“भाजपा विधायक अपनी ही पार्टी कार्यकर्ताओं को भी कर रहे गुमराह, अधूरी परियोजनाओं पर चुप्पी क्यों?”

रेवाड़ी, 7 जुलाई 2025 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने रेवाड़ी के भाजपा विधायक और भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि पिछले 11 वर्षों से अहीरवाल क्षेत्र को केवल घोषणाओं और जुमलों के सहारे टरकाया जा रहा है, जबकि ज़मीनी स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल जैसी बुनियादी परियोजनाएं अधूरी पड़ी हैं।
“विकास की नौटंकी, ज़मीनी हकीकत शून्य”
विद्रोही ने कहा कि रेवाड़ी के भाजपा विधायक इन दिनों पार्टी कार्यकर्ताओं से विकास कार्यों पर राय जानने का नाटक कर रहे हैं, जबकि उन्हें पहले यह जवाब देना चाहिए कि पिछले वर्षों में शुरू की गई विकास परियोजनाएं क्यों अधूरी पड़ी हैं? उन्होंने कहा कि भाजपा का एक ही फंडा है—“आगे दौड़, पीछे छोड़”।
“श्रेय की होड़ में झूठी घोषणाएं”
उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को नई-नई परियोजनाएं घोषित कर वाहवाही लूटने की जल्दबाज़ी तो है, लेकिन पहले से लंबित कार्यों को पूरा करवाने में दिलचस्पी नहीं है। विद्रोही के अनुसार, रेवाड़ी के शिक्षा, स्वास्थ्य और जलापूर्ति विभाग से जुड़ी अनेक परियोजनाएं वर्षों से बजट के अभाव में लटकी पड़ी हैं, और भाजपा सरकार ने इनके लिए कभी गंभीरता नहीं दिखाई।
“भाजपा की कथनी-करनी में अंतर”
विद्रोही ने सवाल उठाया कि यदि भाजपा उनकी आलोचना को विपक्ष का अनर्गल प्रलाप बताती है, तो क्या अपने ही सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह के इस बयान को भी झूठ कहेगी जिसमें उन्होंने अहीरवाल के साथ विकास में भेदभाव की बात स्वीकारी है?
“अहीरवाल के साथ धोखा हुआ है”
विद्रोही ने कहा कि अहीरवाल की जनता ने भाजपा को लगातार समर्थन दिया, लेकिन भाजपा ने उसे उसके बदले में अपेक्षित विकास नहीं दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि “नई घोषणाओं की बजाय अधूरी परियोजनाओं को प्राथमिकता देकर पूरा किया जाए।”
विद्रोही की मांगें और सुझाव:
- शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल से जुड़ी सभी अटकी परियोजनाओं को प्राथमिकता से पूरा किया जाए।
- नए प्रोजेक्ट्स की घोषणाएं बंद कर पहले अधूरे प्रोजेक्ट्स का लेखा-जोखा जनता के सामने रखा जाए।
- रेवाड़ी के भाजपा विधायक और सांसद जनता को रिपोर्ट कार्ड दें कि उन्होंने 11 साल में क्या-क्या पूरा करवाया।
निष्कर्ष:
वेदप्रकाश विद्रोही की टिप्पणी भाजपा की नीतियों पर गहरा सवाल उठाती है कि क्या विकास केवल पोस्टरों और घोषणाओं तक सीमित रहेगा या कभी ज़मीन पर भी उतरेगा? अहीरवाल की जनता अब जवाब चाहती है।