थाईलैंड की पीएम व डोनाल्ड ट्रंप, नेतन्याहू, इंदिरा गांधी सहित अनेकों अंतरराष्ट्रीय हस्तियों को न्यायपालिका के फैसलों का सामना करना पड़ा है

न्यायपालिकाओं की न्यायिक प्रक्रिया में खास से आम तक सभी व्यक्तियों को एक समान संहिता से लागू होकर सजा या बरी होना खूबसूरती है

– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

वैश्विक स्तर पर न्यायपालिका की शक्ति — एक समान कानून का पालन
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया महाराष्ट्र के अनुसार, दुनिया के लोकतांत्रिक ताने-बाने में न्यायपालिका का स्थान सर्वोच्च है, जो पंचायत समिति सदस्य से लेकर प्रधानमंत्री तक, और आम नागरिक से लेकर अंतरराष्ट्रीय हस्तियों तक — सभी पर समान कानून लागू कर सकती है। न्यायपालिका की यही खूबसूरती है कि उसमें सभी के लिए एक समान संहिता रहती है।

थाईलैंड की पीएम — 7/2 के बहुमत से निलंबन का ऐतिहासिक फैसला
1 जुलाई 2025 को थाईलैंड की प्रधानमंत्री पाइतोंग्तार्न शिनावात्रा को संवैधानिक पीठ ने 7-2 के बहुमत से उनके पद से निलंबित कर दिया। उन पर आरोप था कि उन्होंने कंबोडिया के नेता हुन सेन से बातचीत के दौरान थाई सेना के कमांडर की आलोचना की थी। सेना के प्रभाव वाले देश में इसे गंभीर मामला माना गया, और शिकायत की जांच पूरी होने तक उन्हें पद से हटाया गया। यदि दोष सिद्ध होता है, तो उन्हें हमेशा के लिए पद गंवाना पड़ सकता है।

अमेरिका — डोनाल्ड ट्रंप और न्यायालय की दखल
डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिकी अदालतों ने 180 से अधिक कार्यकारी आदेशों और नीतियों को रोका या अवैध करार दिया। ट्रंप को वॉयस ऑफ अमेरिका को खत्म करने, पर्यावरण नियमों में ढील, विदेशी फंडिंग फ्रीज, ट्रांसजेंडर अधिकारों पर रोक जैसे फैसलों को वापस लेना पड़ा। कोर्ट ने कई मामलों में उन्हें असंवैधानिक या भेदभावपूर्ण करार दिया। अप्रैल 2025 में एक ही सप्ताह में 11 मुकदमों में ट्रंप प्रशासन को हार झेलनी पड़ी।

भारत — इंदिरा गांधी और इलाहाबाद हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
1975 में राजनारायण केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जगमोहन सिन्हा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध घोषित किया था। चुनाव प्रचार में सरकारी अधिकारियों की मदद लेना और निर्वाचन प्रक्रिया को प्रभावित करना उनके खिलाफ सिद्ध हुआ, जिससे उन्हें चुनाव अयोग्य ठहराया गया। यह फैसला भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक बड़ा उदाहरण बना।

इज़राइल — नेतन्याहू पर इंटरनेशनल कोर्ट की कार्रवाई
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) ने इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं। उन पर फिलिस्तीन क्षेत्र में मानवीय अपराधों का आरोप है। अदालत ने उनके आपत्तियों को खारिज कर वारंट मंजूर किए।

बांग्लादेश — पूर्व पीएम शेख हसीना को कोर्ट की अवमानना पर सजा
बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को 6 माह की सजा सुनाई। ऑडियो क्लिप में न्यायिक प्रक्रिया में दखल और ट्राइब्यूनल को धमकाने के आरोप सिद्ध हुए।

भारत में पीएम निलंबन का क्या प्रावधान?
भारत में प्रधानमंत्री का कार्यकाल 5 साल का होता है। जब तक लोकसभा में बहुमत कायम रहता है, पीएम बने रह सकते हैं। अविश्वास प्रस्ताव या संसद की सदस्यता शून्य होने पर पीएम को पद छोड़ना पड़ सकता है। लेकिन भारत में थाईलैंड की तरह “निलंबन” का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।

निष्कर्ष

विश्व के अलग-अलग हिस्सों में प्रधानमंत्री जैसे सर्वोच्च पदों तक को न्यायपालिका के अधिकार के आगे झुकना पड़ा है। थाईलैंड, अमेरिका, इज़राइल, बांग्लादेश और भारत — हर जगह न्यायपालिका की शक्ति लोकतंत्र की रक्षा का महत्वपूर्ण साधन रही है। यही कारण है कि न्यायपालिका का भय कानून के पालन में एक प्रमुख कारक बन जाता है।

संकलनकर्ता — लेखक — कर विशेषज्ञ, स्तंभकार, अंतरराष्ट्रीय लेखक, चिंतक, कवि, संगीत माध्यम, सीए (एटीसी), एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया महाराष्ट्र

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