इजरायल-ईरान युद्ध में परमाणु हथियारों की चर्चा पर दुनियाँ सहमीँ, शांति की पहल अत्यावश्यक
इजरायल-ईरान दोनों के पीछे खड़ी ताकतों द्वारा अंधा समर्थन बंद कर, समझौते से युद्ध विराम करना जरूरी, वरना यह आग़ मिडल ईस्ट से पूरी दुनियाँ में फैलेगी
– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

गोंदिया (महाराष्ट्र):वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में इजरायल और ईरान के बीच सैन्य संघर्ष एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है। 13-14 जून 2025 से आरंभ हुआ यह टकराव अब केवल दो देशों की लड़ाई नहीं रह गई, बल्कि पूरी दुनिया को दो गुटों में बांटने की ओर अग्रसर होता दिख रहा है। इस युद्ध में परमाणु हथियारों के संभावित प्रयोग की चर्चाओं ने वैश्विक समुदाय को गहरी चिंता में डाल दिया है।
परमाणु युद्ध की दहशत और मध्य-पूर्व से उठती ज्वाला
इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों और उसके जवाब में ईरान द्वारा इजरायल के प्रमुख शहरों पर बैलिस्टिक मिसाइलों की बौछार, इस टकराव को एक भयावह दिशा में धकेल रही है। अगर इस आग को समय रहते नहीं बुझाया गया, तो यह मिडल ईस्ट से निकलकर पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले सकती है।
10 मुख्य बिंदुओं में युद्ध की भयावहता:

- तनाव चरम पर – इजरायल ने ईरान के सैन्य ठिकानों और परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया। जवाब में ईरान ने ऑपरेशन True Promise के तहत मिसाइलों और ड्रोन से इजरायल पर भीषण हमले किए।
- रक्षा प्रणालियाँ सक्रिय – इजरायल में हर ओर एयर डिफेंस सिस्टम ‘आयरन डोम’ सक्रिय है, यरुशलम और तेल अवीव के आकाश में मिसाइलों की झड़ी और सायरनों की गूंज सामान्य जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर रही है।
- रेड अलर्ट की स्थिति – ईरान के शिराज शहर से दागी गई मिसाइलों के कारण पूरे इजरायल में रेड अलर्ट घोषित किया गया, जिससे नागरिकों में दहशत का माहौल है।
- हाइफा में तबाही – ईरानी हमलों के बाद हाइफा शहर में जबरदस्त आग लगी, कई नागरिक घायल हुए।
- तेहरान पर हमले – इजरायल ने ईरान की राजधानी में टीवी ब्रॉडकास्टिंग सेंटर तक को निशाना बनाया, जिससे मीडिया स्टूडियो तक जल उठे।
- परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या – इजरायली हमलों में ईरान के कई परमाणु वैज्ञानिक और सैन्य अधिकारी मारे गए, जिससे तनाव और अधिक गहराया।
- हाइफा पोर्ट पर हमला – ईरान ने इजरायल के उत्तरी बंदरगाह हाइफा और उसकी तेल रिफाइनरी को भी निशाना बनाया, जिससे वहां व्यापक क्षति हुई।
- ड्रोन व मिसाइल हमले – इजरायल की ओर से मिसाइलें हवा में ही इंटरसेप्ट की जा रही हैं, लेकिन कई ने अपने लक्ष्य को भेदा है।
- नागरिक हताहत – तमरा में मिसाइल हमले से तीन लोगों की मृत्यु और 14 से अधिक घायल हुए हैं।
- राजनयिक वार्ताओं पर असर – तेहरान ने इजरायली हमलों में अमेरिका की भूमिका का आरोप लगाया, जिसके चलते ओमान में चल रही परमाणु वार्ता रद्द कर दी गई।
दुनिया दो गुटों में बंटने की कगार पर

यह युद्ध अब केवल दो देशों का विवाद नहीं रह गया। इसके पीछे अनेक वैश्विक शक्तियाँ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं। कुछ देश खुलकर समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ पर्दे के पीछे से ईंधन दे रहे हैं। यह स्थिति वैश्विक शांति के लिए बेहद घातक है।
समझौते की दिशा में कदम ज़रूरी
आज समय की सबसे बड़ी मांग यह है कि सभी ताकतें अपने-अपने स्टेटस से एक कदम पीछे हटें और अंध समर्थन बंद करें। युद्ध विराम की दिशा में ठोस समझौता ही एकमात्र समाधान है। अगर यह युद्ध परमाणु हथियारों तक पहुँच गया, तो इसका परिणाम हिरोशिमा-नागासाकी से कहीं ज़्यादा विनाशकारी हो सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सदैव शांति का समर्थन करते रहे हैं। भारत की भूमिका इस संकट में एक मध्यस्थ और शांति की पहलकर्ता के रूप में हो सकती है।
निष्कर्ष:
इजरायल-ईरान सैन्य संघर्ष ने विश्व को एक बार फिर तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ा कर दिया है। अब जरूरत है पर्दे के पीछे बैठे ताकतवर राष्ट्रों को अपने हित छोड़कर इंसानियत और शांति को प्राथमिकता देने की। अन्यथा यह आग हर सीमा को लांघते हुए पूरी मानवता को जला सकती है।
-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र