
रेवाड़ी, 26 जून 2025 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया है कि पिछले आठ वर्षों से रेवाड़ी में प्रस्तावित 200 बेड के अस्पताल का निर्माण जानबूझकर टालकर भाजपा सरकार ने इसे राजनीतिक मोहरा बना दिया है। उन्होंने कहा कि यह अस्पताल 7-8 साल पहले शुरू हो जाना चाहिए था, लेकिन “जमीन न मिलने” के नाम पर इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
अब यह मामला पूरी तरह राजनीतिक रंग ले चुका है, जहां रेवाड़ी जिले के पांच गांव — भगवानपुर, माजरा श्योराज, फिदेडी, गोकलगढ़ और शहबाजपुर खालसा — अपने-अपने गांव में यह अस्पताल बनवाने की मांग के साथ सामने आए हैं। सभी गांव इसके लिए मुफ्त में जमीन देने को तैयार हैं, लेकिन सरकार की चुप्पी ने असमंजस और आपसी अविश्वास को बढ़ा दिया है।
भगवानपुर गांव का धरना और वादे की याद
विद्रोही ने बताया कि भगवानपुर गांव के लोग धरने पर बैठ चुके हैं, उनका दावा है कि केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने वादा किया था कि वाटर टैंक के बदले उनके गांव में 200 बेड का अस्पताल बनवाया जाएगा। गांव की पंचायत ने अस्पताल के लिए 8 एकड़ भूमि मुफ्त देने की पेशकश भी की है।
अन्य गांवों का समर्थन और प्रतिस्पर्धा
अब माजरा श्योराज, गोकलगढ़, फिदेडी और शहबाजपुर खालसा भी इस परियोजना को अपने गांव में लाने के लिए आगे आ गए हैं। ये सभी गांव रेवाड़ी शहर से 3 से 5 किलोमीटर के दायरे में स्थित हैं।
आपसी भाईचारे पर खतरा
वेदप्रकाश विद्रोही ने चिंता जाहिर की कि यह प्रतिस्पर्धा आपसी भाईचारे को नुकसान पहुंचा सकती है और गांवों में वैमनस्य पैदा कर सकती है। उन्होंने स्पष्ट कहा, “चाहे यह होड़ स्वाभाविक हो या राजनीतिक रूप से प्रेरित — सभी गांवों को आपसी सौहार्द बनाए रखने के लिए सचेत रहना होगा।”
उन्होंने पांचों गांवों से बैठक करके सामूहिक रूप से समाधान निकालने और बिना आपसी टकराव के अपनी-अपनी दावेदारी रखने की अपील की।
सरकार पर सवाल
विद्रोही ने कहा कि जो भाजपा सरकार 8 सालों से इस परियोजना को लटकाए बैठी है, वही अब गांवों में आपसी मतभेद बढ़ाकर राजनीति चमकाना चाहती है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य जैसे गंभीर विषय पर राजनीति करना जनविरोधी और अमानवीय कृत्य है।