राव इंद्रजीत की अगली सियासी चाल: बेटी आरती को रेवाड़ी से उतारने की तैयारी?

रेवाड़ी , 01 अगस्त 2025 – रेवाड़ी की सियासत एक बार फिर उबाल पर है। भाजपा विधायक लक्ष्मण यादव की राजनीतिक जमीन जहां खिसकती नजर आ रही है, वहीं केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव के सक्रिय होते ही नई सियासी अटकलें तेज़ हो गई हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि राव साहब आगामी विधानसभा चुनाव में आरती राव को रेवाड़ी सीट से उतारने की तैयारी में हैं — और इसके लिए लक्ष्मण यादव का रास्ता रोका जा रहा है।

कौन हैं आरती राव?

आरती राव, केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी हैं और राजनीतिक रूप से सक्रिय होती जा रही हैं। वे लंबे समय से सामाजिक कार्यों, पर्यावरण संरक्षण अभियानों और ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण से जुड़ी हुई हैं। गुड़गांव और रेवाड़ी में आयोजित कई कार्यक्रमों में वे राव इंद्रजीत के प्रतिनिधि के रूप में दिखाई दी हैं।

भले ही वे अभी तक किसी चुनावी मैदान में नहीं उतरी हैं, लेकिन परिवार की विरासत, राजनीतिक अनुभव और प्रशासनिक समझ उन्हें मजबूत प्रत्याशी बनाते हैं। राव साहब के करीबी सूत्रों की मानें तो आरती राव को अब खुलकर राजनीतिक मैदान में लाने का वक्त आ चुका है — और पहली कोशिश रेवाड़ी से ही होगी।

रेवाड़ी विधानसभा: जातीय समीकरण और राजनीतिक मिज़ाज

रेवाड़ी सीट पर यादव समुदाय का दबदबा है, जो कुल मतदाताओं का लगभग 42% है। इसके बाद ब्राह्मण, बनिया, जाट, गुर्जर और वाल्मीकि समुदायों की भागीदारी है। शहर और ग्रामीण इलाकों में विकास के असमान वितरण को लेकर नाराजगी बनी रहती है।

  • मुख्य जातीय आंकड़े (अनुमानित):
    • यादव: 42%
    • ब्राह्मण: 11%
    • बनिया: 9%
    • वाल्मीकि व अन्य दलित: 12%
    • गुर्जर-जाट-मुस्लिम व अन्य: 26%

2019 में भाजपा ने यादव बिरादरी के लक्ष्मण यादव को टिकट देकर कांग्रेस के गढ़ को भेद दिया था। लेकिन अब यादव मतदाता दो भागों में बंट सकते हैं — एक ओर लक्ष्मण यादव, दूसरी ओर राव इंद्रजीत की छाया में आरती राव।

भाजपा के भीतर का संघर्ष: विरासत बनाम नेतृत्व

लक्ष्मण यादव की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे एक ओर राव साहब के अहसान के बोझ तले दबे हैं, दूसरी ओर प्रशासन में उनकी उपेक्षा ने उन्हें कमजोर बना दिया है। नगर परिषद और जनस्वास्थ्य विभाग जैसे अहम संस्थानों में उनकी पकड़ लगभग नगण्य हो चुकी है। वहीं आरती राव को धीरे-धीरे सियासी मंच पर उतारा जा रहा है — संगठन से लेकर प्रशासन तक उन्हें ‘राव साहब की उत्तराधिकारी’ के तौर पर देखा जा रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राव इंद्रजीत की नजरें अब रेवाड़ी विधानसभा पर इसलिए हैं क्योंकि यही सीट उन्हें अपनी पारिवारिक विरासत सौंपने के लिए सबसे मुफ़ीद लगती है।

2024 लोकसभा और 2019 विधानसभा चुनावों का तुलनात्मक विश्लेषण

चुनाव वर्षपार्टीप्रत्याशीमत प्रतिशतस्थिति
2019भाजपालक्ष्मण यादव38%विजेता
2019कांग्रेसचिरंजीव राव (कप्तान अजय यादव के पुत्र)35%हार
2024लोकसभाराव इंद्रजीत सिंह52%विजेता

यह आंकड़े दर्शाते हैं कि भाजपा को यादव मतदाताओं में विभाजन से नुकसान हो सकता है, खासकर तब, जब आरती राव को टिकट दिया जाए और लक्ष्मण यादव पार्टी से नाराज हों।

निष्कर्ष: अगली लड़ाई ‘परिवार’ के भीतर?

रेवाड़ी में अगला विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए उतना आसान नहीं होगा। पार्टी के सामने न सिर्फ विपक्ष की चुनौती होगी, बल्कि भीतर ही भीतर पनपता अंतर्विरोध ज्यादा खतरनाक सिद्ध हो सकता है।

लक्ष्मण यादव के सामने अब विकल्प साफ हैं — या तो वे संगठन और नेतृत्व से दो-टूक बात करें या फिर मैदान छोड़ने की तैयारी करें। वहीं आरती राव के लिए यह मौका है खुद को स्थापित करने का, लेकिन यह तभी संभव होगा जब वे केवल ‘राव साहब की बेटी’ के बजाय एक मजबूत जन नेता के रूप में उभरें।

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