देश के हजारों खिलाड़ियों का भविष्य अधर में –

20 जुलाई 2025, नई दिल्ली – भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) से मान्यता प्राप्त बाक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (BFI) के चुनाव को लेकर देश की खेल राजनीति में घमासान मचा हुआ है। चुनावों में लगातार देरी ने देशभर के हजारों बॉक्सिंग खिलाड़ियों और 30 से अधिक राज्य बॉक्सिंग संघों की चिंता बढ़ा दी है। चुनाव न होने के चलते न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की भागीदारी प्रभावित हो रही है, बल्कि देश के खिलाड़ियों को मिलने वाली वित्तीय सहायता और अन्य सुविधाएं भी ठप पड़ी हैं।
बाक्सिंग फेडरेशन आफ इंडिया बीएफआई का अब तक चुनाव नहीं होना देश के हजारों खिलाड़ियों और राज्य बाक्सिंग संघों के लिए चिंता बढ़ाने वाला बनता जा रहा है। इसके चलते देशभर के 30 से ज्यादा प्रदेश बाक्सिंग संघों के चुनाव भी अटक गए हैं।
3 फरवरी 2025 को होने थे चुनाव, अब तक टली प्रक्रिया –
पेरिस इंटरनेशनल ओलम्पिक से शतरंज एशिया महाद्वीप के महासचिव ब्रह्मचारी कुलदीप शतरंज ने बताया कि बीएफआई के चुनाव 3 फरवरी 2025 को निर्धारित थे। लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाक्सिंग संस्था ‘वर्ल्ड बाक्सिंग’ के हस्तक्षेप के बाद भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने कारणों की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की। इस कमेटी ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी है। वर्ल्ड बाक्सिंग ने भारत सरकार के खेल मंत्रालय और भारतीय ओलंपिक संघ आईओए से बीएफआई चुनाव में देरी पर रिपोर्ट मांगी थी। इसके बाद आईओए ने यह कमेटी गठित की ताकि निष्पक्ष और समयबद्ध चुनाव सुनिश्चित किए जा सकें।
IOA ने गठित की जांच समिति –
भारतीय ओलंपिक संघ IOA ने गंभीर रुख अपनाते हुए कोषाध्यक्ष सहदेव यादव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति बनाई। समिति में कार्यकारिणी सदस्य भूपेंद्र सिंह बाजवा और अधिवक्ता पायल काकरा को शामिल किया गया। इस समिति का उद्देश्य चुनाव में देरी के कारणों का पता लगाना और समयबद्ध व निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है।
अब हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि विश्व बॉक्सिंग संस्था (World Boxing) को भारत सरकार और IOA से रिपोर्ट मांगनी पड़ी। इसके बाद IOA ने डॉ. पीटी ऊषा के नेतृत्व में एक तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की, जिसकी रिपोर्ट भी जमा हो चुकी है।
BFI अध्यक्ष के पद पर कांटे की टक्कर – चुनाव को लेकर गरमाई राजनीति –
पेरिस इंटरनेशनल ओलम्पिक से शतरंज एशिया महाद्वीप के महासचिव ब्रह्मचारी कुलदीप शतरंज ने बताया कि बीएफआई अध्यक्ष पद के लिए इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प और राजनीतिक रूप से गर्म है। एक ओर जहां पूर्व केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर मैदान में हैं, वहीं दूसरी ओर स्पाइसजेट के मालिक और पूर्व बीएफआई अध्यक्ष अजय सिंह भी पूरी ताकत से मुकाबले में डटे हुए हैं। यह मुकाबला न केवल खेल संघ की सत्ता के लिए है, बल्कि इसके पीछे सियासी समीकरणों की भी टकराहट साफ देखी जा रही है। इस टकराव ने बीएफआई चुनाव को लेकर सियासी हलकों में हलचल तेज कर दी है।
चुनाव न होने से अटके ये अहम कार्य –
- भारतीय बॉक्सिंग टीम अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं ले पा रही।
राष्ट्रीय स्तर की बॉक्सिंग चैंपियनशिप आयोजित नहीं हो पा रही।
