विदेशी संस्थानों को मान्यता के लिए चुकाने होंगे 9 लाख रुपये, भारतीय छात्रों को राहत

विजय गर्ग ………. सेवानिवृत्त प्रिंसिपल, शैक्षिक स्तंभकार, 

नई दिल्ली। भारत के शीर्ष चिकित्सा शिक्षा नियामक नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने विदेशी चिकित्सा योग्यता की मान्यता से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए एक नई नीति जारी की है। इसके तहत अब विदेशी विश्वविद्यालयों या उनकी मान्यता एजेंसियों को भारत में मान्यता प्राप्त करने के लिए प्रत्येक आवेदन पर 10,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग 8.6 लाख रुपये) का शुल्क देना होगा।

यह प्रस्ताव 16 जुलाई, 2025 को मसौदा गजट अधिसूचना के रूप में प्रकाशित किया गया है, और इस पर सार्वजनिक सुझावों और आपत्तियों के लिए 30 दिन की परामर्श अवधि निर्धारित की गई है।

भारतीय छात्रों के लिए राहत

इस नई नीति के अंतर्गत भारतीय छात्रों के लिए पहले से लागू 2.5 लाख रुपये का व्यक्तिगत आवेदन शुल्क समाप्त कर दिया गया है, जो कि वे अपनी विदेशी चिकित्सा डिग्री को भारत में मान्यता दिलाने के लिए भरते थे। यह कदम विशेष रूप से उन 20,000 से 25,000 छात्रों के लिए राहत लेकर आया है जो हर साल रूस, चीन, जॉर्जिया और किर्गिस्तान जैसे देशों में चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करते हैं।

गुणवत्ता नियंत्रण की दिशा में कदम

एनएमसी का कहना है कि यह शुल्क विदेशी संस्थानों की गुणवत्ता की जांच को औपचारिक और पारदर्शी बनाएगा। साथ ही, यह सुनिश्चित करेगा कि केवल उच्च मानकों वाली डिग्रियों को ही भारत में मान्यता दी जाए। अमेरिका, कनाडा और यूके जैसे देशों की तर्ज पर भारत में भी अब संस्थागत शुल्क का मॉडल अपनाया गया है।

छात्रों पर बढ़ सकता है अप्रत्यक्ष बोझ

हालांकि व्यक्तिगत आवेदन शुल्क हटाए जाने से छात्रों को कुछ राहत मिलेगी, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी विश्वविद्यालय यह अतिरिक्त शुल्क अपनी ट्यूशन फीस या अन्य प्रशासनिक शुल्कों में जोड़ सकते हैं, जिससे छात्रों पर परोक्ष रूप से वित्तीय बोझ बढ़ सकता है।

स्क्रीनिंग परीक्षाएं रहेंगी जारी

एनएमसी की यह पहल विदेशी चिकित्सा शिक्षा पर नियंत्रण और निगरानी को सुदृढ़ करने की रणनीति का हिस्सा है। वर्तमान में विदेशी डिग्री धारकों को एफएमजीई (Foreign Medical Graduate Examination) नामक स्क्रीनिंग परीक्षा से गुजरना पड़ता है, जिसे भविष्य में नेशनल एग्जिट टेस्ट (NEXT) से प्रतिस्थापित किया जाना है।

हितधारकों से सुझाव आमंत्रित

एनएमसी ने अंतिम नियामक ढांचे को अंतिम रूप देने से पहले सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया के तहत सभी हितधारकों से सुझाव और आपत्तियाँ आमंत्रित की हैं। इसके लिए एक समर्पित ईमेल आईडी भी जारी की गई है।

एनएमसी के एक अधिकारी ने कहा, “हम भारत में चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाना चाहते हैं, और यह कदम उसी दिशा में एक मजबूत पहल है।”

Share via
Copy link