ग्यारह वर्षों से अधूरी योजनाएं बनीं उपेक्षा की प्रतीक, जनप्रतिनिधि बने ‘भीगी बिल्ली’

रेवाड़ी, 1 जुलाई 2025। स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मांग की है कि वे रेवाड़ी जिले की उन सभी अधूरी विकास परियोजनाओं की समीक्षा कर, उन्हें निश्चित समयावधि में पूरा कराने की ठोस व्यवस्था करें, जो या तो 11 वर्ष पहले घोषित की गई थीं या कांग्रेस शासन में शुरू होकर बीच में अटक गईं।
विद्रोही ने कहा कि रेवाड़ी जिला लगातार तीन लोकसभा और तीन विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड जनसमर्थन देता रहा है, इसके बावजूद यहां की विकास परियोजनाएं बजट के अभाव में वर्षों से लटकी हुई हैं। यह न सिर्फ तर्कहीन, बल्कि क्षेत्रीय भेदभाव का संकेतक भी है।
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी क्षेत्र के साथ अन्याय: विद्रोही
विद्रोही ने कहा कि चाहे पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हों या वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, रेवाड़ी और अहीरवाल की अधूरी परियोजनाओं के मुद्दे पर दोनों ने मौन साध रखा है। इसी क्षेत्र से तीन बार से सांसद रहे राव इंद्रजीत सिंह लगातार 11 वर्षों से केंद्र में राज्य मंत्री भी हैं, फिर भी इन योजनाओं के लिए पर्याप्त बजट का प्रबंध नहीं हो पाया।
“भाषणों में तो मांगें होती हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के सामने जाकर यह जनप्रतिनिधि भीगी बिल्ली बन जाते हैं। यही कारण है कि योजनाएं अधूरी हैं और जनता ठगी महसूस करती है।”
जनसभा में भी मुख्यमंत्री ने झाड़ा पल्ला
विद्रोही ने 15 जून को रेवाड़ी में मुख्यमंत्री सैनी की जनसभा का हवाला देते हुए कहा कि जब मंच से जनता ने क्षेत्र के हक की बात उठाई, तो मुख्यमंत्री ने यह कहकर किनारा कर लिया कि “भाजपा सरकार न क्षेत्र, न जाति, न व्यक्ति की सरकार है।” यह बयान विकास मांगों को नकारने जैसा था। मंच पर बैठे न सांसद बोले, न विधायक—यह क्षेत्रीय अन्याय के सामने शर्मनाक चुप्पी थी।
बजट नहीं, योजनाएं अधूरी: शिक्षा, स्वास्थ्य और जल सबसे प्रभावित
विद्रोही ने स्पष्ट किया कि रेवाड़ी जिले में विशेषकर शिक्षा, स्वास्थ्य और पीने के पानी से संबंधित अनेक योजनाएं विगत 11 वर्षों से बजट के इंतजार में अधूरी पड़ी हैं। न कोई निर्माण कार्य हो रहा है, न कोई स्पष्ट समयसीमा तय है। ऐसे में मुख्यमंत्री से अपील है कि इन मूलभूत योजनाओं को समयबद्ध ढंग से पूरा करने के लिए तत्काल पर्याप्त बजट की व्यवस्था की जाए।
“लोकतंत्र लोकलाज से चलता है, सत्ता अहंकार से नहीं” – विद्रोही
अंत में विद्रोही ने दो टूक कहा कि लोकतंत्र में चुने गए जनप्रतिनिधियों की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वे जनता से किए गए वादे पूरे करें और उनके अधिकारों की लड़ाई मजबूती से लड़ें। यदि जनप्रतिनिधि खुद ही चुप्पी ओढ़ लें, तो जनता को ठगा जाना तय है।