विश्व की नज़रें ट्रंप-मस्क की तगड़ी भिड़ंत और जुबानी जंगबाजी पर लगी

ट्रंप-मस्क की लड़ाई,अमेरिकी राजनीति,अर्थव्यवस्था और वैश्विक प्रभाव के लिए महत्वपूर्ण दुष्टपरिणाम ला सकती है-जनहित में मतभेद सुलझाना जरूरी

-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

गोंदिया: वैश्विक स्तर पर पूरी दुनिया देख रही थी कि पिछले कुछ महीनों से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनिया में चल रहे अनेकों युद्धों को रोकने के प्रयास कर रहे हैं-भारत-पाक युद्ध विराम में मध्यस्थता, सीरिया पर प्रतिबंधों में नरमी, रूस-यूक्रेन और ईरान-इज़रायल युद्धविराम की कोशिशों सहित कई प्रयास। हालांकि युद्धग्रस्त देशों में तनाव अब भी बना हुआ है, लेकिन उनकी कोशिशों को रेखांकित किया जाना चाहिए, साथ ही नोबेल शांति पुरस्कार की उनकी दावेदारी का भी उल्लेख जरूरी है।

इसी बीच, 1 जुलाई 2025 को अमेरिका में ट्रंप और मस्क के बीच जुबानी जंग एक नए स्तर पर पहुँच गई। मैं, एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, यह मानता हूँ कि ट्रंप-मस्क की यह तगड़ी भिड़ंत और शब्दों की जंग अमेरिका की राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता सहित वैश्विक प्रभाव पर नकारात्मक असर डाल सकती है। जिस दोस्ती और विश्वास के साथ दोनों ने पहले जनता का समर्थन पाया, वही अब आपसी टकराव में बदलकर मतदाताओं के भरोसे को तोड़ रहा है, जो अत्यंत चिंताजनक है। इस परिस्थिति को जनहित में आपसी समझौते और संवाद के जरिये सुलझाना जरूरी है।

ट्रंप-मस्क का टकराव: राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण

अमेरिका में ट्रंप और मस्क के बीच विवाद महज व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राजनीतिक और आर्थिक शक्तियों के संघर्ष का प्रतीक है।

  • डोनाल्ड ट्रंप: एक शक्तिशाली राजनीतिक चेहरा, मजबूत समर्थक आधार के साथ।
  • एलन मस्क: वैश्विक स्तर पर स्थापित उद्योगपति, अरबों डॉलर की संपत्ति और टेस्ला, स्पेसएक्स जैसी कंपनियों का मजबूत आर्थिक आधार।

इस विवाद का नतीजा किसके पक्ष में जाएगा, कहना मुश्किल है। ट्रंप की राजनीतिक पकड़ और मस्क की आर्थिक ताकत — दोनों के अपने-अपने प्रभाव हैं।

साथ ही अमेरिका की मीडिया और न्यायपालिका की स्वतंत्रता भी इस विवाद के समाधान में अहम भूमिका निभा सकती है।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव

  1. बाजार में अस्थिरता: टेस्ला और अन्य कंपनियों के शेयरों में उतार-चढ़ाव।
  2. निवेश में कमी: बढ़ते विवाद से निवेशकों का विश्वास कमजोर पड़ सकता है।
  3. आर्थिक विकास पर असर: विवाद लंबा खिंचने से अमेरिका की विकास दर पर नकारात्मक प्रभाव।
  4. रोजगार पर असर: टेस्ला जैसी कंपनियों के प्रभावित होने से रोजगार संकट गहरा सकता है।

हालांकि, अमेरिका की बहु-विविध अर्थव्यवस्था के चलते समग्र प्रदर्शन पर बहुत बड़ा खतरा कम ही माना जा रहा है।

कर छूट, खर्च कटौती और सब्सिडी पर जंग

ट्रंप और मस्क के बीच कर छूट और सरकारी खर्च को लेकर विवाद और गहराया। मस्क ने चेतावनी दी कि यदि रिपब्लिकन पार्टी का नया बिल पास हुआ तो वह अपनी नई राजनीतिक पार्टी “अमेरिका पार्टी” बनाएंगे।

  • मस्क का आरोप: बिल से नौकरियाँ खत्म होंगी, उभरते उद्योग पिछड़ेंगे।
  • ट्रंप का हमला: मस्क को इतिहास में सबसे ज्यादा सब्सिडी मिली, जो खत्म होनी चाहिए।

ट्रंप ने कहा कि सब्सिडी हटे तो मस्क को अपना कारोबार बंद कर दक्षिण अफ्रीका लौटना पड़ेगा। मस्क ने रिपब्लिकन सीनेटरों को चेतावनी दी कि अगर बिल पास हुआ तो अगले साल चुनाव में उन्हें हटाने की मुहिम चलाएँगे।

‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ का सीनेट में पारित होना

1 जुलाई 2025 की रात, ट्रंप का महत्वाकांक्षी वन बिग ब्यूटीफुल बिल सीनेट में 50-50 वोट से पास हो गया, जिसमें उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने निर्णायक वोट देकर इसे पारित कराया।

बिल के मुख्य बिंदु:

  • कर कटौती में 4.5 ट्रिलियन डॉलर का विस्तार
  • सैन्य खर्च में 150 बिलियन डॉलर की वृद्धि
  • राष्ट्रपति निर्वासन कार्यक्रम का प्रावधान
  • मेडिकेड में 1.2 ट्रिलियन डॉलर तक की कटौती (8.6 मिलियन कम आय वाले अमेरिकियों पर असर)
  • हरित ऊर्जा टैक्स क्रेडिट में कटौती
  • प्रवासियों के लिए रेमिटेंस टैक्स का प्रस्ताव (5% से घटकर 1%) — जिससे भारत समेत कई देशों में रेमिटेंस बढ़ने की संभावना

पर्यावरण समर्थकों ने हरित ऊर्जा कर क्रेडिट घटाने और ईवी क्रेडिट खत्म करने पर चिंता जाहिर की है।

अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और भारत के लिए संकेत

रेमिटेंस टैक्स 1% रहने से भारत में भी रेमिटेंस बढ़ने की संभावना है, जिससे प्रवासी भारतीयों को लाभ हो सकता है। साथ ही अमेरिका की नीतिगत अस्थिरता का असर वैश्विक वित्तीय बाजारों और व्यापार सहयोग पर भी पड़ सकता है।

निष्कर्ष: मतभेद सुलझाना ही राष्ट्रहित में

ट्रंप का बिल पारित होना और मस्क का अमेरिका पार्टी बनाने का ऐलान — यह संघर्ष अमेरिका की राजनीति, अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्थिरता को गहरा नुकसान पहुँचा सकता है।
जनहित में आवश्यक है कि मतभेद संवाद और समझौते से सुलझाए जाएँ, ताकि अमेरिका के साथ-साथ पूरी दुनिया में स्थिरता बनी रहे।

 संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ, स्तंभकार, साहित्यकार, अंतरराष्ट्रीय लेखक, चिंतक, कवि, संगीत माध्यम, सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया महाराष्ट्र

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