संविधान के हत्यारे कौन? – जब अवसरवाद शर्म को भी खा जाता है !
राजनीति में परिवर्तन स्वाभाविक है, लेकिन चरित्रहीनता नहीं। आज जो नेता इंदिरा गांधी को कोसते हुए ‘संविधान बचाओ’ का नारा लगा रहे हैं, कल को वही सत्ता में बने रहने…
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राजनीति में परिवर्तन स्वाभाविक है, लेकिन चरित्रहीनता नहीं। आज जो नेता इंदिरा गांधी को कोसते हुए ‘संविधान बचाओ’ का नारा लगा रहे हैं, कल को वही सत्ता में बने रहने…
आपातकाल के दौरान अख़बारों ने विरोध में अपना संपादकीय कॉलम ख़ाली छोड़ा था। आज औपचारिक सेंसरशिप नहीं है, लेकिन आत्म-सेन्सरशिप, भय और ‘राष्ट्रभक्ति’ के नाम पर विचारों का गला घोंटा…
इस देश में जब कोई सड़क पर दुर्घटनाग्रस्त होता है, तो सबसे पहले यह नहीं पूछा जाता कि ज़ख्म कितना गहरा है — पहले यह पूछा जाता है कि “पहचान…
ईरान-इजरायल,अमेरिका युद्ध से कच्चे तेल की कीमतों में विस्फोटक वृद्धि की संभावना- ईरान के स्टेट आफ होमर्ज़ (तंग समुद्री रास्ता) बंद करने की संभावना तीसरे विश्व युद्ध की ओर कदम…
डॉ. सत्यवान सौरभ “साहित्य समाज का दर्पण होता है।” यह वाक्य हमने न जाने कितनी बार पढ़ा और सुना है। परंतु आज साहित्य के दर्पण पर परतें चढ़ चुकी हैं—राजनीतिक,…
प्रियंका सौरभ ………… (स्वतंत्र स्तंभकार, कवयित्री एवं सामाजिक विषयों पर लेखिका) 12 जून 2025 की सुबह लंदन के एक पोलो मैदान में घटी एक घटना ने आधुनिकता की चमक-दमक में…
पूजा-पद्धति नहीं, सदाचार, करूणा और सत्य ही धर्म का मर्म है : सुरेश गोयल धूप वाला हिसार, 20 जून – भारतीय सभ्यता में ‘धर्म’ शब्द का अर्थ केवल कर्मकांड या…
“योग सिर्फ शरीर नहीं, विचारों की शुद्धि और चेतना का विस्तार है” प्रियंका सौरभ योग का मूल मंत्र : “मन ही सब कुछ है” “जो आप सोचते हैं, आप वही…
रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन की आक्रामकता और उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षणों के बीच दुनिया एक नए परमाणु युग में प्रवेश कर चुकी है। पुरानी संधियाँ निष्क्रिय हो रही हैं, और…
वैश्विक बदलते परिपेक्ष में ज़बरन स्वार्थी पलायन शरणार्थी बनाम भय उत्पीड़न हिंसा व पर्यावरणीय जलवायु परिवर्तन पीड़ित शरणार्थी दुनियाँ की बदलती परिस्थितियों से क्या अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी सम्मेलन 1951व इसके प्रोटोकॉल…