भारत की वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस मुहिम को झटका?पाकिस्तान को UNSC की आतंकवादरोधी समिति का उपाध्यक्ष और तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष बनाया गया!

पाक को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दोहरी जिम्मेदारी मिलना भारत की कूटनीतिक हार? या आतंकवाद विरोधी मुहिम को झटका? 

पाक को यूएनएससी के दो आतंकवादी विरोधी समितियों का अध्यक्ष उपाध्यक्ष पद देना,वैश्विक आतंकवादरोधी ढांचे की विश्वसनीयता पर चिंता का विषय है

-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

गोंदिया महाराष्ट्र- वैश्विक स्तर पर प्रचलित भारत की “जब सईंयाँ भए कोतवाल, अब डर काहे का”- यह कहावत आज एक बार फिर वैश्विक राजनीति के मंच पर चरितार्थ होती दिखाई दे रही है। दिनांक 4 जून 2025 की देर शाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने पाकिस्तान को दो अत्यंत संवेदनशील और महत्वपूर्ण पद –तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष और आतंकवादरोधी समिति  का  उपाध्यक्ष नियुक्त कर दिया। यह निर्णय न केवल भारत बल्कि समूचे वैश्विक आतंकवादरोधी ढांचे की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।

भारत की कूटनीतिक विफलता या अंतरराष्ट्रीय राजनीति का नया मोड़?
भारत पिछले वर्षों से वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का प्रचारक रहा है। उसने पाकिस्तान को बार-बार आतंक के गढ़ के रूप में प्रस्तुत किया है — 26/11 मुंबई हमले, उरी हमला, पुलवामा विस्फोट, और हाल ही में पहलगाम में हुए हमले इसके साक्ष्य हैं।

ऐसे में पाकिस्तान को दो बड़े आतंकवादरोधी पद सौंप देना — भारत की विदेश नीति की विफलता है या राजनीतिक लॉबिंग का नतीजा, यह बहस का विषय बन गया है।

UNSC की संरचना और पाकिस्तान की भूमिका
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में कुल 15 सदस्य होते हैं — 5 स्थायी (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन) और 10 अस्थायी सदस्य। पाकिस्तान वर्तमान में दो वर्षों के लिए अस्थायी सदस्य है। उसी के अंतर्गत उसे तालिबान प्रतिबंध समिति (1988 समिति) का अध्यक्ष और आतंकवादरोधी समिति (Counter-Terrorism Committee) का उपाध्यक्ष बना दिया गया।

हालांकि समिति में निर्णय सर्वसम्मति से होते हैं, परंतु इन पदों पर पाकिस्तान की मौजूदगी सांकेतिक स्तर पर चिंताजनक है और वैश्विक नैरेटिव को प्रभावित कर सकती है।

पाकिस्तान को समर्थन क्यों और कैसे?
विश्लेषण करें तो हाल की घटनाएं पाक के अंतरराष्ट्रीय कद में अचानक हुई बढ़ोतरी को इंगित करती हैं:

  • IMF द्वारा 1 अरब डॉलर की बेलआउट राशि
  • वर्ल्ड बैंक द्वारा 40 बिलियन डॉलर का वित्तीय सहयोग
  • ADB से 800 मिलियन डॉलर की सहायता
  • और अब संयुक्त राष्ट्र में दो प्रमुख पदों की नियुक्ति

यह घटनाक्रम इशारा करता है कि पाकिस्तान को किसी बड़ी वैश्विक शक्ति का समर्थन प्राप्त है। अमेरिका द्वारा प्रतिबंध सूची में से उसका नाम आखिरी क्षण में हटाया जाना इस संकेत को और पुष्ट करता है।

भारत की आपत्ति और विरोध
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इन नियुक्तियों पर कड़ी आपत्ति जताई है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भी इस पर चिंता जताई है, इसे भारत की “विदेश नीति की असफलता” और “संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता पर हमला” बताया है।

भारत की हालिया पहलें, जैसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और विश्व मंचों पर आतंक के विरुद्ध कूटनीतिक अभियान, अब कमजोर पड़ते दिख रहे हैं, क्योंकि पाकिस्तान उसी सुरक्षा परिषद के आतंकवादरोधी मंच पर अब नेतृत्वकर्ता बन बैठा है।

पाकिस्तान का उत्तर और प्रचार
पाक प्रधानमंत्री और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने इस नियुक्ति को अपनी बड़ी जीत बताया है। उनका दावा है कि यह वैश्विक समुदाय का पाकिस्तान की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में विश्वास है। वे यह भी कह रहे हैं कि उनके देश ने इस संघर्ष में 90,000 से अधिक जानें गंवाई हैं और 150 बिलियन डॉलर का नुकसान सहा है।

वैश्विक संतुलन, गुटबाजी और छुपे हाथ
आज विश्व में अनेक भू-राजनीतिक संघर्ष चल रहे हैं — रूस-यूक्रेन, इजराइल-गाजा, थाईलैंड-कंबोडिया, भारत-पाकिस्तान, अमेरिका-ईरान आदि। कई छोटे देशों के पीछे बड़ी ताकतें हैं जो उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से युद्धों और विवादों में झोंक रही हैं।

यूक्रेन द्वारा रूस में 5000 किमी अंदर घुसकर एयरबेस और पुलों को तबाह करना कोई छोटी घटना नहीं, इसके पीछे किसका हाथ है यह भी जगजाहिर है। ऐसे में पाकिस्तान का उभार और उसका सम्मानित मंचों पर स्थान पाना, एक खतरनाक संकेत है।

निष्कर्ष

संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक मंच पर पाकिस्तान जैसे देश को आतंकवादरोधी पदों पर नियुक्त करना, दुनिया के लिए एक नीतिगत विसंगति है। यह भारत के लिए चेतावनी है कि सिर्फ भाषणों और विरोध जताने से कुछ नहीं होगा, बल्कि स्मार्ट कूटनीति, प्रभावशाली लॉबिंग और रणनीतिक गठबंधनों की ज़रूरत है।

कहीं ऐसा न हो कि भारत की “आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक मुहिम” का प्रमुख स्वर धीमा पड़ जाए, और आतंकी शक्तियां “कोतवाल” की भूमिका में आकर विश्व मंचों से ही कानूनों को मोड़ने लगें।

संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

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