पहली बार भारत में डिजिटल जनगणना: आत्म-प्रविष्टि का युग
भारत में पहली बार डिजिटल जनगणना होगी- घर बैठे खुद भरे जनगणना का फॉर्म- पहली बार सेल्फ एंट्री की सुविधा- सरकार लॉन्च करेगी खास वेब पोर्टल
भारत में 1 मार्च 2027 से शुरू होने वाली जनगणना,कई माइनों से अनोखी होगी-वार्षिक आय,जाति,मकान सहित अनेक व्यक्तिगत जानकारीयों से बहुत कुछ बदल जाने की संभावना
-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

गोंदिया महाराष्ट्र-भारत में 1 मार्च 2027 से पहली बार डिजिटल जनगणना शुरू होने जा रही है। यह जनगणना घर बैठे स्वयं फॉर्म भरने की सुविधा देने वाली पहली ऐतिहासिक पहल होगी।
इसके लिए सरकार एक विशेष वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप लॉन्च करेगी।
सेल्फ एंट्री की सुविधा के तहत लोग आधार-लिंक मोबाइल नंबर से लॉग इन कर डिजिटल फॉर्म भर सकेंगे।
ऑनलाइन फॉर्म सबमिट करने के बाद एक एनुमरेटर घर आकर जानकारी की पुष्टि करेगा।
क्यों अनोखी होगी 2027 की डिजिटल जनगणना?
16 वर्षों के बाद हो रही इस जनगणना में आय, जाति, मकान, संपत्ति, रोजगार, वस्तुएं (टीवी, फ्रिज, वाहन) जैसी अनेक व्यक्तिगत जानकारियां ली जाएंगी।
फर्जी जाति प्रमाणपत्र, अपात्र आरक्षण, योजनाओं का अनुचित लाभ लेने वालों की पहचान संभव होगी।
संपन्न होते हुए भी टैक्स से बचने वाले अब टैक्स के दायरे में आ सकते हैं।
इससे नीतियों का निर्धारण पारदर्शी और डिजिटल डाटा पर आधारित होगा।

जनगणना का दो चरणों में संचालन
- हाउस लिस्टिंग एंड हाउसिंग सेंसस
प्रारंभ – 1 अप्रैल 2026
मकानों की जानकारी एकत्र की जाएगी - पॉपुलेशन एनुमरेशन
प्रारंभ – 1 फरवरी 2027
लोगों की संख्या, जाति व अन्य विवरण
यह आज़ादी के बाद भारत की 16वीं व डिजिटल युग की पहली जनगणना होगी।
34 लाख कर्मचारी होंगे तैनात – व्यापक ट्रेनिंग
पूरे देश में 34 लाख कर्मचारी नियुक्त किए जाएंगे
तीन स्तरों की ट्रेनिंग – नेशनल ट्रेनर, मास्टर ट्रेनर, फील्ड ट्रेनर
हर गांव व शहर को माइक्रो ब्लॉक्स में विभाजित कर कवर किया जाएगा।
डिजिटल जनगणना: प्रश्नों की व्यापकता
डिजिटल जनगणना में पूछे जाएंगे लगभग 34 से 36 सवाल, जिनमें शामिल होंगे:

- नाम, उम्र, लिंग, शिक्षा, रोजगार
- घर की स्थिति, पेयजल, शौचालय, खाना पकाने का ईंधन
- इलेक्ट्रॉनिक उपकरण – टीवी, मोबाइल, फ्रिज
- संपत्ति की स्थिति – घर, वाहन, ज़मीन
- आधार लिंकिंग की पुष्टि
डिजिटल जनगणना के फायदे
- सटीक व त्वरित डाटा संग्रह
- कागज़ रहित प्रक्रिया से लागत में कटौती
- डेटा सुरक्षा – एन्क्रिप्टेड सिस्टम
- रियल टाइम योजना निर्माण
- स्मार्ट गवर्नेंस व चुनावी परिसीमन
- भविष्य की योजनाओं का लक्ष्य निर्धारण
विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई 2025: डिजिटल जनगणना से जुड़ाव
विश्व जनसंख्या दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1989 में शुरू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य:
- जनसंख्या विस्फोट
- स्वास्थ्य व शिक्षा
- लैंगिक समानता
- सतत विकास
- गरीबी उन्मूलन
डिजिटल जनगणना इन सभी पहलुओं पर रियल-टाइम डेटा उपलब्ध कराएगी, जिससे प्रभावी नीतियां बनाई जा सकेंगी।
दोनों के बीच गहरा संबंध
- डेटा की सटीकता:
डिजिटल जनगणना से वास्तविक व अद्यतन जनसंख्या आंकड़े मिलेंगे। - नीति निर्माण:
शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, रोजगार की योजना बेहतर डेटा पर आधारित होंगी। - जनसंख्या निगरानी:
क्षेत्रवार जनसंख्या वृद्धि की डिजिटल ट्रैकिंग संभव होगी। - SDG (सतत विकास लक्ष्य) की समीक्षा:
डिजिटल डेटा से स्वास्थ्य, शिक्षा, लैंगिक समानता जैसे लक्ष्यों की निगरानी सुलभ होगी।
निष्कर्ष
“विश्व जनसंख्या दिवस 2025 बनाम डिजिटल जनगणना 2027”
दोनों का उद्देश्य है – डेटा के ज़रिए समावेशी, टिकाऊ और पारदर्शी विकास।
भारत की पहली डिजिटल जनगणना केवल आंकड़ों की गिनती नहीं बल्कि नीति निर्माण की दिशा बदलने वाला कदम है। यह भारत को डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में और सशक्त बनाएगा।
संकलनकर्ता,लेखक:कर विशेषज्ञ | स्तंभकार | अंतरराष्ट्रीय लेखक | चिंतक | कवि | संगीत माध्यमा सीए (एटीसी)एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र