Category: विचार

न्यायालय की चेतावनी और समाज का आईना

डॉ. सत्यवान सौरभ “लव जिहाद” — एक ऐसा शब्द जो न तो भारतीय क़ानून में परिभाषित है, न संविधान में मान्यता प्राप्त, लेकिन फिर भी राजनीतिक मंचों, टीवी डिबेट्स और…

युवा देश, वृद्ध नेतृत्व : क्या लोकतंत्र में उम्र जनादेश से बड़ी है?

प्रियंका सौरभ भारत आज संसार का सबसे युवा देश है। हमारी जनसंख्या का लगभग पैंसठ प्रतिशत भाग पैंतीस वर्ष से कम आयु का है। यही युवा भारत की शक्ति है,…

(जब शिक्षा डर बन जाए) : डिग्रियों की दौड़ में दम तोड़ते सपने, संभावनाओं की कब्रगाह बनते संस्थान !

संस्थाएं डिग्रियां नहीं, ज़िंदगियां दें — तभी शिक्षा का अर्थ है भारत में शिक्षा संस्थान अब केवल डिग्रियों की फैक्ट्री बनते जा रहे हैं, जहां बच्चों की संभावनाएं और संवेदनाएं…

विश्व मस्तिष्क दिवस 2025: मस्तिष्क स्वास्थ्य एक आजीवन यात्रा

विश्व मस्तिष्क दिवस 22 जुलाई 2025-मस्तिष्क स्वस्थ हर उम्र के सभी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है मस्तिष्क की कई बीमारियों को जागरूकता अभियान चलाकर रोका जा सकता है जो मानसिक,…

“स्क्रॉल संस्कृति और अंधविश्वास: तकनीक के युग में मानसिक गुलामी”

आज का युग तकनीक और सूचना का है। हर हाथ में मोबाइल है, हर जेब में इंटरनेट। लेकिन क्या वास्तव में हम ज़्यादा जागरूक हुए हैं, या बस स्क्रीन पर…

अमेरिका में ट्रंप के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन …….

गुड ट्रबल लाइव ऑन नामक विरोध आंदोलन – 50 राज्यों के 1600 जगहों पर आंदोलन घर में घिरे ट्रंप – लोकप्रियता और अप्रूवल रेटिंग में भारी गिरावट डोनाल्ड ट्रंप का…

शांत और परोपकारी स्वभाव: सुखी जीवन का मूल मंत्र

स्वयं को माचिस की तीली नहीं, शांत सरोवर बनाएं,जिसमें कोई अंगारा भी फेंके तो स्वयं ही बुझ जाए क्रोध व उत्तेजित स्वभाव,अपराध बोध प्रवृत्ति का मुख्य प्रवेश द्वार – अपराध…

साध्वी बनने का नया ट्रेंड: त्याग की ओट में सुख का ब्रांड?

प्रियंका सौरभ बचपन में हम सुनते थे कि साध्वी वह होती है जो मोह, माया, श्रृंगार, आकर्षण और सांसारिक जिम्मेदारियों से ऊपर उठ गई हो। वह जो खुद को समर्पित…

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप एपस्टीन मामले पर अपने ही समर्थकों से घिरे ……..

-क्लाइंट लिस्ट में नाम शामिल होने का संदेह-चुनावी वादा पूरा न करने पर समर्थक भड़के एलन मस्क का आरोप – ट्रंप एपस्टीन की क्लाइंट लिस्ट में शामिल, इसलिए एफबीआई और…

साइबर युग का न्याय: अदालतें कैसे बना रही हैं गोपनीयता, सुरक्षा और संविधान के बीच पुल?

– अभिमनोज हम एक ऐसे दौर में हैं जहाँ हमारा संवाद अब सिर्फ़ आवाज़ नहीं, बल्कि डेटा है. अपराध दीवारों के भीतर नहीं, बल्कि स्क्रीन के पीछे हो रहे हैं.…