विजेताओं को प्रमाणपत्र जारी नहीं किए जा रहे। - फेडरेशन के करोड़ों रुपये के वित्तीय लेन-देन पर असर पड़ा है।
खिलाड़ियों की शिकायतों का समाधान नहीं हो रहा।
30 से अधिक राज्य संघों के चुनाव और प्रशासनिक कार्य ठप हैं।
वित्तीय सहायता और संसाधनों की आपूर्ति रुक गई है।
खिलाड़ियों का भविष्य अधर में –
बीएफआई चुनाव को लेकर जारी खींचतान का सबसे बड़ा खामियाजा देश के उभरते बॉक्सरों को भुगतना पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भाग न ले पाने और राष्ट्रीय आयोजनों के स्थगित होने से उनकी खेल यात्रा प्रभावित हो रही है।
अब देखना होगा कि भारतीय ओलंपिक संघ और खेल मंत्रालय इस मुद्दे को कितनी जल्दी सुलझाते हैं, ताकि खिलाड़ियों का भविष्य और देश की खेल गरिमा दोनों सुरक्षित रह सके।
राजनीति का राउंड: अनुराग ठाकुर बनाम अजय सिंह –
BFI अध्यक्ष पद के लिए इस बार चुनावी मुकाबला बेहद हाईप्रोफाइल हो गया है।
अनुराग ठाकुर – पूर्व केंद्रीय खेल मंत्री – भाजपा सांसद
खेल मंत्रालय में लंबे अनुभव के साथ, संगठन पर मजबूत पकड़, समर्थक कहते हैं – “BFI को पारदर्शिता और सरकारी सहयोग दिला सकते हैं”
अजय सिंह – उद्योगपति व पूर्व BFI अध्यक्ष
स्पाइसजेट के मालिक, पहले भी BFI का सफल संचालन, खिलाड़ियों और अंतरराष्ट्रीय खेल संगठनों से पुराने संबंध
समर्थक कहते हैं – “BFI को व्यावसायिक रूप से और आगे ले जाने की क्षमता”
यह टक्कर अब खेल से निकलकर राजनीति बनाम प्रबंधन की होड़ में तब्दील हो चुकी है। सत्ता संतुलन और खेमेबाज़ी इतनी बढ़ चुकी है कि चुनाव करवाना ही IOA के लिए चुनौती बन गया है।
???? खिलाड़ियों की आवाज़: “हम मेहनत करें और सिस्टम ठप हो — ये नाइंसाफी है”
???? रिया शर्मा, महिला बॉक्सर, दिल्ली:
“हमें नेता नहीं, मार्गदर्शक चाहिए। कोई ऐसा जो हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने की ईमानदार कोशिश करे।”
- ???? प्रमुख समस्याएं:
अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भारत की भागीदारी अटकी - राज्य व राष्ट्रीय स्तर की चैंपियनशिप रुकी
- प्रमाणपत्र नहीं मिलने से सरकारी नौकरियों में दिक्कत
- कोचिंग व ट्रेनिंग सेंटर फंड के अभाव में बंद
- खिलाड़ियों की शिकायतें सुनने वाला कोई नहीं
- युवा प्रतिभाओं का उत्साह टूट रहा है
???? करोड़ों की वित्तीय गतिविधियां प्रभावित
नेशनल फेडरेशन का सालाना करोड़ों रुपये का बजट रुका हुआ है। राज्य संघों को मिलने वाली वित्तीय सहायता पर भी असर पड़ा है। खिलाड़ियों की सुविधाएं, उपकरण, कैंप और प्रतियोगिताएं—सब थमे हुए हैं।
???? क्या IOA और खेल मंत्रालय समय पर सुलझा पाएंगे मामला?
अब सवाल उठता है कि BFI जैसे महत्वपूर्ण खेल संगठन में चुनाव करवाने में इतना समय क्यों लग रहा है? IOA और सरकार की सुस्ती पर सवाल उठने लगे हैं।
जब पूरी दुनिया पेरिस ओलंपिक की तैयारी में जुटी है, भारत के मुक्केबाज़ संघर्ष की बजाय सियासी तमाशा देख रहे हैं।
???? निष्कर्ष: रिंग में नहीं, कुर्सी के लिए चल रही है असली फाइट
आज जब देश के खिलाड़ी पदक के लिए रिंग में उतरने को तैयार हैं, तब उनके संगठन चुनाव की रस्साकशी में फंसे हैं। यदि जल्द कोई समाधान नहीं निकला, तो भारत की बॉक्सिंग को न केवल वैश्विक स्तर पर नुकसान होगा, बल्कि हज़ारों युवा खिलाड़ियों का करियर भी अंधेरे में चला जाएगा।
सुझाव:
???? यह समय है जब खेल संगठनों में राजनीतिक दखल को सीमित कर, खिलाड़ियों की प्राथमिकता तय की जाए। क्योंकि मुक्केबाज़ी सिर्फ पंच लगाने का खेल नहीं, बल्कि सपनों और संघर्षों की असली कहानी है।