिए कि जब प्रजा मांग रही है, तो उसे उचित और उदारता से स्वीकार किया जाए।”
लोकतंत्र में जनता की ज़िद भी अधिकार है
धर्मदेव महाराज ने कहा, “लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार का काम सिर्फ शासन चलाना नहीं, जन सुविधाओं का विस्तार करना भी है।
जिलों की संख्या 22 से बढ़ाकर 27 या 28 की जाए — इसमें कोई आपत्ति नहीं। पर पटौदी का नाम इस सूची में अनिवार्य रूप से शामिल होना चाहिए।”
निष्कर्ष: पटौदी की आवाज़ अब अनसुनी नहीं रहे
पटौदी को जिला बनाए जाने की मांग भावनात्मक, सामाजिक और प्रशासनिक — तीनों स्तरों पर तर्कसंगत है।
महामंडलेश्वर धर्मदेव जैसे जनचेतना से जुड़े संत के समर्थन से यह आवाज़ अब और भी बुलंद हो गई है।
अब फैसला सरकार को करना है —
क्या वह इस जायज मांग को स्वीकार कर पटौदी की ऐतिहासिक गरिमा को नया सम्मान देगी?
“पटौदी जिला सिर्फ मांग नहीं, अधिकार है — और अधिकार कभी भीख नहीं मांगता, वह दृढ़ता से लिया जाता है।”
— महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज